इम्पीरियल कॉलेज, लंदन की फराह दहलान और वेलकम संजर इंस्टीट्यूट की मारा लौनीजक द्वारा प्रकाशित किए गए ओपन-एक्सेस जर्नल पीएलओएस पैथोजन्स के अनुसार, संभोग कर चुकी मादा मच्छर, कौमार्य (वर्जिन) मादा मच्छरों के मुकाबले अधिक मलेरिया फैलाती हैं और नर मच्छरों से ज्यादा हानिकारक होती हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि नर मच्छरों को टारगेट करने से न केवल मच्छरों की आबादी को रोका जा सकता है, बल्कि अवशिष्ट मादा मच्छरों के बीच वेक्टर क्षमता को भी कम किया जा सकता है।
मलेरिया, मच्छरों द्वारा फैलने वाली बीमारी है, जो कि परजीवी प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण होती है। दुनियाभर में हर साल मलेरिया के 20 करोड़ से भी अधिक मामले सामने आते हैं और इनमें से करीब 4 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। अफ्रीका में मलेरिया के सबसे अधिक मामले रिपोर्ट होते हैं, जहां एनोफेलीज नाम की प्रजाति इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती है। एनोफिलीज मादा मच्छरों में हार्मोन 20-हाइड्रोसीएसडीसोन (20E) की मात्रा दो कारकों के कारण प्रभावित हो सकती है, जैसे खून चूसना और संभोग करना।
फराह दहलीन का कहना है कि अगर मादा मच्छरों में 20E को नर मच्छर संभोग के जरिए बढ़ाते हैं तो मलेरिया के लिए नर मच्छर भी जिम्मेदार हो सकते हैं। यह मुमकिन है कि वेक्टर कंट्रोल स्ट्रैटजी के तहत नर मच्छरों को निशाना बनाने से मलेरिया फैलने की आशंका कम हो सकती है।
मादा और नर मच्छर के बीच अंतर
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो कि किसी संक्रमित मच्छर के काटने से फैलती है। बता दें कि केवल मादा मच्छर ही खून चूसती और काटती हैं। नर मच्छर केवल मीठा खाकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं न कि खून चूस कर। ऐसा इसलिए है, क्योंकि नर मच्छरों को मादा मच्छर की तरह अंडे देने के लिए पोषक तत्वों की अतिरिक्त खुराक नहीं चाहिए होती है। नर मच्छर न तो आपको काटते हैं और न ही मलेरिया फैलाते हैं, हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि मलेरिया फैलाने में इनका कोई हाथ नहीं। दरअसल, बर्लिन के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्शन बायोलॉजी और स्ट्रैसबोर्ग के दा सीएनआरएस में मौजूद शोधकर्ताओं ने अपनी खोज में पाया कि नर मच्छरों को पहले जितना महत्वपूर्ण नहीं माना जाता था, वह असल में उससे कई गुना ज्यादा जरूरी होते हैं।
मादा मच्छर के मलेरिया फैलाने की शुरुआत उसके एक संक्रमित मनुष्य को काटने के बाद होती है। मादा मच्छर पहले किसी संक्रमित इंसान को काटती है और उसके कुछ हफ्तों बाद किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटने पर मलेरिया फैलता है। मनुष्यों की ही तरह मच्छरों में भी इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) होता है, जिसका मतलब, कुछ मादा मच्छर जिनमें मलेरिया फैलाने वाले संक्रमण होते हैं, वह उसे आगे नहीं बढ़ा पातीं, इसका कारण है कि वह संक्रमण को किसी प्रकार साफ करने में सक्षम हो जाती हैं।
भारत में मलेरिया के आंकड़े
ड्रग मैन्युफैचरर्स एसोसिएशन के अनुमान के अनुसार भारत में 1975 में 1 करोड़ 20 लाख और 1980 में 2 करोड़ मलेरिया के मामले सामने आए। 1990 से लेकर अब तक, हर साल भारत में मलेरिया के 15 लाख से 26 लाख मामले सामने आते हैं और 666 से 1000 लोग इसके कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं। हालांकि, डब्लूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के आंकड़ों की मानें तो, भारत में 1 करोड़ 50 लाख मलेरिया के मामलों के साथ 19,500 से 20,000 लोगों की मौत हो जाती है। बता दें कि आजादी के समय 1947 में भारत की 33 करोड़ आबादी में से करीब 7.5 करोड़ लोग मलेरिया संक्रमण से ग्रस्त थे। हालांकि, अब सरकार और कई संस्थाओं द्वारा भारत में मलेरिया के मामले काफी हद तक कम हो चुके हैं।