हर्पीस एक प्रकार का वायरल संक्रमण है, जिसकी वजह से खासतौर पर मुंह और जननांगों पर फफोले एवं घाव हो जाते हैं। हर्पीस से खुजली वाले दर्दनाक फफोले या घाव होते हैं जो कभी आते हैं व कभी चले जाते हैं। हर्पीस से ग्रस्त कई लोग घावों पर ध्यान नहीं देते या उन्हें किसी और चीज का घाव मान लेते हैं, इसलिए उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे संक्रमित हैं। आप हर्पीस को तब भी फैला सकते हैं, जब आपको कोई लक्षण अनुभव न हों। हर्पीस एक दीर्घकालिक समस्या है। हालांकि, बहुत से लोगों में वायरस मौजूद होने के बाद भी लक्षण नहीं दिखते। इसके लक्षणों में फफोले, अल्सर, पेशाब में दर्द, मुंह में छाले और योनि स्राव शामिल हैं।

हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (एचएसवी) संक्रमण के दो प्रकार हैं - हर्पीस टाइप 1 (एचएसवी-1, या मौखिक हर्पीस), इसमें मुंह और होंठ के आसपास घाव बनते हैं। हर्पीस टाइप 2 (एचएसवी-2, या जननांग हर्पीस) एचएसवी -2 में, संक्रमित व्यक्ति के जननांगों या मलाशय के आसपास घाव हो सकते हैं। हालांकि, एचएसवी -2 के घाव अन्य अंगों पर भी हो सकते हैं, ये घाव आमतौर पर कमर के नीचे होते हैं। सामान्य तौर पर, एचएसवी-2 से संक्रमित किसी व्यक्ति के साथ यौन संपर्क के दौरान आप एचएसवी-2 से संक्रमित हो सकते हैं।

होम्‍योपैथी ट्रीटमेंट से हर्पीस के गंभीर घाव या प्राथमिक संक्रमण से राहत पाने में मदद मिलती है। लंबे समय तक उपचार लेने से फफोले दोबारा होने का खतरा भी कम हो जाता है। हर्पीस के उपचार में इस्‍तेमाल होने वाली सामान्‍य होम्‍योपैथिक दवाओं में आर्सेनिक एल्‍बम, हेपार सल्‍फुरिस, ग्रेफाइट्स, मरर्क्‍युरिअस सॉल्‍युबिलिस, नेट्रियम मुरिआटिकम, पेट्रोलियम, रस टॉक्सिकोडैंड्रॉन और सेपिया ऑफिसिनेलिस शामिल हैं। हर व्‍यक्‍ति को दवा की अलग खुराक दी जाती है।

  1. हर्पीस की होम्योपैथिक दवा - Herpes ki homeopathic medicine
  2. होम्योपैथी में हर्पीस के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Herpes ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
  3. हर्पीस की होम्योपैथी दवा कितनी लाभदायक है - Herpes ki Homeopathy medicine kitni faydemand hai
  4. हर्पीस के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Herpes ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
  5. हर्पीस के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Herpes ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
हर्पीस की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

हर्पीस सिंपलेक्‍स के इलाज में इस्‍तेमाल होने वाले होम्‍योपैथिक दवाओं के नाम नीचे बताए गए हैं। मरीज के लक्षण के आधार पर होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक निम्‍न दवा लेने की सलाह देते हैं।

  • आर्सेनिक एल्‍बम (Arsenicum Album)
    सामान्‍य नाम :
    आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड (Arsenic trioxide)
    लक्षण : इस दवा से निम्‍न लक्षणों से राहत मिलती है -
    • मुंह और जीभ पर अल्‍सर के साथ जलन होना
    • सूखे, छिलकेदार और रूखे फोड़े होना, जो कि कुछ ठंडा लगने और खरोंच लगने पर और खराब हो जाता है।
    • योनि में जलन होने के साथ पतला डिस्‍चार्ज होना
    • जननांग हर्पीस होने पर पुरुषों में लिंग के सिरे का नीला पड़ना, सूजन और स्किन फटना
    • बहुत ज्‍यादा बेचैन रहना
    • चिंता खासतौर पर सेहत को लेकर
    • कमजोरी और थोड़ा-सा काम करने पर भी थकान होना
    • थोड़ी-थोड़ी देर में प्‍यास लगना, लेकिन कम पानी पीना
       
