हर्पीस नामक इन्फेक्शन हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (एचएसवी) के कारण होता है। हर्पीस के दौरान मुंह या जननांगों में या उसके आसपास घाव या फफोले होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, साथ ही कुछ अन्य लक्षण जैसे दर्द और खुजली, लिम्फ नोड्स में सूजन, बुखार, थकान और अस्वस्थ महसूस करना इत्यादि भी सामान्यतः देखा जाता है।

इस दौरान कई भोज्य पदार्थों से परहेज की आवश्यकता होती है एवं आहार में कई चीजों का ध्यान रखकर इस बीमारी के संक्रमण, लक्षणों एवं इसके पुनः होने पर रोक लगाई जा सकती है।  
इस लेख मे हम हर्पीस होने पर क्या खाना चाहिए, परहेज और भोजन में किए जाने वाले परिवर्तन की चर्चा करेंगे। यही नहीं, आपके साथ एक भारतीय डाइट प्लान भी साझा करेंगे, आइये जानते हैं :

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  1. हर्पीस में क्या खाना चाहिए - Diet during Herpes infection in Hindi
  2. हर्पीस में क्या नहीं खाना चाहिए और परहेज - Food we should avoid for recurrence of Herpes in Hindi
  3. हर्पीस के इंफेक्शन के लिए भारतीय डाइट प्लान - Indian Diet plan for Herpes in Hindi
हर्पीस में क्या खाना चाहिए, क्या न खाएं और डाइट प्लान के डॉक्टर

इस रोग के प्रकोप के दौरान रोगी को फफोले वाली जगह पर दर्द, थकान, बुखार और बेचैनी आदि जैसी समस्या हो सकती है। इस दौरान कमजोरी, मांसपेशियों कम होना और आगे संक्रमण को नियंत्रित रखने के लिए, ऊर्जा और प्रोटीन से भरपूर आहार लेने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसे में अपने पूरे दिन के भोजन को 6 भोजन में विभाजित करें और प्रत्येक भोजन में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से मिश्रित भोजन लेने की कोशिश करें, जैसे कि नाश्ते में चिकन या पनीर सैंडविच, मध्य आहार में फ्रूट शेक, दोपहर के भोजन में सांबर-चावल और रात में मोटे अनाज की रोटी के साथ सोया करी आदि।

(और पढ़ें - हर्पीस के घरेलू उपाय)

हर्पीस में खाएं इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फूड - Make your immunity strong during Herpes in Hindi

कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोगों को यह समस्या बार-बार परेशान करती है। यहां हमने प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने वाले एवं रोग की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए डाइट संबंधित बदलाव के विषय में बताया है, आइये जानते हैं :

विटामिन ए, सी, ई एवं जिंक से भरपूर आहार लें
ये विटामिन और मिनरल, आपके प्रतिरक्षा तंत्र को उत्तम बनाने में मदद करते हैं, जिससे हर्पीस जैसे संक्रमण को कम करने एवं जल्दी ठीक होने में मदद मिल सके। विटामिन ए, हमारे पेट एवं त्वचा के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, इसके लिए अपने आहार में  गाजर, पपीता, कद्दू, शकरकंद आदि शामिल करें। विटामिन सी इन्फेक्शन से लड़ने के लिए एवं शरीर में एंटीबॉडी बनाने के लिए काफी अच्छा एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है, इसके लिए खट्टे फल (नींबू, संतरा, मौसम्बी), हरी पत्तेदार सब्जियां और टमाटर आदि का सेवन करें। इनके अलावा सूरजमुखी के बीज में विटामिन ई और जस्ता दोनों काफी अच्छी मात्रा होते हैं, इनका भी नियमित सेवन कर सकते हैं। इनके अलावा कई साक्ष्य, विटामिन बी 6, फोलेट, आयरन और सेलेनियम के सेवन से भी प्रतिरक्षा के उत्तम होने और इस रोग को दूर रखने, की पुष्टि करते हैं, इनसे युक्त सप्लीमेंट के लिए आप अपने डॉक्टर से भी चर्चा कर सकते हैं।

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अपने आहार में हर्ब एवं मसाले जरूर शामिल करें
ऐसे कई साक्ष्य हैं जो मसालों एवं हर्ब में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट एवं उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं, इनका भरपूर फायदा लेने के लिए अपने नियमित आहार में हल्दी, काली मिर्च, लौंग, सोंठ, लहसुन, ऑरेगैनो आदि का अपने सलाद, सब्जियां, दालों, अचार आदि के द्वारा सेवन कर सकते हैं। इनके नियमित एवं उचित मात्रा में सेवन से, इस रोग के लक्षणों पर नियंत्रण पाने में सफलता प्राप्त होती है।

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हर्पीस में खाना चाहिए इंफेक्शन रोकने वाले आहार - Food to control the Herpes infection in Hindi

कुछ भोज्य पदार्थ एवं पोषक तत्व, इस संक्रमण को बढ़ाने का काम करते हैं एवं कुछ इन्हें नियंत्रित करने का। यहां हमने उन्ही भोज्य पदार्थों का उल्लेख किया है :

