जब दुनिया कोरोना वायरस के रूप में महामारी का सामना कर रही है, किसी भी व्यक्ति के लिए यह कल्पना करना मुश्किल है कि किसी अन्य वैश्विक बीमारी की वजह से हमारा फोकस बंट सकता है। हाल ही में 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया गया। इस बार की थीम थी - Zero malaria starts with me.

2008 से प्रतिवर्ष इसी दिन World Malaria Day मनाया जा रहा है। मलेरिया इस दुनिया के इतिहास में सबसे पुरानी और घातक बीमारियों में से एक है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।

मलेरिया एक ऐसा रोग है, जिसमें रोगी को सर्दी और सिरदर्द के साथ बार-बार बुखार आता है। इसमें बुखार कभी कम हो जाता है तो कभी दोबारा आ जाता है। गंभीर मामलों में रोगी कोमा में चला जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है। मलेरिया मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने से शुरू होता है, यह मच्छर शरीर में प्लाज्मोडियम नामक परजीवी को छोड़ देता है जो संक्रमण पैदा करने लगता है।

चूंकि, यह वैश्विक स्तर का खतरा है, जो हर साल लाखों लोगों को अपनी चपेट में लेता है इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहले ही सभी देशों से मलेरिया के खतरे को गंभीरता से लेने और राष्ट्रीय स्तर पर निवारक उपायों को फिर से शुरू करने का आग्रह किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बीमारी के प्रति जमीनी स्तर पर अभियान चलाता है और इस अभियान के उद्देश्य सभी देशों के राजनीतिक एजेंडे में मलेरिया के मुद्दों को उच्च रखना है। यह पूरा अभियान डब्ल्यूएचओ की विश्व मलेरिया रिपोर्ट के निष्कर्षों पर आधारित होता है। हालांकि, मलेरिया से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर अतिरिक्त संसाधन जुटाए गए हैं और सभी समुदायों को मलेरिया की देखभाल व रोकथाम के लिए पर्याप्त सशक्त बनाया जा रहा है।

इस बार की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2010 में दुनिया भर में 251 मिलियन यानी 25 करोड़ 10 लाख मलेरिया के मामले थे, 2018 में यह संख्या घटकर 228 मिलियन यानी 22 करोड़ 80 लाख हो गई। आठ वर्षों में यह कमी उतनी महत्वपूर्ण नहीं है, जितनी होनी चाहिए थी। रिपोर्ट के निष्कर्ष से यह भी पता चला कि 2014 और 2018 के बीच संक्रमणों की संख्या में आई कमी से कोई वैश्विक लाभ नहीं हुआ, जबकि 2017 और 2018 के बीच मलेरिया के कारण होने वाली मौतों की संख्या में भी बहुत अधिक फर्क नहीं था।

इससे पता चलता है कि वैश्विक, राष्ट्रीय और सामुदायिक स्तर पर मलेरिया के खिलाफ तत्काल और उचित कार्रवाई बहुत महत्वपूर्ण है। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि मलेरिया के बारे में जागरुकता फैलाना - यह कैसे होता है, इसका इलाज कैसे किया जा सकता है और इसे कैसे रोका जाए, इसे हर समुदाय और व्यक्ति तक जमीनी स्तर पर पहुंचाने की जरूरत है।

  1. मलेरिया और भारत के बीच संबंध - Malaria and India: Why elimination is a major goal in hindi
  2. मलेरिया के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - Frequently asked questions about malaria in hindi
कोरोना के बीच मलेरिया को न करें नजरअंदाज, मच्छरों से रहें सावधान के डॉक्टर

मलेरिया एक प्रकार का परजीवी संक्रमण है जो सदियों से, विशेष रूप से अफ्रीका, एशिया और दक्षिण व मध्य अमेरिका के उपोष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। यह अफ्रीका में नवपाषाण युग में शुरू हुआ और धीरे-धीरे अन्य महाद्वीपों में फैल गया है। भारत का इस बीमारी के साथ एक प्राचीन संबंध रहा है, वैदिक ग्रंथों में मलेरिया को "बीमारियों का राजा" भी कहा जाता है।

