डिप्थीरिया के कुछ होम्योपैथिक उपचार निम्नलिखित हैं :
लैकेसिस म्यूटस
सामान्य नाम : बुशमास्टर या सुरुकुकु (लैकेसिस)
लक्षण : यह उपाय सांप के जहर से बना होता है। यह उन स्थितियों के उपचार में मदद करता है जो सेप्सिस (एक तरह का ब्लड इंफेक्शन) का कारण बनते हैं। यह ब्लीडिंग की प्रवृत्ति को कम करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करता है :
(और पढ़ें - ब्लड इंफेक्शन की होम्योपैथिक दवा)
- गले में मटमैला, काले रंग की झिल्ली बनना
- लंबे समय से गले की खराश जिसकी वजह से निगलने में कठिनाई होती है
- गले का दर्द, जो गर्म पेय पीने से बढ़ जाता है
- शरीर के बाईं ओर से समस्याएं शुरू होना
- डिप्थीरिया से संक्रमित होने के बाद देखने से जुड़ी समस्याएं
- लेटने पर घुटन महसूस होना
- लैरिंक्स यानी स्वरयंत्र में दर्द, विशेषकर छूने पर
- त्वचा पर परप्यूरिया (खून के धब्बे)
यह लक्षण वसंत के मौसम में, आंख बंद करने पर, सोने के बाद, गर्म पानी से नहाने या गर्म पेय पीने से खराब हो जाते हैं। जबकि गर्म सिकाई से इन लक्षणों में सुधार होता है।
लाइकोपोडियम क्लैवेटम
सामान्य नाम : क्लब मॉस (लाइकोपोडियम)
लक्षण : यह उपाय उनके लिए निर्धारित किया जाता है, जिन्हें पेशाब या पाचन संबंधित समस्याएं हैं। इस उपाय से जिन्हें फायदा होता है, उनके लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और यह लक्षण शरीर में दाएं से बाएं ओर बढ़ते हैं। यह निम्नलिखित लक्षणों में भी मददगार है :
यह लक्षण (गले और पेट के लक्षणों को छोड़कर, जिसमें गर्म पेय लेने से राहत मिलती है) गर्मी से, गर्म कमरे में और गर्म सिकाई से बढ़ जाते हैं। जबकि आधी रात, गर्म खाद्य और ड्रिंक्स लेने और ठंडे वातावरण में रोगी बेहतर महसूस करता है।
कैलियम बाइक्रोमिकम
सामान्य नाम : बाइक्रोमैट ऑफ पोटैश (कैली बाइक्रोमिकम)
लक्षण : यह उपाय विशेष रूप से वायुमार्ग और जठरांत्र प्रणाली की श्लेष्म झिल्ली को प्रभावित करता है। यह किडनी और हृदय पर भी असर करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक करने में मदद करता है :
- माइग्रेटिंग पेन यानी अलग-अलग समय पर शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द उठना
- एनीमिया (और पढ़ें - एनीमिया के घरेलू उपचार)
- दर्द व साथ में नाक की जड़ पर दबाव महसूस होना
- नाक से गाढ़ा, रूखा, हरे-पीले रंग का डिस्चार्ज
- मुंह सूखना व साथ में जीभ चिकनी, चमकदार, सूखी व लाल होना
- पैरोटिड ग्रंथियों में सूजन
- मुंह और नाक से झागदार डिसचार्ज होना
यह लक्षण सुबह या बीयर पीने पर बिगड़ जाते हैं। जबकि गर्मी से इनमें सुधार होता है।
मर्क्यूरियस आयोडैटस रबर
सामान्य नाम : बिन-आयोडाइड ऑफ मर्क्यूरी
लक्षण : इस उपाय का उपयोग निम्नलिखित लक्षणों के इलाज में किया जाता है :
(और पढ़ें - लार ग्रंथि संबंधी विकार का इलाज)
एकोनिटम नेपेलस
सामान्य नाम : मॉन्कशूद