लाइसिन से भरपूर भोजन लें
एक शोध के अनुसार इस बीमारी में लाइसिन का प्रयोग स्थिति को नियंत्रित करने में सहायक साबित होता है। इसलिए लाइसिन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की कोशिश करें जैसे : कम वसा में पका मीट, चिकन और पोर्क, मछली विशेष रूप से कॉड और पेडवे (सार्डिन), पनीर, सोयाबीन, स्पाइरुलिना (एक प्रकार का खाया जाने वाला शैवाल), मेथी के बीज, आदि को अपने आहार में शामिल करें। (और पढ़ें - मछली के फायदे)

आर्जिनिन युक्त भोजन को कम मात्रा में लें
आर्जिनिन एक एमीनो एसिड है जो कई स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं जैसे कि हृदय रोग, स्तम्भन दोष / इरेक्टाइल डिसफंक्शन आदि में सहायक साबित होता है, लेकिन कुछ तथ्य ये बताते हैं कि आर्जिनिन के उच्च स्तर से हर्पीस के लक्षणों में बढ़ोतरी देखी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हर्पीस वायरस को बढ़ने में आर्जिनिन मुख्य भूमिका निभाता है। चॉकलेट, सूखे मेवे और बीज (हेज़लनट्स, पेकान, मूंगफली, बादाम, अखरोट, काजू, आदि) डिब्बाबंद मछली और जिलेटिन, टमाटर, अंगूर, ब्लैकबेरी और ब्लूबेरी इत्यादि में आर्जिनिन ज्यादा मात्रा में होते हैं और यदि आप पहले से ही हर्पीस के इंफेक्शन से पीड़ित हैं, तो इन खाद्य पदार्थों के प्रयोग से बचने की कोशिश करें।

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इंडल-3-कार्बिनोल से भरपूर भोजन लें
इंडल-3-कार्बिनोल एक प्राकृतिक तत्व है जो कि क्रुसिफेरौस सब्जियों में अच्छी मात्रा में पाया जाता है जैसे कि पत्ता गोभी, फूलगोभी, ब्रोकोली, सरसों, शलजम आदि। यह तत्व इस वायरस के सेल साइकिल के लिए अवरोधक का काम करता है, जो इस इंफेक्शन को बढ़ने से रोकता है। अतः इस समस्या से पीड़ित व्यक्तियों को, इस इंफेक्शन को रोकने के लिए, इस समूह की सब्जियों को अपने आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए।

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हर्पीस में खाएं वजन बढ़ने से रोकने वाले आहार - Watch your weight in herpes in Hindi

एक रिसर्च स्टडी में बताया गया है कि मोटापा इस इंफेक्शन के दोबारा होने के लिए उत्प्रेरक का कार्य करता है। ऐसे में यदि आप इस इंफेक्शन से ग्रसित हैं, तो अपनी बीएमआई की जांच अवश्य करें और ओवरवेट या ओबीस केटेगरी आए तो वजन नियंत्रित करने की कोशिश करें। इसके लिए अपनी उम्र, लम्बाई एवं वजन के अनुपात में कैलोरी का सेवन करें। इसके साथ ही अपने आहार में प्रोटीन एवं फाइबर की मात्रा उच्च रखें, जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सके। इसलिए नियमित तौर दालें, फलियां, दूध एवं दूध से बनी चीजें, अंडे, कम वसा युक्त मीट, सभी रंग बिरंगी सब्जियां एवं फलों का सेवन करें।

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कुछ स्थितियां और भोजन ऐसे हैं, जो इस संक्रमण को दोबारा बढ़ाने के लिए कारक के रूप में काम करते हैं। यहां हमने, उनमें से ऐसे ही भोज्य पदार्थों एवं उनके रोकथाम का उल्लेख है :

1. शुगर को कहें ना
कई रिसर्च स्टडी, शुगर यानी चीनी एवं खराब इम्यून सिस्टम के बीच के एक करीबी रिश्ता बताते हैं। ये शरीर में, रोगों से रक्षा करने वाली सफेद रक्त कोशिकाओं के कार्य को धीमा कर देती है। अपने आहार में सफेद चीनी, सोडा, फलों के जूस, एनर्जी ड्रिंक्स, मिठाइयां, केक, पेस्ट्री आदि से परहेज करके कम कर सकते हैं। यदि इनके अलावा, आप इस इंफेक्शन से लड़ने के लिए अपने प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो कोई भी सामान खरीदते समय न्यूट्रिशन लेबल अवश्य पढ़ें एवं शुगर की मात्रा कम होने पर ही खरीदें। (और पढ़ें - सफेद रक्त कोशिकाएं कैसे बढ़ाएं)

2. अनहेल्थी वसा का न करें प्रयोग
संतृप्त वसा जो कमरे के तापमान पर ठोस होती है, आपके द्वारा खाए गए वसायुक्त मीट, मक्खन और चीज, नारियल तेल और ताड़ के तेल इत्यादि में काफी ज्यादा मात्रा में पाई जाती है। इनके अलावा डिब्बाबंद और पैकेट वाले भोजन भी अर्टिफिकल ट्रांस फैट और खराब गुणवत्ता के तेल के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। यह सभी हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर करने एवं इस इंफेक्शन के दोबारा होने में बढ़ावा देने का काम करते हैं। इनकी जगह अच्छी गुणवत्ता एवं पोषक तत्त्वों युक्त वसा का प्रयोग करें जैसे कि जैतून का तेल, सूरजमुखी तेल, अलसी का तेल, सूरजमुखी के बीज आदि। इनमें मौजूद पूफा, मूफा, ओमेगा 3 एवं ओमेगा 6 हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को अच्छा बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं, जो कि हर्पीस से पुनः संक्रमित होने से रोकने और लक्षणों को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।

(और पढ़ें - हर्पीस का होम्योपैथिक इलाज)

3. प्रोसेस्ड फूड है नुकसानदायक
प्रोसेस्ड फूड में पोषक तत्वों की मात्रा लगभग ना के बराबर होती है एवं इससे होने वाले स्वास्थ्य संबंधित नुकसान कहीं ज्यादा होते हैं। कई अध्ययन प्रोसेस्ड फूड के प्रयोग एवं शरीर में इन्फ्लेशन/ सूजन एवं इंफेक्शन के बढ़ने की पुष्टि करते हैं। इनके अलावा ये भोज्य पदार्थ, हमारे पेट के बैक्टीरिया का भी संतुलन बिगाड़ देते हैं, जिस कारण से प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना एवं इस इंफेक्शन के दोबारा होने के आसार काफी बढ़ जाते हैं। इनके लिए अपने डाइट से अल्ट्रा प्रोसेस्ड (फलों के जूस, रेडी टू ईट फूड, चिप्स, बिस्किट्स, केक मिक्स, इंस्टेंट नूडल आदि) एवं प्रोसेस फूड (आधा पकाया हुआ पैकेट वाला भोजन, कैंड फूड, पैकेट वाले कबाब आदि) दोनों प्रकार के भोजन से परहेज करें। इनकी जगह घर में बने हुए, ताजा भोजन लेने की कोशिश करें। 

4. अल्कोहल के प्रयोग को करें जल्दी से जल्दी बंद
अल्कोहल आपके इम्यून सिस्टम के कार्य को धीमा कर देता है,  ऐसे में इसके नियमित सेवन से आपके शरीर में हर्पीस दोबारा होने की आशंका बढ़ जाती है और संक्रमण का ठीक होना भी मुश्किल हो जाता है। अल्कोहल आंत के बैक्टीरिया को भी कार्य करने से रोकते हैं, जिनका एक मुख्य कार्य, शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करना होता है। यह जीआई ट्रेक में कुछ संरचनाओं को भी नुकसान पहुंचाता है, जो कि रोग की स्थिति को भी बिगाड़ने का कार्य कर देती हैं, तो इस बीमारी की स्थिति को ठीक करने और भविष्य में होने वाले संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए शराब एवं शराब युक्त पेय पदार्थों का प्रयोग जल्दी से जल्दी बंद कर दें।

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यहां हमने एक सैंपल डाइट प्लान साझा किया है, जिसे हर्पीस के संक्रमण के दौरान एवं उसके बाद भी लिया जा सकता है, ताकि आपके शरीर को बीमारी की पुनरावृत्ति या दोबारा होने से बचाया जा सके :

 सुबह खाली पेट - गर्म पानी (1 गिलास) + किशमिश (8-10) + खजूर (2)
 सुबह का नाश्ता - पनीर / अंडा सैंडविच (2) + स्ट्रॉबेरी स्मूदी (1 गिलास)
 मध्य आहार - फलों का सलाद (1 प्लेट) + भुने हुए सूरजमुखी के बीज के साथ (2 चम्मच)
 दोपहर का भोजन - पालक चपाती (2) / वेज पुलाव (1 कटोरी) + सोया करी (1 कटोरी) + कोई भी मौसमी हरी सब्जी (1-2 कटोरी) + सलाद (1 कटोरी)
 शाम की चाय - हर्बल चाय (1 कप) + अंकुरित भेल (1 कटोरी)
 रात का खाना - चपाती (2) + सोया करी (1 कटोरी) + मिश्रित सब्जियां (1-2 कटोरी)
 सोते समय - हल्दी दूध (1 गिलास)

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संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia [Internet]. US National Library of Medicine. Bethesda. Maryland. USA; L-Arginine
  2. Mailoo Venthan J, et al.Lysine for Herpes Simplex Prophylaxis: A Review of the Evidence. Integr Med (Encinitas). 2017 Jun; 16(3): 42–46. PMID: 30881246
  3. Griffith R S, et al. Relation of arginine-lysine antagonism to herpes simplex growth in tissue culture. Chemotherapy. 1981; 27(3): 209-13. PMID: 6262023
  4. Karjala Zuzana, et al. Association between HSV1 Seropositivity and Obesity: Data from the National Health and Nutritional Examination Survey, 2007–2008. PLoS One. 2011; 6(5): e19092. PMID: 21589933
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