एचआईवी से ग्रस्त महिलाओं के लिए एक अच्छी खबर है। एचआईवी संक्रमण के इलाज में जिस दवा को मेडिकल विशेषज्ञ और शोधकर्ता क्रांतिकारी बता रहे थे, उसने महिलाओं से जुड़े ट्रायल में भी बेहतरीन परिणाम दिए हैं। 'कैबटीग्रेवर' नामक इस इन्जेक्टिड ड्रग को दो महीनों में केवल एक बार लेना होता है। शोधकर्ता इसे पुरुषों और ट्रांसजेंडरों पर पहले ही आजमाकर देख चुके हैं और अब महिलाओं के लिए भी यह दवा प्रतिदिन ली जाने वाली पिल ट्रुवाडा से ज्यादा प्रभावी पाई गई है।
प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार दि न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) की रिपोर्ट के मुताबिक, एचआईवी की रोकथाम के लिए इस ड्रग को साल में केवल छह बार लेना पड़ेगा, जबकि मौजूदा उपचार के तहत इस्तेमाल हो रही ट्रुवाडा पिल को साल के 365 दिन लेना पड़ता है। दवा से जुड़ी और भी परेशानियां, जो कैबटीग्रेवर के मामले में देखने को नहीं मिली है। इसी के चलते शोधकर्ताओं ने इसे एचआईवी संक्रमित महिलाओं के लिए 'गेमचेंजर' बताया है।
वास्तव में 'गेमचेंजर'
आंकड़े बताते हैं कि इस नए ट्रीटमेंट के लिए ऐसा कहना गलत नहीं है। साल 2019 में दुनिया में एचआईवी के जितने मामले सामने आए, उनमें से लगभग आधे महिलाओं से जुड़े थे। एचआईवी और एड्स के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के एक अभियान 'यूएनएड्स' के आंकड़ों के हवाले से जानकार बताते हैं कि सब-सहारा अफ्रीका में 15 से 19 साल के बीच के हर छह युवा एचआईवी संक्रमितों में से पांच महिलाएं होती हैं। ऐसे इलाकों में इन्जेक्शन आधारित यह नया प्रिवेंशन ट्रीटमेंट काफी मददगार साबित हो सकता है।
इस इन्जेक्शन को यूनाइटेड किंगडम स्थित फार्मास्यूटिकल कंपनी वीआईआईवी हेल्थकेयर ने तैयार किया है। इन्जेक्शन की क्षमता पर बात कते हुए कंपनी की रिसर्च एंड डेवलेपमेंट हेड डॉ. किंबर्ली स्मिथ कहती हैं, 'अगर हम इस महामारी (एड्स) का अंत करना चाहते हैं तो हमें इसके संक्रमण को महिलाओं में फैलने से रोकना होगा। इसलिए यह अध्ययन महत्वपूर्ण है। यह (एचआईवी संक्रमित) महिलाओं के लिए एक बेहतरीन विकल्प देता है।'
इस नए उपचार से पहले एचआईवी पीड़ित महिलाएं संक्रमण की रोकथाम के लिए अलग-अलग दवाओं के केवल एक प्रोफेलेक्सिस या प्रेप (PrEP) समूह पर निर्भर थीं। यह मेडिकेशन कोर्स एचआईवी को रोकते हुए शरीर में उसकी मात्रा कम करने का काम करता है। एम्ट्रिसीटाबिन और टेनोफोवीर से मिल कर बने इस ड्रग कॉम्बिनेशन को ट्रुवाडा कहते हैं, जिसे अमेरिकी दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने तैयार किया है। इसी कंपनी ने एचआईवी के डेस्कॉवी नामक ड्रग को विकसित किया है, जिसे अक्टूबर 2019 में अप्रूव किया गया था। लेकिन यह दवा केवल एचआईवी संक्रमित पुरुषों और ट्रांसजेंडर के लिए है।
बहरहाल, एनवाईटी से बातचीत में मेडिकल विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रेप आधारित पिल लेने में महिलाओं को काफी संघर्ष करना पड़ता है। अलग-अलग कारणों के चलते प्रतिदिन पिल नहीं लेने की वजह से उन्हें अपने सेक्शुअल पार्टनर से संक्रमण की सच्चाई छिपाने या अपने मेडिकेशन को लेकर नेगोशिएट करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। वे कहते हैं, 'हम ऐसी प्रेप रणनीति का इंतजार कर रहे थे, जो महिलाओं के लिए विशेष रूप से काम करे। हमें लगता है कि अब हमारे पास यह विकल्प आ गया है। इसलिए यह बहुत ज्यादा उत्साहजनक है।'
हालांकि इलाज का बेहतर विकल्प होने के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि यह दवा गरीब देशों के लिए सस्ते दामों पर उपलब्ध हो। मौजूदा समय में गिलियड साइंसेज द्वारा निर्मित ट्रुवाडा अमेरिका जैसे देश में भी काफी महंगी साबित हुई है, जिसके चलते एचआईवी संक्रमितों की एक बहुत बड़ी संख्या इसका लाभ नहीं ले पाती। ऐसे में नए ड्रग के प्रभावी होने के अलावा सस्ता होना भी महत्वपूर्ण है।
अध्ययन के परिणाम
एचआईवी संक्रमण की रोकथाम के संबंध में कैबटीग्रेवर को लेकर किए गए दावे से पहले शोधकर्ताओं ने इसे रैंडमाइज, डबल-ब्लाइंड क्लिनिकल ट्रायल के तहत एचआईवी संक्रमितों पर आजमाया। सब-सहारा अफ्रीका के सात देशों में 20 अलग-अलग केंद्रों में 3,223 प्रतिभागियों को कैबटीग्रेवर और उसकी तुलना के लिए ट्रुवाडा दी गई। इन लोगों को उनके एचआईवी से संक्रमित होने के अंदेशे के चलते अध्ययन में शामिल किया गया था।
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वैज्ञानिकों के मुताबिक, जिन लोगों को ट्रुवाडा दी गई थी, उनमें से 34 को ट्रायल के दौरान एचआईवी हो गया। वहीं, कैबटीग्रेवर इन्जेक्शन वाले समूह में केवल चार लोग इस संक्रमण का शिकार हुए। डॉ. स्मिथ ने बताया कि इन चार में से भी दो ने इन्जेक्शन लेना बंद कर दिया था। आंतरिक विश्लेषण में पुष्टि हुई कि यह लॉन्ग-एक्टिंग इन्जेक्शन ट्रुवाडा से 89 प्रतिशत ज्यादा असरदार है। इसके बाद ट्रायल से जुड़े स्वतंत्र डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड ने ट्रायल को समय से पहले ही रोकने का फैसला किया। गौरतलब है कि इसी तरह के सकारात्मक परिणामों के चलते पिछले अध्ययन को भी समयपूर्व रोक दिया गया था, जबकि उसे 2020 तक चलना था।
इन परिणामों से उत्साहित कई मेडिकल विशेषज्ञों ने अपनी खुशी जाहिर की है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की एचआईवी एक्सपर्ट डॉ. मोनिका गांधी ने एनवाईटी से बातचती में कहा है, 'मैं इस अध्ययन के परिणामों को जानकर बहुत ज्यादा उत्साहित हूं। मुझे यह स्वीकारना होगा कि मैं बेसब्री से इन परिणामों का इंतजार कर रही थी।' डॉ. गांधी ने बताया कि नए ड्रग को रेफ्रिजरेट करने की भी कोई जरूरत नहीं है, लिहाजा मोबाइल क्लिनिक और कम्युनिटी सेंटर भी इसे महिलाओं को मुहैया करा सकते हैं।