चलिए जानते हैं उन खाद्य पदार्थों के बारे में जो आपमें आईबीएस के लक्षणों को बिगाड़ सकते हैं -
1. अघुलनशील फाइबर : यह सही है कि कुछ प्रकार के फाइबर आईबीएस के लक्षणों में सुधार करते हैं। लेकिन हर तरह का फाइबर आईबीएस के मरीजों के लिए अच्छा नहीं होता। अघुलनशील फाइबर भी उनमें से एक है, जो आंतों में भोजन की आसान आवाजाही को अवरुद्ध करता है और आईबीएस की स्थिति को और भी खराब कर सकता है। अघुलनशील फाइबर से भरपूर कुछ खाद्य पदार्थों में साबुत अनाज, गेहूं का चोकर, बीज और सूखे मेवे शामिल हैं। (और पढ़ें - गेहूं के फायदे)
2. तला हुआ और फैटी फूड : लैब में हुए अध्यनों से संकेत मिलता है कि तैलीय और वसा से भरपूर भोजन आंतों में गैस का कारण बनता है। इसकी वजह से पेट फूलना और दर्द की समस्या होती है। यदि कोई व्यक्ति आईबीएस से पीड़ित है तो इस स्थिति में उसके लक्षण और भी बिगड़ जाते हैं।
बहुत से आईबीएस पीड़ितों ने यह महसूस किया है कि तला हुआ और वसायुक्त भोजन लक्षणों के उभरने का कारण बनता है। हालांकि, आईबीएस में वसायुक्त भोजन के नकारात्मक असर को लेकर क्लिनिकल स्टडी के रूप में कोई सबूत नहीं है। बल्कि, कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि पॉलीअनसैचुरेटिड फैटी एसिड (ओमेगा3 और ओमेगा6 जैसे हैल्दी फैट) आंतों में सूजन को कम करने में सहायक हैं और इस तरह से यह आईबीएस के खिलाफ प्रभावी हो सकते हैं। अगर आप आईबीएस से पीड़ित हैं तो इस बात को परखें कि क्या वसायुक्त भोजन से आपके लक्षण बिगड़ जाते हैं। कोशिश करें कि तलने की बजाए बेकिंग और ग्रिलिंग तकनीक का इस्तेमाल करके भोजन तैयार करें।
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कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि आईबीएस रोगियों को प्रति दिन 50 ग्राम वसा लेनी चाहिए। जबकि एक स्वस्थ वयस्क के लिए प्रतिदिन 2000 कैलोरी आहार में 65 ग्राम वसा अनुशंसित है। एक ग्राम वसा आपको लगभग 9 कैलोरी देती है। आपकी दैनिक ऊर्जा में वसा की मात्रा 20 से 35 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए।
3. मसालेदार भोजन : मसालेदार भोजन से आईबीएस के लक्षण बिगड़ जाते हैं। मिर्च में कैप्साइसिन नामक यौगिक होता है, जो आंतों में कुछ रिसेप्टर्स से जुड़ जाता है और आंतों में भोजन के आगे बढ़ने की रफ्तार को बढ़ा देता है। इसके कारण पेट में दर्द और जलन होने लगती है। ईरान में हुए एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि मसालेदार भोजन नहीं करने वाले लोगों कि तुलना में मसालेदार भोजन करने वालों में आईबीएस होने की आशंका ज्यादा होती है। महिलाओं में ऐसा अंतर ज्यादा देखने को मिलता है।
हालांकि, कुछ वैज्ञानिक इस अध्ययन को सही नहीं मानते हैं, क्योंकि यह अध्ययन एशियाई लोगों पर किया गया था और यूरोपीय मूल के लोगों की तुलना में यहां प्रति व्यक्ति प्रति सप्ताह मिर्च की औसत खपत ज्यादा होती है। इसके अलावा एक पूर्व के अध्ययन के अनुसार लंबी अवधि तक लाल मिर्च के सेवन (गोली के रूप में लेने पर, जो दवा को सीधे पेट में घोलती है) से आईबीएस के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। इसमें पेट फूलना और दर्द जैसे लक्षण भी शामिल हैं। अगर मसालेदार खाने से आपके लक्षण बिगड़ते हैं तो अच्छा यही रहेगा कि आप इनके सेवन से परहेज करें।
