डायबिटीज यानि ऐसी बीमारी जिसमें इलाज के नाम पर सिर्फ गिनी-चुनी दवाइयां हैं। लोग इस बीमारी से एक बार ग्रसित होने के बाद ताउम्र इससे जूझते रहते हैं। डायबिटीज के मरीजों को अपने खान-पान का खास ध्यान रखना पड़ता है। ऐसे समय में हृदय रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। हाल ही में आई एक रिसर्च से आप जान जाएंगे कि कैसे हृदय रोग डायबिटीज के मरीजों में मौत का कारण बन जाता है।

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  1. डायबिटीज हृदय रोगों का सबसे बड़ा कारण
  2. भारत और विश्व में डायबिटीज
  3. किसी भी जनसंख्या पर इसका प्रभाव
  4. स्टडी के रिजल्ट
  5. क्या कहते हैं आंकड़े
  6. डायबिटीज से क्यों बढ़ता है कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा

इस पर हुई स्टडी के अनुसार डायबिटीज मरीजों में हार्ट फेल के केस सबसे ज्यादा देखे गए हैं। कई बार तो ये भी पाया गया कि डायस्टोलिक डिस्फंक्शन के अभाव में भी लोगों का हार्ट फेल हो जाता है। 21 प्रतिशत मरीज जिन्हें पहले डायबिटीज था, उनका दस सालों के भीतर हार्ट फेल हो गया। वहीं दूसरी ओर वो मरीज जिन्हें डायबिटीज नहीं था वो हृदय रोग से बचे रहे। ये रिसर्च डीएम कार्डियोमायोपैथी को विस्तार से समझाती है। कार्डियोमायोपैथी डायबिटीज मैलिटस के मरीजों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हाइपरटेंशन और वाल्वुलर डिजीज को बढ़ावा देती है।

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विश्व में डायबिटीज एक बड़ा संकट है। ये भारत और पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मौतों का कारण है। डायबिटीज की वजह से मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर कॉम्प्लिकेशन बढ़ सकती है। डायबिटीज मैलाइटस में मृत्यु दर ज्यादा होती है। इन कॉम्प्लिकेशन्स की वजह से मरीजों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज, स्ट्रोक, एथिरोस्केलोरोसिस और हाइपरटेंशन हो सकता है। हाइपरटेशन के रहने से हार्ट फेल होने का खतरा ज्यादा रहता है।

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हॉन्ग चेन जो रोचेस्टर के मायो क्लीनिक में कार्डियोलॉजिस्ट हैं ने डायबिटीज मैलिटस को हृदय रोग उत्पन्न करने से रोकने के लिए एक स्टडी की। इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने डायबिटीज के ज्यादा समय तक रहने पर होने वाले हृदय रोगों पर रिसर्च की। इस दौरान उन्होंने हृदय तक पहुंचने वाले खून का प्रतिशत जांचा। इससे पता चला कि जितना खून हृदय के अंदर जा रहा था उतना बाहर नहीं आ पा रहा था। इस रिसर्च के बाद लोगों की मृत्यु दर को मापा गया।

इस पर की गई रिसर्च से पता चला कि डायबिटीज हार्ट फेल का एक स्वतंत्र कारण है। डाटा के पूरे हो जाने के बाद डायबिटीक कार्डियोमायोपैथी के बारे में पता चला। इस रिसर्च से ये पता चला कि चाहे हार्ट के नॉर्मल काम में किसी भी तरह की दिक्कत न आ रही हो, तब भी हार्ट फेल हो सकता है। डायबिटीज के मरीजों को इसलिए अपनी सेहत के प्रति सजग रहना चाहिए।

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  • 68 प्रतिशत लोग जिनकी उम्र 65 और इससे ज्यादा है और उन्हें डायबिटीज है, कुछ हृदय रोग से मर जाते हैं और 16 प्रतिशत स्ट्रोक की वजह से।
  • व्यस्क जिन्हें डायबिटीज है उनमें हृदय रोगों से मौत होने का खतरा बिना डायबिटीज वालों से चार गुना ज्यादा रहता है
  • अमेरिका की हार्ट एसोसिएशन ने कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के सात अहम कारणों में से एक डायबिटीज को माना गया है।

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  • हाई बीपी की वजह से इंसुलिन रेजिस्टेंट बढ़ती है। जब किसी मरीज को हाई बीपी और डायबिटीज एक साथ हो जाता है तो कार्डियोवैस्कुलर डिजीज होने का खतरा दोगुना हो जाता है।
  • कोलेस्ट्रोल का बिगड़ना और ट्राइग्लेसराइड्स का बढ़ना लिपिड डिसऑर्डर को बढ़ाता है। इस डिसऑर्डर की वजह से डायबिटीक डिसलिपिडेमिया हो सकता है।
  • ज्यादा मोटापे की वजह से इन्सुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाती है।
  • ठीक तरीके से एक्सरसाइज न करने की वजह से इ्सुलिन रेजिस्टेंट बढ़ने से हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
  • जो लोग धूम्रपान करते हैं और अगर उन्हें डायबिटीज है तो हृदय रोग से मौत हो सकती है।
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