अक्सर बुखार आने पर हम चिंता से घिर जाते हैं, लेकिन बुखार चिंता का नहीं बल्कि सचेत हो जाने का संकेत होता है। दरअसल, बुखार हमें यह संकेत देता है कि शरीर के अंदर के कुछ गड़बड़ी चल रही है।
बुखार तब होता है जब आपके मस्तिष्क का एक हिस्सा, जिसे हाइपोथैलेमस (जिसे आपके शरीर की "थर्मोस्टेट" भी कहा जाता है) कहा जाता है, आपके शरीर के सामान्य तापमान के निर्धारित बिंदु को ऊपर ले जाता है। शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) है।
दिनभर में इसमें उतार-चढ़ाव आता है जैसे कि अधिकतर लोगों के शरीर का तापमान शाम के समय अधिक रहता है। शरीर का सामान्य तापमान भी हर व्यक्ति में अलग होता है। माना जाता है कि जब किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) तक या इससे ऊपर पहुंच जाए, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति को बुखार है।
बुखार के लिए डॉक्टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवाएं जैसे कि पैरासिटामोल और एस्प्रिन के हानिकारक प्रभाव भी होते हैं। हालांकि, बुखार के अंतर्निहित कारण को ठीक करने और बुखार को कम करने में होम्योपैथिक दवाएं बहुत असरकारी हैं।
होम्योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक तत्वों से तैयार किया जाता है और इनके कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं। होम्योपैथिक दवाएं जैसे कि एकोनिटम नैपेल्लस और बेलाडोना अचानक हुए बुखार के इलाज में उपयोगी हैं। जिस बुखार में धीरे-धीरे लक्षण सामने आते हैं उसमें फेरम फास्फोरिकम और बुखार के साथ ठंड लगने में ब्रायोनिया अल्बा उपयोगी हैं।