लक्षण : आमतौर पर अचानक व तेज संक्रमण के साथ बुखार होने की स्थिति में यह उपाय दिया जाता है। यह चिंतित, बेचैन और घबराए हुए लोगों पर अच्छा असर करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी दूर करता है :
- सिर भारी लगना व साथ में सिर में जलन और धमक जैसा दर्द होना
- लाल और सूजी हुई आंखें, ऐसा एहसास होना जैसे आंख में बालू के कण चले जाना
- नाक बंद हो जाना व श्लेष्म झिल्ली सूख जाना
- नाक से ब्लीडिंग होना
- गला सूखना व साथ में जलन और चुभने जैसा एहसास होना
- टॉन्सिल में सूजन
- संक्रमित त्वचा
(और पढ़ें - त्वचा संक्रमण का इलाज)
यह लक्षण शाम और रात में, गर्म कमरे में और प्रभावित हिस्से के बल लेटन पर खराब हो जाते हैं, लेकिन खुली हवा में रहने पर इनमें सुधार होता है।
आर्सेनिकम एल्बम
सामान्य नाम : आर्सेनिक एसिड, आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड
लक्षण : आर्सेनिकम एल्बम का इस्तेमाल एनीमिया और सेप्टिक इंफेक्शन व प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने पर किया जाता है। यह निम्नलिखित लक्षणों को ठीक करने में भी असरदार है :
(और पढ़ें - इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय)
- नाक से पानी आना
- मुंह के छाले
- मुंह सूखना
- मसूड़ों का स्वस्थ न होना
- गले में सूजन व साथ-साथ निगलने में कठिनाई
- गले में डिप्थीरिटिक झिल्ली, जो सूखी और झुर्रीदार दिखाई देती है
- सोरायसिस
(और पढ़ें - सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज)
यह लक्षण आधी रात के बाद, नम मौसम में और कोल्ड ड्रिंक्स के सेवन पर बढ़ जाते हैं। गर्म पेय लेने और सिर को ऊंचा रखने पर रोगी बेहतर महसूस करता है।
ब्रोमियम
सामान्य नाम : ब्रोमीन (ब्रोमम)
लक्षण : यह उपाय उन लोगों में निर्धारित किया जाता है, जिनमें श्वसन समस्याएं वॉयस बॉक्स और श्वसन नली को प्रभावित करती हैं। इसका इस्तेमाल निम्नलिखित लक्षणों के प्रबंधन में भी किया जा सकता है :
- गला बैठना (और पढ़ें - गला बैठने का इलाज)
- निगलने के दौरान टॉन्सिल में दर्द होना (और पढ़ें - टॉन्सिलाइटिस की होम्योपैथिक दवा)
- सांस लेने पर श्वसन नली में गुदगुदी जैसा महसूस करना
- सूखी खंसी व साथ ही साथ ब्रेस्ट बोन के पीछे वाले हिस्से में जलन जैसा दर्द
- लेरिंजियल डिप्थेरिया - एक ऐसी स्थिति जिसमें लैरिंक्स (वॉयस बॉक्स) में डिप्थीरिया झिल्ली बनना शुरू होती है और ऊपर की ओर फैलती है
यह लक्षण देर शाम, आराम करते समय और गर्म कमरे में रहने पर बिगड़ जाते हैं, लेकिन व्यायाम करने, चलने फिरने से इनमें सुधार होता है।
कैंथारिस वेसिकेटोरिया
सामान्य नाम : स्पेनिश फ्लाई (कैंथारिस)
लक्षण : इस उपाय से निम्नलिखित लक्षणों को ठीक करने में मदद मिलती है :
- जीभ पर परत जम जाना
- गले और मुंह में जलन (और पढ़ें - मुंह में जलन के घरेलू उपाय)
- तरल पदार्थ निगलने में कठिनाई
- लैरिंक्स को छूने पर ऐंठन
(और पढ़ें - लेरिन्जाइटिस का इलाज)