  • ग्रेफाइट्स (Graphites)
    सामान्‍य नाम :
    ब्‍लैक लेड (Black lead)
    लक्षण : ये दवा तंत्रिका तंत्र और रक्‍त वाहिकाओं पर काम करती है। इससे निम्‍न लक्षणों को ठीक किया जा सकता है - 
    • जीभ पर छाले होने के साथ अत्‍यधिक लार और मुंह से बदबू आना
    • होंठों की अंदरूनी सतह एवं मुंह के किनारों पर अल्‍सर और दरार आना
    • ठोड़ी और मुंह के आसपास पपड़ी जैसे फोड़े होना
    • पीठ में कमजोरी महसूस होने के साथ अत्‍यधिक पतला वजाइनल डिस्‍चार्ज (योनि से स्राव)
    • पेनिस पर हर्पीस होना
    • वल्‍वा पर छालेदार फफोलों के साथ जांघों का रगड़ना
    • घाव से गाढ़ा डिस्‍चार्ज होना
       
  • हीपर सल्‍फ्युरिस (Hepar Sulphuris)
    सामान्‍य नाम 
    : सल्‍फयुरेट ऑफ लाइम (Sulphuret of lime)
    लक्षण : नीचे बताए गए लक्षणों को हीपर सल्‍फ्युरिस से ठीक किया जा सकता है -
    • मुंह के किनारों पर अल्‍सर और फफोले होना जिन्हें छूने पर तेज दर्द हो
    • यौन अंगों पर फोड़े और बदबूदार डिस्‍चार्ज होना
    • माहवारी के दौरान खुजली ज्‍यादा होना
    • पेनिस के सिरे और अंडकोश की थैली पर खुजली के साथ अल्‍सर होना। हर्पीस के दाने बहुत संवेदनशील होते हैं जिनमें से आसानी से ब्लीडिंग हो सकती है।
    • मरीज को ठंड ज्‍यादा लगती हो
    • ग्रंथियों में सूजन और जलन एवं पस पड़ने का ज्‍यादा खतरा रहना
       
  • मरर्क्‍यूरियस सॉल्‍युबिलिस (Mercurius Solubilis)
    सामान्‍य नाम 
    : क्‍विकसिल्‍वर (Quicksilver)
    लक्षण : मरर्क्‍यूरियस सॉल्‍युबिलिस दवा उन लोगों को दी जाती हैं, जिनमें इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं:
    • पीले पस वाले दाद और होंठों एवं ठोड़ी पर छोटे अल्‍सर
    • मुंह के किनारों पर दरार और अल्‍सर
    • होंठों पर नमकीन स्‍वाद आना
    • सूखे, फटे हुए और रूखे होंठ, छूने पर जलन होना
    • अत्‍यधिक लार, पसीना आना और प्‍यास लगना
    • जननांगों पर खुजलीदार फफोले, सूजन और जलन होना
    • सेक्‍स के दौरान मूत्रमार्ग में जलन महसूस होना
    • जननांगों पर अल्‍सर और पुटिका (स्किन पर फ्लूइड से भरा उभार) जिसमें दर्द हो
    • योनि से हरे रंग का डिस्‍चार्ज होने के साथ खुजली और जलन होना जो कि रात के समय बढ़ जाए
       
  • नेट्रम म्‍यूरिएटिकम (Natrium Muriaticum)
    सामान्‍य नाम :
    कॉमन सॉल्‍ट (Common salt)
    लक्षण : ये दवा उन लोगों पर ज्‍यादा असर करती है जो संवेदनशील और ज्‍यादा सोचते हैं एवं आसानी से रो पड़ते हैं। ये तैलीय त्‍वचा, एनीमिया, कम वजन वाले एवं आसानी से ठंड लगने वाले और नमक ज्‍यादा खाने का मन करने वाले लोगों पर भी असर करती है। इसके अलावा नीचे बताए गए लक्षणों से भी राहत मिलती है -
    • जीभ और मुंह के आसपास फफोले और जलन का अहसास होना
    • होंठों पर पुटिका खासतौर पर नीचे वाले होंठ पर, इसमें सूजन और जलन भी होना
    • मुंह के किनारों का सूखना, फटना और अल्‍सर होना
    • जीभ, होंठों और नाक पर सुन्‍नता एवं झनझनाहट
    • अंडकोष की थैली और जांघों के बीच खुजली व रगड़ लगना
    • यौन अंगों से बहुत तेज बदबू आना
    • योनि से गाढ़ा और साफ डिस्‍चार्ज एवं वल्‍वा में खुजली के साथ योनि के बाल कम आना
       
  • पेट्रोलियम (Petroleum)
    सामान्‍य नाम 
    : क्रूड रॉक ऑयल (Crude rock-oil)
    लक्षण : हर्पीस सिंप्‍लेक्‍स इंफेक्‍शन से संबंधित नीचे बताए गए लक्षणों से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति के लिए ये दवा असरकारी है - 
    • होंठों और मुंह के किनारों पर पपड़ीदार दाने जैसे दर्दभरे फफोले होना, नीचे वाले होंठ पर दाना
    • जांघों और गुदा के आसपास खुजलीदार हर्पीस के फफोले होना। जननांगों की त्‍वचा लाल, फटी हुई, ब्‍लीडिंग, रूखी या नम हो जाती है।
    • योनि से अत्‍यधिक सफेद डिस्‍चार्ज होना
    • सर्दी में लक्षण और गंभीर हो जाते हैं
       
