पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 6 अगस्त 2019 को हार्ट अटैक के कारण दिल्ली के एम्स अस्पताल में 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। गौरतलब है कि वे भारतीय जनता पार्टी की सुप्रसिद्ध नेता मानी जाती थीं। वे देश में केंद्रीय मंत्री (विदेश मंत्री) बनने से पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। फिलहाल इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि महिलाओं में हार्ट अटैक के कारण क्या हैं।
सुषमा स्वराज का दिसंबर 2016 में सफल किडनी प्रत्यारोपण हुआ था। शोध से पता चलता है कि यह हेमोडायलिसिस पर रहने वाले मरीजों की तुलना में हार्ट फेलियर से होने वाली मृत्यु के जोखिम को कम करता है, लेकिन यह जोखिम अभी भी सामान्य लोगों की तुलना में काफी ज्यादा है।
हालांकि, स्वराज को वास्तव में क्या हुआ, इसकी पूरी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक 6 अगस्त की रात लगभग 9.30 बजे उन्हें बेचैनी के चलते दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) लाया गया था, जहां उन्हें आपातकालीन वार्ड में भर्ती किया गया था।
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myUpchar.com से जुड़ी मेडिकल प्रैक्टिशनर डॉ. नबी दरिया वली बताती हैं कि ''दिल के अचानक काम बंद कर देने पर 'कार्डियक अरेस्ट' होता है।'' उन्होंने आगे बताया कि ''इस दौरान यदि तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो इसकी वजह से हृदय काम पूरी तरह से बंद कर देता है। यहां उन्होंने ये भी बताया कि कई लोग कार्डियक अरेस्ट को हार्ट अटैक समझ बैठते हैं जबकि ये दोनों अलग होते हैं।''
कार्डियक अरेस्ट में, हृदय शरीर के बाकी हिस्सों में खून पंप करना बंद कर देता है। इसके लक्षण काफी स्पष्ट होते हैं जैसे - अचानक सांस फूलना, पल्स का न चलना, बेसुध होना, त्वचा का पीला या ठंडा पड़ना। कुछ मामलों में, रोगी गिर भी सकता है। आमतौर पर, कार्डियक अरेस्ट एरिथमिया (हृदय का बहुत तेज या बहुत धीमे धड़कना) की वजह से आता है। डॉक्टर इस स्थिति में मरीज को ठीक करने के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (एक मशीन, जिसका इस्तेमाल दिल की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को मापने के लिए किया जाता है) का उपयोग करते हैं।
शोध से पता चला है कि लंबे समय से हृदय रोग से ग्रस्त व्यक्ति की तुलना में गुर्दे से संबंधित समस्या से ग्रस्त मरीज में अचानक कार्डियक अरेस्ट आने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके विपरीत, दिल का दौरा तब पड़ता है जब हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध (रुक) हो जाता है। हार्ट अटैक से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है, लेकिन बता दें कि ये दोनों अलग-अलग बातें हैं।
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एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर के अंदर हृदय में कोशिकाओं को छोटा-सा समूह होता है। ये हृदय को धड़कने और पूरे शरीर में खून को पंप करने के लिए इलेक्ट्रिकल संदेश देता है। इस इलेक्ट्रिकल सिस्टम के ठीक तरह से काम न कर पाने की स्थिति में दिल की धड़कन अनियमित, तेज या धीमी गति से चलने लगती है। आमतौर पर इसे ठीक करने के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की मदद लेते हैं। लेकिन कार्डियक अरेस्ट आने पर कुछ ही मिनटों में मौत हो सकती है इसलिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम को स्टडी करना मुश्किल हो जाता है।
डॉक्टर पांडे बताते हैं कि “एरीथमिया या अनियमित दिल की धड़कन की वजह से हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में गड़बड़ी आ सकती है जिससे कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ता है।” डॉक्टर कहते हैं कि “एरीथमिया की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हृदय तक इलेक्ट्रिक करंट ले जाने वाले नोड्स ब्लॉक हो जाते हैं। कुछ मामलों में ऐसा सिर्फ कुछ सेकेंड के लिए ही होता है जो कि हानिकारक नहीं होता है। अगर यह प्रक्रिया लंबे समय तक रहे तो इसकी वजह से घातक कार्डियक अरेस्ट आ सकता है। एरीथमिया का सबसे सामान्य रूप है वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन जिसमें हृदय के सिग्नल तेजी से आने लगते हैं और वेंट्रिकल रक्त को पंप करने की बजाय फड़फड़ाने लगते हैं। स्वस्थ हृदय में कार्डियक अरेस्ट की संभावना बहुत कम होती है। हालांकि, किसी सदमे, दवा के सेवन, ट्रॉमा या किसी हृदय संबंधित स्थिति के कारण कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।”
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सुषमा स्वराज के मामले में कार्डियक अरेस्ट को लेकर डॉक्टरों ने अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा है। फिलहाल दिल्ली सरकार ने राजधानी की पूर्व मुख्यमंत्री को सम्मानित करने के लिए दो दिन की शोक सभा की घोषणा की है।