आजकल लोग घर से ज़्यादा बाहर का खाना ज़्यादा पसंद करते हैं। बाहर के खाने का स्वाद उन्हें अपनी तरफ़ आकर्षित करता है। यही वजह है कि चाहे ऑफिस हो या कॉलेज कैंटीन या होटल, हर जगह पर लोगो की भीड़ दिखाई देती है।

वहीं कुछ लोग अपने घर से बाहर रहते हैं इसलिए भी उन्हे बाहर का भोजन खाना पड़ता है। बाहर का खाना आपको स्वादिष्ट तो लगता है, साथ ही साथ आपको खाना बनाने से छुट्टी भी मिल जाती है, लेकिन कई बार आपको यह खाना मुश्किल में भी डाल देता है।

बाहर मिलने वाले खाने में हर जगह हाइजीन (स्वच्छता) का ध्यान नही रखा जाता है। ना ही सब्जियों को ठीक से साफ किया जाता है। ना ही इस्तेमाल किया जाने वाला तेल अच्छी क्वालिटी का होता है। इस वजह से यह खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नही होता है।

बारिश के मौसम में बाहर का खाना बहुत जल्दी खराब या संक्रमित हो जाता है। और जब आप इस खाने को खाते हैं तो आप फूड पाइज़निंग (विषाक्त भोजन) का शिकार हो जाते हैं। इसलिए इसके लिए हम आपको बता रहें हैं फूड पाइज़निंग से बचने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे

फूड पाइज़निंग होने पर 3-4 दिन तक हमारे काम का नुकसान होता है क्योंकि इसके होने पर हमें कई समस्याए होती है जैसे: -

कुछ खाद्य पदार्थो के सेवन से आप इस समस्या से बच सकते हैं। तो आइए जानते हैं कुछ प्रभावी फूड पाइज़निंग रेमेडीेज़ के बारे में - 

  1. फूड पॉइजनिंग के लिए नींबू के फायदे - Food poisoning ka gharelu upay hai lemon in Hindi
  2. फूड पॉइजनिंग के लिए सेब का सिरका के फायदे - Apple cider vinegar hai food poisoning se bachne ka tarika in Hindi
  3. फूड पॉइजनिंग के लिए तुलसी के फायदे - Food poisoning ka upay hai tulsi in Hindi
  4. फूड पॉइजनिंग के लिए दही के फायदे - Curd hai food poisoning home remedies in Hindi
  5. फूड पॉइजनिंग के लिए लहसुन के फायदे - Food poisoning ka gharelu nuskha hai garlic in Hindi
  6. सारांश

नींबू में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं। इसलिए नींबू के सेवन से फूड पाइज़निंग वाले बैक्टीरिया मर जाते हैं। इसलिए खाली पेट आपको नींबू पानी पीना चाहिए। आप इसे दिन में दो बार भी पी सकते हैं।

  • गर्म पानी में नींबू का रस और थोड़ा सा शहद मिलाकर इसे पी लें।
  • नींबू पानी में शक्कर डालकर आप इसका शरबत भी पी सकते हैं।

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सेब के सिरके में एक ऐसा अम्ल होता है जो शरीर के मेटाबोलिज्म रेट को बढ़ाता है। इस प्रकार यह फूड पाइज़निंग के कई लक्षणों को दूर कर सकता है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लाईनिंग को शांत कर जीवाणुओं को मारता है, इससे आपको तत्काल राहत मिलती है।

  • दो चम्मच सेब के सिरके को एक कप गरम पानी में मिलाएं। इसे खाना खाने से पहले पी लें।
  • आप चाहें तो दो से तीन चम्मच सेब के सिरके के पी सकते हैं।

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पेट में फूड पाइज़निंग के चलते जो परेशानियां होती हैं, उनसे राहत दिलाने में तुलसी बहुत मदद करती है। इसमें मौजूद रोगाणुरोधी गुण सूक्ष्म जीवों से लड़ते हैं। आप तुलसी का इस्तेमाल कई तरीके से कर सकते हैं।

एक कटोरी दही लीजिए और उसमे तुलसी की पत्तियां, काली मिर्च और थोड़ा सा नमक डालें। दिन में दो बार इसका सेवन करें, जब तक इसके लक्षण समाप्त नही हो जाते हैं। तुलसी की पत्तियों को पानी और चाय की पत्ती के साथ उबालकर काढ़ा बना लें और दिन में दो बार लें। आप चाहें तो हल्की सी शक्कर भी डाल सकते हैं।

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दही एक प्रकार का एंटीबायोटिक है इसलिए फूड पाइज़निंग इलाज के लिए आपको इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

आप दही में पानी और शक्कर डालकर इसे पतला घोट कर लस्सी के समान पी सकते हैं। दही में थोड़ा सा काला नमक डालकर इसे खा लेंगे तब भी फायदा मिलेगा। 

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लहसुन में भी एंटी फंगल गुण होते हैं। इसलिए इसे खाने से पेट में यदि दर्द हो, तो वो दूर हो जाता है। यह दस्त जैसी समस्याओं को भी दूर करता है।

सुबह खाली पेट आप लहसुन की कच्ची कलियां पानी के साथ खा लें। यह हाई बीपी में भी फायदेमंद है। आप चाहे तो इसका रस बनाकर भी पी सकते हैं।
सोयाबीन का तेल गरम करें, उस वक्त उसमें लहसुन की कलियां डाल दें। इस तेल से खाना खाने के बाद मालिश करने से आपको फायदा मिलता है। 

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यदि ये घरेलू उपचार इस्तेमाल करने के बाद भी आपको कोई फायदा नही मिल रहा है तो बिना देर किए चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। 

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फूड पाइजनिंग को रोकने के लिए कुछ सरल घरेलू उपाय कारगर हो सकते हैं। सबसे पहले, खाने से पहले और खाना पकाने से पहले हाथ अच्छी तरह धोना जरूरी है। ताजे फल और सब्जियों को साफ पानी से धोकर उपयोग करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और उसे ढककर रखें ताकि बैक्टीरिया न पनपें। बासी या खराब दिखने वाले भोजन को तुरंत फेंक दें। अदरक, नींबू, और हल्दी जैसे घरेलू तत्व भी संक्रमण रोकने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, साफ पानी पीने और बर्फ का उपयोग करते समय ध्यान रखना जरूरी है ताकि बैक्टीरियल संक्रमण से बचा जा सके।

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