4. डेयरी उत्पाद : कुछ लोगों ने दूध जैसे डेयरी प्रोडक्ट से भी आईबीएस के लक्षण बिगड़ने की शिकायत की है। माना जाता है कि डेयरी उत्पादों में पायी जाने वाली शुगर, लैक्टोज आईबीएस रोगियों में दूध के नकारात्मक प्रभाव के लिए जिम्मेदार है। कुछ लोगों में लैक्टेट डीहाइड्रोजिनेज नाम के एक एंजाइम की कमी होती है, जिसकी मदद से शरीर में लैक्टोज का पाचन होता है। ऐसे लोग डेयरी उत्पादों को पचा नहीं पाते हैं। अगर आप भी लैक्टोज इनटोलरेंस से पीड़ित हैं, तो आपकी आंत में मौजूद माइक्रोब्स लैक्टोज को स्मॉल चेन फैटी एसिड में तोड़ देंगे। यह आपकी आतों में वैसा ही असर दिखाएगा, जैसा वसायुक्त भोजन दिखाता है।
हालांकि, एक डबल ब्लाइंड अध्ययन में लैक्टेज सप्लीमेंटेशन को इस स्थिति में मददगार नहीं पाया गया। इसलिए, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि लैक्टोज आईबीएस के लक्षणों को ट्रिगर करता है। इसके बजाय, दूध में मौजूद कुछ अन्य प्रोटीन को इस प्रभाव के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
5. कैफीन : हालांकि, ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो यह सुनिश्चित करता हो कि कैफीन के सेवन से आईबीएस के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं। यह साबित हो चुका है कि कॉफी जैसे कैफीन युक्त खाद्य पदार्थ से लैक्सेटिव इफेक्ट हो सकता है और यह डायरिया का कारण बन सकता है। कोला जैसे कैफीन युक्त पेय भी आईबीएस रोगियों के लिए अच्छे नहीं माने जाते, क्योंकि उनमें भी गैस होती है। वयस्कों के लिए प्रति दिन 400 मिलीग्राम कैफीन को सुरक्षित माना जाता है। इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि आप प्रतिदिन चार (240 मिली लीटर) कप कॉफी, आठ (240 मिली लीटर) कप चाय या तीन से चार एनर्जी ड्रिंक पी सकते हैं। हालांकि, अच्छा यह रहेगा कि आप समझें कि वे कौन से कारण हैं, किस चीज से आपके लक्षण बिगड़ते हैं और डॉक्टर से बात करें कि आपकी स्थिति के अनुसार आप कितनी कैफीन ले सकते हैं।
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6. शराब : आईबीएस के लक्षणों के लिए शराब को एक ट्रिगर के तौर पर माना जाता है। शराब शरीर में डिहाइड्रेशन का कारण बनती है और आईबीएस रोगियों में कब्ज की समस्या को बढ़ा सकती है। हालांकि, अमेरिका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय में हुई एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि शराब के सेवन से आईबीएस के लक्षण बिगड़ सकते हैं, लेकिन उनमें जो अत्यधिक शराब (प्रतिदिन 4 ड्रिंक से ज्यादा) पीते हैं। जो लोग नियंत्रित मात्रा में (प्रतिदिन तीन ड्रिंक से कम) पीते हैं, उनमें शराब कोई प्रभाव नहीं दिखाती। आमतौर पर माना जाता है कि बियर से आईबीएस के लक्षण बिगड़ जाते हैं। बहरहाल, शराब और आईबीएस के बीच संबंध को स्थापित करने के लिए और अधिक अध्ययनों की जरूरत है।
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यदि आप आईबीएस से पीड़ित हैं, तो ध्यान रखें :
अगर आप महिला हैं तो प्रतिदिन एक ड्रिंक से ज्यादा ना लें और पुरुष दो ड्रिंक प्रतिदिन से ज्यादा का सेवन ना करें। दिलचस्प बात यह भी है कि लिवर रोगों से बचाव के लिए शराब के सेवन की अधिकतम सीमा यही है। यही नहीं, सप्ताह में कम से कम दो दिन ऐसे रखें, जिसमें आप शराब ना पिएं।
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