  • रस टॉक्सिकोड्रेंडन (Rhus Toxicodendron)
    सामान्‍य नाम 
    : पॉइजन इवी (Poison ivy)
    लक्षण : निम्‍न लक्षणों के इलाज में ये दवा असरकारी है -
    • फ्लूइड से भरे पीले घाव जिनमें चुभन, जलन और खुजली हो
    • मुंह और ठोड़ी पर फफोले
    • मुंह के किनारों पर अल्‍सर
    • जीभ का फटना, दर्द होना और रूखापन
    • जननांगों में जलन, सूजन के साथ लाल रंग के खुजलीदार फफोले
       
  • सेपिया ऑफिसिनेलिस (Sepia Officinalis)
    सामान्‍य नाम 
    : इंकी जूस ऑफ कटलफिश (Inky juice of cuttlefish)
    लक्षण : ये दवाई हर्पीस सिंप्‍लेक्‍स से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति में निम्‍न लक्षणों को ठीक करने में प्रभावकारी है - 
    • मुंह और होंठों के आसपास पीले रंग के फफोले
    • होंठों में रूखापन और फटना, साथ ही अंदर की तरफ दर्दभरे अल्‍सर होना
    • जननांगों के आसपास खुजली और फफोले
    • पेनिस पर अल्‍सर के साथ वृषण में दर्द होना
    • गर्भाशय ग्रीवा में चुभने वाला दर्द और जलन होना, योनि से पीला, हरे रंग का डिस्‍चार्ज होना
    • पांच महीने की प्रेगनेंसी के बाद गर्भपात करवाने की इच्‍छा

(और पढ़ें - हर्पीस का आयुर्वेदिक इलाज)

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होम्‍योपैथी उपचार लेने के दौरान मरीज को कुछ बातों का ध्‍यान रखना पड़ता है, जैसे -

क्‍या करें

  • चूंकि, होम्‍योपैथी दवाओं की बहुत कम खुराक दी जाती है इसलिए इन दवाओं को ठीक तरह से रखें।
  • हर मौसम में खुली हवा में एक्‍सरसाइज करें
  • रोज वॉक करना और मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए हल्‍का व्‍यायाम करना
  • कुछ तरह के व्‍यायाम से मस्तिष्‍क को भी आराम मिलता है
  • स्‍वस्‍थ और पौष्टिक आहार लें

क्‍या न करें

अपने आहार और जीवनशैली में ऐसा कुछ भी शामिल न करें जिसका दवा पर असर पड़ सकता हो, जैसे -

  • तेज खुशबू वाले खाद्य और पेय पदार्थ जैसे कि कॉफी, हर्बल टी, औषधीय मसालों से बनी शराब और मसालेदार चॉकलेट का सेवन 
  • औषधियों से बने टूथ पाउडर और माउथवॉश 
  • कमरे में तेज खुशबू वाले फूल
  • मसालों, जड़ी बूटियों से तैयार खाद्य पदार्थ और सॉस
  • फ्रोजन फूड जैसे कि आइस्‍क्रीम
  • सूप में कच्‍ची जड़ी बूटियां, खाने में औषधीय जड़ी बूटियां
  • सेलरी, अजमोद, बासी चीज़ और मांस न खाएं
  • गतिहीन जीवनशैली तुरंत छोड़ दें। दोपहर में देर तक सोने से हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए ऐसा करने से बचें।
  • स्‍वस्‍थ रहने के लिए मानसिक तनाव से दूर रहना जरूरी है।

(और पढ़ें - हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट क्या है)

हर्पीस सिंप्‍लेक्‍स एक बहुत ही संक्रामक संक्रमण है। दुनियाभर में 370 करोड़ लोग 50 साल की उम्र से पहले एचएसवी-1 इंफेक्‍शन की चपेट में आते हैं, जबकि 41.7 करोड़ लोग 15 से 49 साल की उम्र के बीच एचएसवी-2 से संक्रमित होते हैं।