भारतीय चिकित्सा सेवा के डॉ रोलांड रॉस ने 1897 में बताया था कि यह भारत में लंबे समय से लोगों को प्रभावित करता रहा है। इसमें मच्छर परजीवियों को एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रेषित करते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक वर्षों से मलेरिया को रोकने और इसके इलाज के तरीकों पर काम कर रहे हैं।

भारत में उष्णकटिबंधीय जलवायु, भारी मानसून और जल-जमाव के कारण यह बीमारी काफी सामान्य है। भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार, भारत में मलेरिया के अधिकांश मामले देश के पूर्वी और मध्य हिस्सों के साथ-साथ उन राज्यों में भी दर्ज किए जाते हैं, जो मुख्य रूप से वन, पहाड़ी या आदिवासी क्षेत्रों से बने हैं। ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम जैसे राज्यों में हर साल सबसे अधिक मामले देखे जाते हैं।

देश में मलेरिया की समस्या को कम करने और दुनिया में इस बीमारी को लेकर चल रहे अभियान में योगदान देने के लिए, भारत 2015 में, 17 अन्य एशिया-प्रशांत देशों में शामिल हो गया था, जो एक साथ मिलकर मलेरिया को 2030 तक खत्म करने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। 

नेशनल हेल्थ पोर्टल में बताया गया है कि भारत काफी हद तक मलेरिया की समस्या को नियंत्रित करने में सक्षम रहा है, क्योंकि यहां 2001 में 20.8 लाख मामले थे जिसमें 2018 तक चार लाख मामलों की कमी आई।

सरकार को देश से मलेरिया को पूरी तरह से खत्म करने के लिए नेशनल स्ट्रेटेजिक प्लान (एनएसपी) पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

(और पढ़ें - सेरीब्रल मलेरिया के कारण)

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डब्ल्यूएचओ की मलेरिया रिपोर्ट 2019 के अनुसार, भारत उन 20 देशों (अन्य 19 देश उप-सहारा अफ्रीका में हैं) में से एक है, जहां दुनिया में मलेरिया से ग्रस्त लोगों की 85 प्रतिशत आबादी है।

भारत जैसे बड़े देश में इस बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाना इसके प्रसार का सबसे अच्छा तरीका है। मलेरिया के बारे में सबसे अधिक पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न निम्नलिखित हैं :

(और पढ़ें - मलेरिया का आयुर्वेदिक इलाज)

क्या मलेरिया जानलेवा है? - Can malaria kill you in hindi?

जी हां, मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो मौत का कारण बन सकती है। वास्तव में, मलेरिया विश्व स्तर पर हर साल लगभग चार लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है। मरने वालों की एक बड़ी संख्या 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2018 में मलेरिया के कारण होने वाली सभी मौतों में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की 67 प्रतिशत मौत हुई थी।

इसमें मच्छरों द्वारा प्रेषित किए गए परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं और उनके परिसंचरण को प्रभावित करता है, जिसके कारण शरीर के सभी प्रमुख अंग प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा यह परजीवी मस्तिष्क को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण मौत भी हो सकती है।

(और पढ़ें - मलेरिया होने पर क्या करना चाहिए)

मलेरिया फैलता कैसे है? - What causes malaria in hindi?

जब एनोफिलीज नाम की मादा मच्छर मलेरिया से ग्रस्त किसी व्यक्ति को काटती है, तो प्लाज्मोडियम नामक परजीवी उसके संपर्क में आ जाता है। इसके बाद जब यह मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है तो यह परजीवी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति (या अन्य जानवरों) तक पहुंच जाता है और खून में मिल जाता है। चूंकि, शरीर के हर हिस्से में खून का संचार होता है इसलिए यह सभी अंगों तक आसानी से पहुंच जाते हैं और उन्हें प्रभावित कर सकते हैं। ध्यान रहे, उचित उपचार के बिना मलेरिया रोगी की स्थिति बहुत जल्दी बिगड़ सकती है।

(और पढ़ें - बच्चों में मलेरिया के कारण)

मलेरिया प्रोटोजोआ क्या है? - What is the malaria protozoa in hindi?

