एचएसवी वायरस तौलिए या शौचालय की सीट शेयर करने से नहीं फैलता है। शरीर के बाहर,हर्पीस वायरस कुछ सेकेंड से अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता है। साबुन और पानी के इस्तेमाल से हर्पीस वायरस खत्म हो जाता है।
हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस टॉयलेट सीट, तौलिए, कपड़े और मेडिकल उपकरणों पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है लेकिन अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है जिससे ये साबित हो कि हर्पीस वायरस कपड़ों से फैलता है।
आप सेक्सोलॉजिस्ट से अपनी जांच करवा सकते हैं और इसके लिए डॉक्टर एचएसवी ब्लड टेस्ट करते हैं जिससे हर्पीस की पुष्टि की जा सकती है। इससे बचने के लिए सेक्स करते समय कंडोम का उपयोग करें, लक्षण दिखने पर सेक्स न करें (जननांग, गुदा या त्वचा से त्वचा)। मुंह में छाला होने पर किस न करें और बहुत अधिक यौन साथी न बनाएं।
हां, यह हर्पीस का लक्षण हो सकता है। आपको बिना कोई देरी किए डॉक्टर से मिलें और इसकी जांच करवा कर जल्द से जल्द इसका इलाज शुरू कर दें। लम्बे समय तक क्रीम लगाना आपकी प्रॉब्लम का इलाज नहीं है इसलिए डॉक्टर की मदद से इसका परमानेंट इलाज करें।
एचएसवी-1 वायरस एक ही बर्तन में खाने और लिप बाम आदि शेयर करने से हो सकता है। एचएसवी-1 के लक्षणों में मुंह में छाला होना, खुजली, फ्लू के लक्षण जैसे बुखार, लसिका ग्रंथि में सूजन, सिरदर्द, थकान और भूख न लगना शामिल हैं। अगर आपमें ये लक्षण नजर आ रहे हैं तो आपको हर्पीस होने की संभावना है। हर्पीस वायरस संक्रमित व्यक्ति की स्किन से टच होने पर भी फैलता है। हो सकता है कि आपको इसी तरह अपनी बहन से ये वायरस मिला हो।
जैसे कि आपने बताया कि आपको मुंह में फफोले हो रहे हैं जो कि हर्पीस का ही एक लक्षण हैं। इसके अलावा सिरदर्द और थकान भी होती है तो आपको हर्पीस हो चुका है लेकिन आपके मुंह के फफोले देखे बिना हम कुछ भी कन्फर्म नहीं कह सकते हैं। आपकी प्रॉब्लम ज्यादा बढ़ गई है इसलिए अब आपको बिना कोई देरी किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
हर्पीस इन्फेक्शन संक्रामक है और यह मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से ही फैलता है। अगर आपको हर्पीस के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं तो भी बचाव के तौर पर आप डॉक्टर से जांच करवा सकती हैं। वहीं ये प्रॉब्लम आपके पार्टनर को है इसलिए आपमें आगे इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। यौन संबंध बनाने के दौरान जरूरी सावधानियां बरत कर आप इस समस्या से बच सकती हैं।
हर्पीस वायरस संक्रमण आसानी से फैलता है। आपकी रिपोर्ट से पता चलता है कि आपको पहले से ही ये संक्रमण था क्योंकि आईजीजी को बढ़ने में समय लगता है इसलिए इस बात की संभावना ज्यादा है कि आपने जब संबंध बनाए आपको उससे पहले से ही ये प्रॉब्लम थी। अगर आपको किसी तरह के लक्षण नहीं दिख रहे हैं इलाज करवाने की जरूरत नहीं है।
हर्पीस से प्रभावित व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। इसमें इम्युनिटी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, पहली बार हर्पीस आसानी से आपको अपनी चपेट में ले सकता है जबकि दूसरी बार ऐसा होना मुश्किल होता है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में टाइप 2 हर्पीस के एंटीबॉडीज मौजूद हैं तो उसमें टाइप 2 जेनाइटल हर्पीस होने का खतरा काफी कम है।