अगर एक बार किसी को हर्पीस इंफेक्‍शन हो जाए तो फिर कोई भी दवा पूरी तरह से संक्रमण से छुटकारा नहीं दिला सकती। सिर्फ वायरल-रोधी दवाएं ही लक्षणों को कम और इनसे राहत दिला सकती हैं। अगर इन्‍हें नियमित लिया जाए तो इससे बार-बार हर्पीस के फफोले होने के खतरे को भी कम किया जा सकता है। पहली बार संक्रमण का इलाज करने से लंबे समय से हो रहे इंफेक्‍शन को रोका नहीं जा सकता है और अगर लक्षण दिखने के बाद पहले कुछ घंटों में ही इलाज ले लिया जाए तो सबसे ज्‍यादा फायदा होता है।

वायरल-रोधी दवाएं संक्रमण को फैलने से नहीं रोकती हैं। इसके अलावा एकिक्‍लोविर, वैलासाइक्लोविर, फैम्सिक्लोविर और पेनसिक्‍लोविर जैसी वायरल-रोधी दवाओं से लंबे समय तक हर्पीस संक्रमण से सुरक्षा मिलते हुए नहीं देखा गया है।

(और पढ़ें - हर्पीस के घरेलू उपाय)

मरीज भी लगातार वायरल-रोधी दवाओं का सेवन करते-करते हताश हो जाते हैं, क्‍योंकि उन्‍हें इस इलाज से हर्पीस से पूरी तरह से छुटकारा नहीं मिल पाता है। हर्पीस की वजह से सिर्फ मुश्किलों का ही सामना नहीं करना पड़ता, बल्कि मानसिक तनाव भी रहता है।

हर्पीस इंफेक्‍शन को पूरी तरह से ठीक करने में होम्‍योपैथी दवाएं असरकारी हैं। ये बीमारी के लक्षणों को रोकने की बजाय उसका गहराई से इलाज करती हैं, जिससे मरीज को लंबे समय तक उस बीमारी से राहत मिलती है। होम्‍योपैथी दवाएं घाव को ठीक कर स्थिति को जटिल होने से रोकती हैं और मरीज की इम्‍युनिटी को बढ़ाती हैं। इस तरह हर्पीस दोबारा नहीं होता।

जननांगों में हर्पीस से ग्रस्‍त 53 मरीजों पर एक अध्‍ययन किया गया था। इसमें होम्‍योपैथी उपचार लेने वाले मरीजों में सुधार देखा गया और अगले चार साल में सिर्फ कुछ ही लोगों को देाबारा हर्पीस हुआ था।

होम्‍योपैथी दवाएं बहुत पतली और प्रभावशाली होती हैं। इनके कोई साइड इफेक्‍ट भी नहीं होते हैं और इनका इस्‍तेमाल पूरी तरह से सुरक्षित है। हालांकि, अनुभवी होम्‍योपैथी चिकित्‍सक की देखरेख में ही उपचार लेना चाहिए।

हर्पीस एक सामान्‍य वायरल संक्रमण है, जिसकी वजह से त्‍वचा पर दर्दभरे और खुजलीदार फफोले होते हैं। एलोपैथी दवाओं से हर्पीस को पूरी तरह से ठीक और इसे दोबारा होने से रोका नहीं जा सकता है। होम्‍योपैथी उपचार बहुत सुरक्षित है, क्‍योंकि इसके कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं।

किसी भी होम्‍योपैथी दवा के इस्‍तेमाल से पहले चिकित्‍सक से सलाह जरूर लें। मरीज की स्थिति के बारे में सब कुछ जानने के बाद ही चिकित्‍सक उसे कोई दवा देते हैं।

Dr. Anmol Sharma

Dr. Anmol Sharma

होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Sarita jaiman

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होमियोपैथ
11 वर्षों का अनुभव

Dr.Gunjan Rai

Dr.Gunjan Rai

होमियोपैथ
11 वर्षों का अनुभव

DR. JITENDRA SHUKLA

DR. JITENDRA SHUKLA

होमियोपैथ
24 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Whitley RJ. Herpes simplex virus infection.. Semin Pediatr Infect Dis. 2002 Jan;13(1):6-11. PMID 12118847
  2. Merck Sharp & Dohme Corp. [Internet]. Kenilworth, NJ, USA; Herpes Simplex Virus (HSV) Infections.
  3. World Health Organization [Internet]. Geneva (SUI): World Health Organization; Herpes simplex virus.
  4. Fatahzadeh M, et al. Human herpes simplex virus infections: epidemiology, pathogenesis, symptomatology, diagnosis, and management.. J Am Acad Dermatol. 2007 Nov;57(5):737-63; quiz 764-6.
  5. William Beoricke. Homeopathic Materia Medica.. Homeopathic Materia Medica. Médi-T,2000.
  6. Wenda Brewster O’really PhD. Organon of the Medical art. Dr Samuel Hahnemann, 1st edition 2010 , 3rd impression 2017, pg 227, 228 and 229, aphorisms 259, 261 and 263.
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