मलेरिया मच्छरों से फैलने वाला एक ऐसा रोग है, जिसमें रोगी को सर्दी और सिरदर्द के साथ बार-बार बुखार आता है। गंभीर मामलों में रोगी कोमा में जा सकता है या उसकी मृत्यु भी हो जाती है। यह रोग मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने से होता है, यह मच्छर शरीर में प्लाज्मोडियम नामक परजीवी को छोड़ देता है जो संक्रमण पैदा करने लगता है।
चार सामान्य मलेरिया परजीवियों में प्लाज्मोडियम विवैक्स के अलावा पी. फाल्सीपेरम, पी. ओवले और पी. मलेरिए शामिल है। यह बीमारी कई चरणों में दिखाई देती है - चिल स्टेज (ठंड लगना), हीट स्टेज (गर्मी लगना) और स्वेट स्टेज (पसीना आना)
ये चरण समय के निश्चित अंतराल पर दोबारा आते या दिखाई देते हैं। मलेरिया के मुख्य लक्षणों में ठंड लगना और पसीना आना, सिरदर्द, बदन दर्द, मतली व उल्टी और कमजोरी के साथ बुखार शामिल है।
मलेरिया परजीवी मानव शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगते हैं, जिससे खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। गंभीर मामलों में, ये जीव केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाने लगते हैं, जिससे श्वास संबंधी समस्या, लो बीपी, ब्लड शुगर में कमी और किडनी फेल का खतरा रहता है।
एंटीमलेरियल दवाएं (क्लोरोक्वीन) और एंटीबायोटिक्स में मलेरिया के मानक उपचार होते हैं। दूसरी ओर, होम्योपैथिक दवाओं दवाइयों के जरिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है। प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होने से मलेरिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। विभिन्न शोध अध्ययनों में पाया गया है कि मलेरिया के इलाज में होम्योपैथिक दवाएं असर करती हैं।
इन दवाओं में से कुछ में सल्फर, नैट्रम म्यूरिएटिकम, नक्स वोमिका, रस टॉक्सिकोडेंड्रोन, यूपाटोरियम परफोलिएटम, पल्सेटिला प्रेटेंसिस, चाइना अर्सेनिकम, कैल्केरिया अर्सेनिकम, अर्सेनिकम एल्बम, ब्रयोनिया एल्बम, आइपैकुआना, चिनिनम सल्फरिकम, केलिडोनियम मेजस और चाइना ऑफिसिनैलिस शामिल हैं।