भारत में कोरोना वायरस 'सार्स-सीओवी-2' से होने वाली बीमारी 'कोविड-19' के मरीजों की संख्या 147 हो गई है। देश में इससे अब तक तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में आम लोगों का घबराना स्वाभाविक है। हालांकि सरकार ने साफ किया है कि कोविड-19 अभी भी भारत के लिए 'महामारी' नहीं है। वहीं, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने हाल में बताया था कि भारत में नया कोरोना वायरस अभी दूसरी स्टेज में है। गौरतलब है कि कोविड-19 के फैलाव को लेकर मेडिकल विशेषज्ञ चार स्टेजों या चरणों का जिक्र कर रहे हैं। myUpchar की इस रिपोर्ट में जानिए कि आखिर ये चार चरण क्या हैं और भारत के दूसरे चरण में होने का क्या मतलब है।

(और पढ़ें - कोरोना वायरस के डर को भगाएं, घर में हैंड सैनिटाइजर बनाएं)

पहला चरण
इसमें बीमारी उन दूसरे देशों से आती है जो इससे पहले से प्रभावित होते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में कोविड-19 के लगभग सभी केस इटली, ईरान, दुबई, मलेशिया, थाइलैंड आदि देशों से जुड़े हुए हैं। हमारे देश के कई नागरिक हाल के समय में इन देशों की यात्रा पर थे। उसी दौरान सार्स-सीओवी-2 पूरी दुनिया समेत इन देशों में भी तेजी से फैला। दुर्भाग्यवश वहां हमारे कुछ नागरिक वायरस के संपर्क में आए और इसे अपने साथ लेकर स्वदेश लौटे। चूंकि सार्स-सीओवी-2 के लक्षण कुछ दिनों बाद दिखाई देते हैं, इसलिए शुरू में संक्रमित व्यक्तियों का पता नहीं चला। बाद में उनके कोविड-19 से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई। 'इसे पहला चरण या स्टेज-1' कहते हैं।

(और पढ़ें - इन बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है कोरोना वायरस)

दूसरा चरण
यह नौबत तब आती है जब वायरस संक्रमित व्यक्ति के जरिये बहुत छोटे स्तर पर फैलता है। वायरस के इस तरह फैलने से आमतौर पर वे लोग प्रभावित होते हैं, जो पहले से संक्रमित व्यक्ति के करीबी होते हैं। यानी कि उसके परिवार के लोग, करीबी रिश्तेदार और मित्र जो अनजाने में बार-बार पीड़ित के संपर्क में आते हैं और अमूमन उसके नजदीक रहते हैं। इसे किसी भी वायरस के फैलाव का 'दूसरा चरण' कहते हैं। मेडिकल विशेषज्ञ बताते हैं कि इस स्टेज में नए केसों और उनके कारणों का पता लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं होता, क्योंकि यह जानकारी आसानी से मिल जाती है कि प्रभावित व्यक्तियों में वायरस कहां से आया।

तीसरा चरण
इस स्टेज में बीमारी व्यापक रूप धारण कर लेती है। यह स्थिति आते-आते वायरस उन लोगों में भी फैलने लगता है जिनका पहले और दूसरे चरण के मरीजों से कोई संबंध नहीं होता। यानी न तो वे किसी अन्य देश की यात्रा कर लौटे और न ही पहले से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए, इसके बावजूद उनमें संक्रमण पाया गया। इसे 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' कहा जाता है, जिसमें यह पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि मरीजों में वायरस कहां से और कैसे आ रहा है। स्टेज 3 को समझने के लिए इटली, स्पेन और ईरान का उदाहरण लिया जा सकता है। चीन के बाद इन तीनों देशों में कोरोना वायरस ने कई प्रकार से लोगों को संक्रमित किया है। इसलिए इन तीनों देशों की सरकारों के लिए वायरस को नियंत्रित करना असंभव सा दिख रहा है।

(और पढ़ें - भारत में कोरोना वायरस से तीसरी मौत)

चौथा चरण
यह सबसे खतरनाक स्थिति है। इस स्टेज में बीमारी महामारी का रूप ले लेती है। इसका सीधा मतलब है कि अब स्वास्थ्य संकट कब और कैसे खत्म होगा, यह कहना मुश्किल है। चौथे चरण में बड़े पैमाने पर जनहानि हो सकती है। चीन और इटली के हालात को इसके ताजा उदाहरण के रूप में ले सकते हैं। लेकिन महामारी का प्रभाव कितना खतरनाक हो सकता है, यह समझने के लिए 'स्पैनिश फ्लू' के बारे में जानना चाहिए। साल 1918 में द्वितीय विश्व युद्ध के आखिरी दिनों में फैलना शुरू हुए इन्फ्लुएंजा (जिसे बाद में स्पैनिश फ्लू का नाम दिया गया) ने दुनिया की एक तिहाई आबादी को प्रभावित किया था और करीब पांच करोड़ लोगों की जान ले ली थी।

भारत के प्रयास प्रभावित करने वाले: डब्ल्यूएचओ
बहरहाल, आईसीएमआर ने साफ-साफ कहा है कि भारत में सार्स-सीओवी-2 फिलहाल दूसरी स्टेज में है। यानी यह विदेशों से आए लोगों और उनके करीबियों तक सीमित है। इसीलिए सरकार ने लोगों को घबराने की नहीं, बल्कि सावधानी बरतने की सलाह दी है ताकि स्टेज 3 की नौबत न आए। गौरतलब है कि हाल में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने एक अखबार से बातचीत में कहा था कि भारत के पास कोरोना वायरस को तीसरी स्टेज में पहुंचने से रोकने के लिए 30 दिनों का समय है। अच्छी बात यह है कि भारत ने अब तक कोरोना वायरस को रोकने के लिए प्रभावशाली प्रयास किए हैं।

(और पढ़ें - जानें क्यों कोरोना वायरस के चलते अमेरिका के करोड़ों लोग पर मंडरा रहा गंभीर स्वास्थ्य खतरा)

यह सही है कि देश में कोविड-19 के मरीजों की संख्या बढ़ी है, लेकिन यह खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने कहा है कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए भारत सरकार ने 'असाधारण' प्रतिबद्धता दिखाई है और उसके प्रयास काफी प्रभावित करने वाले हैं। मंगलवार को भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि हेंक बेकडम ने कहा, 'भारत सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रतिबद्धता काफी प्रभावशाली है। यह एक बड़ा कारण है कि भारत अभी भी ऐसा (कोरोना वायरस को रोकना) कर पा रहा है। मैं इससे काफी प्रभावित हूं कि यहां हर किसी को तैयार कर दिया गया है।' वहीं, दक्षिण-पूर्वी एशिया में डब्ल्यूएचओ की प्रतिनिधि पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा है कि कोरोना वायरस को लेकर भारत के प्रयास प्रोत्साहन देने वाले हैं।

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें