मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो मस्तिष्क व नसों को प्रभावित करती है और इस बीमारी वाले व्यक्ति को अक्सर सीजर या दौरे पड़ते हैं। अधिकांश मामलों में दौरों के कारण की पहचान नहीं हो पाती है। मिर्गी किसी भी प्रकार की मानसिक मंदता का संकेत नहीं है। यह बीमारी संक्रामक भी नहीं है अर्थात एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती है। यह देखा गया है कि लगभग 50% बच्चे वयस्क होने तक मिर्गी की बीमारी से बाहर निकल आते हैं। मिर्गी के दौरान व्यक्ति को या तो जनरलाइज्ड सीजर (जिसमें पूरा मस्तिष्क या फिर मस्तिष्क का बढ़ा हिस्सा प्रभावित होता है) या फोकल सीजर (मस्तिष्क का कोई विशेष भाग प्रभावित होता है) आ सकते हैं।
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जनरलाइज्ड एब्सेंस सीजर (ऐसे दौरे जिसमें व्यक्ति कुछ सेकंड के लिए होश खो देता है) आमतौर पर बचपन में शुरू होते हैं, लेकिन वयस्कों में भी हो सकते हैं। ये दौरे कम अवधि तक रहते हैं। घूरना, चेहरे के भाव कम हो जाना, प्रतिक्रिया न करना और अचानक काम करते हुए रुक जाना, आदि एब्सेंस सीजर के सामान्य लक्षण होते हैं। व्यक्ति जल्दी ही इससे बाहर आ जाता है लेकिन उसको दौरे के बारे में कुछ भी याद नहीं रहता है। जनरलाइज्ड टॉनिक-क्लोनिक सीजर अचानक बेहोश हो जाने के साथ मांसपेशियों की अकड़न के बाद झटके लगने से शुरू होते हैं। अन्य लक्षण जैसे त्वचा का लाल होना या नीली पड़ना, जीभ काटना, पेशाब को न रोक पाना और भ्रम की स्थिति, आदि भी जनरलाइज्ड टॉनिक-क्लोनिक सीजर के दौरान आम है। फोकल सीजर, जिसे आंशिक दौरे के रूप में भी जाना जाता है, मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को प्रभावित करता है। इसमें शरीर का असामान्य रूप से हिलना, असामान्य भावनाएं और व्यवहार जैसे लक्षण पैदा होते हैं।
ज्यादातर मामलों में, मिर्गी का कारण पता नहीं चल पाता है। हालांकि, सिर की चोट, संक्रमण या मस्तिष्क में ट्यूमर, स्ट्रोक, मादक द्रव्यों के सेवन और वंशानुगत कारकों को संभावित कारणों के रूप में देखा जाता है।
मिर्गी की जांच करने के लिए, डॉक्टर व्यक्ति की पूरी मेडिकल हिस्ट्री लेते हैं और दौरे पड़ने से जुड़े लक्षणों के बारे में पूछताछ करते हैं। तंत्रिका तंत्र की जांच भी की जाती है। इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी (ईईजी) और एमआरआई मस्तिष्क के कार्य की निगरानी और मस्तिष्क की विस्तृत छवियों को प्राप्त करके मिर्गी की जांच करने के लिए उपयोगी टेस्ट होते हैं।
कई होम्योपैथिक दवाएं हैं जिन्हें मिर्गी के इलाज में मददगार माना जाता है। बेलाडोना, ऐगारिकस और नक्स वोमिका, आदि दवाएं इनमें शामिल हैं।
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