ल्यूकोरिया में महिलाओं को योनि से सफेद पानी आने की शिकायत रहती है। इसका कारण या संबंध निचले यौन मार्ग में सूजन या संक्रमण हो सकता है। ल्यूकोरिया से ग्रस्त महिला को सेक्स से संबंधित समस्याएं, कैंसर का डर, गर्भधारण करने में दिक्कत, शर्मिंदगी और असहतजा से गुज़रना पड़ता है। वैसे तो ल्यूकोरिया कोई घातक बीमारी नहीं है लेकिन इसमें मानसिक तनाव बहुत बढ़ जाता है।
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आयुर्वेद में ल्यूकोरिया को एक रोग के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है इसलिए इसका कोई आयुवेर्दिक नाम नहीं है। हालांकि, योनि से अत्यधिक सफेद पानी आने की समस्या को श्वेत प्रदर कहा जाता है जिसका संबंध अनेक स्त्री रोगों से हो सकता है।
योनि से आने वाले सफेद पानी का प्रकार और इसका गाढ़ापन इस बात पर निर्भर करता है कि ल्यूकोरिया से ग्रस्त महिला के शरीर में कौन-सा दोष खराब हुआ है।
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ल्यूकोरिया के आयुर्वेदिक उपचार में वर्ती (सपोजिटरी - शरीर में दवा पहुंचाने के लिए छोटी, गोल या तिकोने आकार की वस्तु का प्रयोग ), धूपन (धुआं देना), प्रक्षालन (सफाई) और पिछु के रूप में इलाज किया जाता है। गंभीर ल्यूकोरिया की स्थिति में अग्नि कर्म (प्रभावित हिस्से को जलाने की विधि) की सलाह भी दी जाती है। आमलकी, चोपचीनी और लोध्र जैसी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल ल्यूकोरिया के इलाज में किया जाता है।
आयुर्वेदिक मिश्रण जैसे कि त्रिफला गुग्गुल, चंद्रप्रभा वटी और कैशोर गुग्गुल ल्यूकोरिया के इलाज में लाभकारी हैं। ल्यूकोरिया के इलाज के लिए क्वाथ (काढ़े) और पानी से योनि की सफाई की सलाह भी दी जाती है। ताजा और आसानी से पचने वाला आहार, निजी साफ-सफाई का ध्यान रखकर और सूती अंडरगार्मेंट्स पहनकर ल्यूकोरिया के लक्षणों को दूर करने एवं इस बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है।
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