आंध्र प्रदेश के इलुरु में 'अज्ञात' बीमारी मामले में दो और लोगों की मौत होने की खबर है। हालांकि उनकी मौत को सीधे बीमारी से नहीं जोड़ा गया है। राज्य सरकार का कहना है कि दोनों पीड़ित दूसरे हेल्थ कॉम्प्लिकेशंस के कारण मारे गए हैं, जिनसे वे काफी पहले से ग्रस्त थे। अधिकारियों की मानें तो इन दोनों मरीजों में से एक ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) था, जबकि दूसरा कोविड-19 की चपेट में आया था। हालांकि रिपोर्टों में इन पीड़ितों में अज्ञात बीमारी के 'अजीब' लक्षण दिखने की बात कही गई है। राज्य सरकार ने चार और लोगों की हालत अस्थिर बताई है। लेकिन उनके मामले में भी उसने अज्ञात बीमारी की भूमिका से इनकार किया है। हालांकि रिपोर्टों में उनके लक्षण (बेहोशी, दौरा पड़ना आदि) भी अज्ञात बीमारी से संबंधित बताए गए हैं, जो दूसरे मरीजों में भी देखे गए हैं।

खबर के मुताबिक, गुरुवार को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में इलाज के दौरान इन दोनों पीड़ितों ने दम तोड़ दिया। इसी दिन आंध्र प्रदेश की वाईएस जगनमोहन रेड्डी सरकार ने इस घटना के पीछे के कारणों को लेकर अलग-अलग लैबोरेटरीज से आ रही रिपोर्टों की स्टडी करने के लिए पैनल का गठन किया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस बीच इस घटना से जुड़े पीड़ितों की संख्या 600 के पार (611) चली गई है। गुरुवार को अलग-अलग अस्पतालों में इस घटना से संबंधित 31 नए लोगों को भर्ती किया गया है, जिनमें अज्ञात बीमारी के कथित अजीब लक्षण दिखाई दिए हैं।

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क्या कोरोना वायरस के सैनिटाइजेशन के कारण फैली बीमारी?
इससे पहले बुधवार को इलुरु मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने अनुमान के तहत बताया था कि शायद कोविड-19 की रोकथाम के लिए किए जा रहे सैनिटाइजेशन के चलते प्रभावित इलाके का पानी दूषित हुआ है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इलाके में कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में क्लोरीन और ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल किया गया था। विशेषज्ञों के हवाले से अखबार ने बताया कि संभवतः इसी कारण से लोग बीमार पड़े। हालांकि आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एक कृष्णा श्रीनिवास ने अखबार से बातचीत में कहा कि यह उन वजहों में से एक है, जिसकी सरकार जांच कर रही है।

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उधर, इलुरु के म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, हेल्थ डिपार्टमेंट और रेवेन्यू डिपार्टेमेंट के अधिकारियों और वैज्ञानिकों की एक टीम गठित की गई है, जो इलाके के पानी के दूषित होने के पीछे के सोर्स का पता लगाएगी। इसके अलावा, दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी के अलावा दूसरे संस्थानों ने भी राज्य सरकार को सलाह दी है कि वह इलुरु में वाटर कंटेमिनेशन के सोर्स का पता लगाने पर फोकस करे ताकि मामले की असल वजह का पता लगाया जा सके। इस बाबत बुधवार को सीएम वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के साथ एक वर्चुअल बैठक भी की थी।

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