इसका जवाब आम धारणा से विपरीत है। मलेरिया एक वायरस के कारण नहीं होता है और इसलिए यह एक वायरल इंफेक्शन नहीं है। यह वास्तव में प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाला एक परजीवी संक्रमण है। इन परजीवियों की खोज सबसे पहले 1880 में चार्ल्स लुइस अल्फोंस लाॅवरन द्वारा मलेरिया रोगियों के खून में की गई थी।

प्लास्मोडियम परजीवी के बारे में लाॅवरन की परिकल्पना से प्रेरित होकर, 1897 में (सिकंदराबाद में) रोनाल्ड रॉस ने एक मादा एनोफिलीज मच्छर के पेट के ऊतकों में प्लास्मोडियम परजीवियों के अस्तित्व की खोज की, जिससे न केवल यह साबित हो गया कि मलेरिया इस परजीवी के कारण होता है, बल्कि यह भी पता चला कि यह एक विशेष प्रकार का रोग है, जो  सिर्फ मच्छरों के जरिए फैलता है। इस खोज के कारण रॉस को 1902 में चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

क्या मलेरिया घातक है? - Why is malaria so deadly in hindi?

मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसे तेज बुखार की बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसका अर्थ है कि मलेरिया के लक्षणों में ठंड लगना, सिरदर्द, बदन दर्द और जोड़ों में दर्द के साथ बुखार का तेजी से बढ़ना शामिल है। लेकिन इसके सिर्फ यही लक्षण नहीं हैं। इसे मानव जाति के लिए सबसे घातक बीमारियों में से एक माना जाता है।

कुछ प्रकार के मलेरिया, विशेष रूप से पी. फाल्सीपेरम नामक पैरासाइट से होने वाले मलेरिया गंभीर रूप ले सकते हैं और 24 घंटे के अंदर इलाज न करने पर मृत्यु का कारण बन सकते हैं।

मलेरिया के शुरुआती संकेत क्या हैं? - What are the first signs of malaria in hindi?

प्लास्मोडियम परजीवी में इंक्यूबेशन अवधि सात से 30 दिन की होती है। इसका मतलब है कि यदि किसी व्यक्ति को किसी मादा एनोफिलीज मच्छर ने काट लिया है, तो उसे कम से कम एक हफ्ते बाद मलेरिया के लक्षण दिखाई देंगे।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार मलेरिया के शुरुआती संकेतों में बुखार, ठंड लगना और सिरदर्द शामिल हैं। बता दें, इसके शुरुआती संकेत फ्लू या सामान्य जुकाम से मिलते-जुलते हो सकते हैं, लेकिन यदि कोई व्यक्ति ऐसे क्षेत्र में रहता है या काम करता है, जहां मच्छर के काटने का जोखिम है, तो उसे तुरंत मलेरिया के लिए परीक्षण करवाना चाहिए, क्योंकि शीघ्र निदान और उपचार इसके इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मलेरिया का लिए परीक्षण कैसे किया जा सकता है? - How do you test for malaria in hindi?

मलेरिया टेस्ट के लिए और प्लास्मोडियम के प्रकार को पहचानने के लिए उचित समय पर इलाज शुरू कर देना जरूरी है, इसलिए मलेरिया के संकेतों और लक्षणों को समझने के बाद जल्द से जल्द डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाएं, वे रोगी के खून के सैंपल की माइक्रोस्कोप के जरिए जांच कर सकते हैं और परजीवी की पहचान कर सकते हैं।

इस बीमारी के टेस्ट के लिए सरकारी एजेंसियां, डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता 'मलेरिया रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट' (आरडीटी) का आयोजन करते हैं।

आरडीटी के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि रोगी के खून का सैंपल लेने के लिए उसके उंगली से मात्र एक बूंद खून की जरूरत होती है, जिसे विशेष उपकरण द्वारा आसानी से लिया जा सकता है, यानी इस उपकरण का उपयोग घर पर या यात्रा के दौरान भी किया जा सकता है।

मलेरिया कितने समय तक प्रभावित कर सकता है? - For how long can you have malaria in hindi?

उचित समय पर उपचार शुरू कर दिया जाए, तो मलेरिया को बहुत जल्दी ठीक किया जा सकता है। सभी प्रकार के लक्षणों से छुटकारा पाने में करीब दो सप्ताह का समय लग सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में इससे ज्यादा समय भी लग सकता है।

उचित उपचार के बिना, मलेरिया गंभीर रूप ले सकता है और यह कोमा या मौत का कारण भी बन सकता है। हल्के मामलों में, मलेरिया के एपिसोड समय-समय पर वापस आ सकते हैं। यही कारण है कि जो लोग ऐसी जगह जाते रहते हैं जहां मच्छरों की समस्या है, उन्हें डॉक्टर को अपनी ट्रेवल एक्टिविटी के बारे में भी बताना चाहिए।

प्लास्मोडियम परजीवियों के बार-बार संपर्क में आने से व्यक्ति आंशिक रूप से मलेरिया से पीड़ित हो सकता है और समय-समय पर मामूली लक्षणों का सामना करना पड़ना सकता है।

मलेरिया में क्या खाना चाहिए? - What should you eat in malaria in hindi?

मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति को स्वस्थ और आसानी से पचने योग्य आहार लेना जरूरी है।

  • तरल पदार्थ : पीने योग्य पानी, यदि किसी व्यक्ति के पास वॉटर फिल्टर मशीन नहीं है तो, वे पानी को उबालकर पी सकते हैं।
  • कार्बोहाइड्रेट : आसानी से पचने वाले कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थ जैसे चावल का सेवन करना चाहिए। इससे ऊर्जा भी मिलती है और यह पेट को भी आराम पहुंचाता है।
  • प्रोटीन : मलेरिया से उबरने के दौरान दाल का सूप, दाल, चिकन शोरबा, मछली का सूप, दूध, दही, छाछ और उबला हुआ चिकन का सेवन किया जा सकता है।
  • विटामिन और खनिज : मलेरिया शरीर में विटामिन और खनिज के स्तर को समाप्त कर सकता है, यही कारण है कि जितनी जल्दी हो सके विटामिन और खनिज की पूर्ति करते रहें।

क्या दोबारा मलेरिया हो सकता है? - Can you get malaria twice in hindi?

हां, वास्तव में प्लास्मोडियम परजीवी की ऐसी विभिन्न प्रजातियां हैं, जो मलेरिया का कारण बन सकती हैं। किसी व्यक्ति को एक बार पी. विवैक्स परजीवी के कारण मलेरिया हो सकता है, जो कि पूरी तरह से ठीक भी हो सकता है। ट्रीटमेंट के बाद व्यक्ति में इस परजीवी के प्रति प्रतिरक्षा मजबूत हो जाएगी, मान लीजिए यदि उसी व्यक्ति को कोई ऐसा मच्छर काट ले जो पी. फाल्सीपेरम नामक परजीवी का वाह​​क है तो उस व्यक्ति को दोबारा से मलेरिया की शिकायत हो सकती है।

क्या मलेरिया छूने से फैलने वाला या संक्रमण है? - Is malaria contagious or infectious in hindi?

नहीं, मलेरिया छूने से नहीं फैलता है और न ही यह संक्रामक है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के आसपास जाने से कोई खतरा नहीं रहता है। इसके अलावा एक बर्तन, एक बेड, कमरा या स्थान साझा करने से भी यह नहीं फैलता है, क्योंकि यह अन्य वायरल बैक्टीरियल इंफेक्शन की तरह नहीं है। यह केवल तब होता है जब चुनिंदा परजीवी हमारे रक्त प्रवाह में मिल जाते हैं।

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संदर्भ

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