पहले शीला दीक्षित, फिर सुषमा स्वराज और अब पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन। कार्डियक अरेस्ट ने बीते 5 महीने में देश की 3 बड़ी शख्सियतों को अपना शिकार बनाया है। कार्डियक अरेस्ट कितना घातक होता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हृदय पर इसके प्रभाव के बाद रोगी के बचने की उम्मीद बेहद कम हो जाती है और टीएन शेषन की मृत्यु इसका ताजा उदाहरण है।
कौन थे टीएन शेषन ?
1990-96 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे टीएन शेषन का निधन रविवार 10 अक्टूबर 2019 को उनके चैन्नई आवास पर कार्डियक अरेस्ट से हुआ, वो 86 साल के थे। शेषन को देश में चुनावी सिस्टम के अंदर एक बड़े बदलाव (चुनाव सुधार) के रूप में जाना जाता है। साथ ही उन्होंने हर योग्य व्यक्ति के लिए वोटर आईडी कार्ड बनाने की व्यवस्था को भी कायम किया।
(और पढ़ें- हार्ट अटैक आने पर क्या करें)
क्या है कार्डियक अरेस्ट ?
कार्डियक अरेस्ट एक तरह की इमरजेंसी (आपातकालीन) स्थिति है, जिसमें किसी भी व्यक्ति को हृदय रोग का पता नहीं चलता और हार्ट (हृदय) अचानक से काम करना बंद कर देता है। इस स्थिति में तुरंत ट्रीटमेंट नहीं मिलना घातक हो सकता है। हालांकि, कार्डियक अरेस्ट किसी भी उम्र के व्यक्ति को आ सकता है, मगर बुजुर्गों के लिए ये ज्यादा घातक साबित होता है।
क्यों काम करना बंद कर देता है हार्ट ?
कार्डियक अरेस्ट बिना किसी चेतावनी के अचानक हृदय को प्रभावित करता है। ज्यादातर कार्डियक अरेस्ट वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन (अचानक मृत्यु होना) की वजह बनाता है। जिसके निम्न कारण हो सकते हैं-
- वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन के दौरान, निलय (हृदय के निचले कक्ष) की धड़कनें बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं।
- इस स्थिति में हृदय शरीर को बहुत कम या बिल्कुल ब्लड (रक्त) पंप नहीं कर पाता है।
- कुछ मिनटों में उपचार न किया जाए, तो वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन के कारण मृत्यु हो सकती है।
- हृदय में एक इलेक्ट्रिकल मलफंक्शन (विद्युत खराबी) और एरिथिमिया (हृदय की धड़कन अपनी सामान्य ताल से नहीं चलती) भी एक कारण हो सकता है।
- ऐसी स्थिति में हृदय की मांसपेशियां इन कमजोर विद्युत संकेतों का जवाब नहीं देती और हृदय से शरीर तक रक्त पंप करना बंद कर देती हैं।
- इन कारणों के चलते कुछ सेंकड में व्यक्ति बेहोश हो जाता है और उसकी नसों में खून का प्रवाह (बहाव) बंद हो जाता है। इस स्थिति में अगर तुरंत इलाज मुहैया ना कराए जाए, तो कुछ ही मिनटों में व्यक्ति की मौत हो सकती है।
(और पढ़ें- हार्ट को कैसे रखें स्वस्थ)
क्या कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक की तरह है ?
सवाल अहम है, लेकिन इसका जवाब नहीं होगा। क्योंकि कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक (दिल का दौरा) की तरह बिल्कुल नहीं है। इसमें भेद कुछ इस प्रकार से समझा जा सकता है-
- हार्ट अटैक, हृदय की एक या एक से अधिक धमनियों में रुकावट के कारण होते हैं जो हृदय में रक्त के प्रवाह (बहाव) में बाधा पैदा करते हैं।
- हार्ट अटैक आने से मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है, जिससे मृत्यु हो सकती है।
- हार्ट अटैक के लक्षण धीरे-धीरे से शुरू होते हैं और करीब एक घंटे, एक दिन या फिर हफ्ते भर तक बने रह सकते हैं। जबकि कार्डियक अरेस्ट के मामले में व्यक्ति में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते।
- कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है, लेकिन हार्ट अटैक आने पर हृदय (दिल) धड़कना बंद नहीं करता है।
कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक एक दूसरे से जुड़े हैं
- हार्ट अटैक (दिल का दौरा) पड़ने के बाद या इलाज के दौरान अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
- दिल का दौरा पड़ने के बाद, हृदय के रक्त प्रवाह फिर से पहले जैसा हो जाता है। हालांकि, इसके बाद भी हृदय के पूरी तरह से बंद होने का खतरा बना रहता है।
कार्डियक अरेस्ट के बाद रोगी बचाया सकता है ?
कार्डियक अरेस्ट आने पर हृदय बहुत तेजी से काम करना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में रोगी को जितनी जल्दी इलाज मिलेगा, बचने की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होगी। हालांकि, इस दौरान कार्डियक अरेस्ट के मरीज को बचाने की तीन स्टेज (चरण) होते हैं।
पहला चरण- अगर कार्डियक अरेस्ट आने के 4-5 मिनट के अंदर, रोगी को कार्डियोपल्मोनरी या सीपीआर (सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है) दिया जाता है, तो बॉडी बिना किसी नुकसान के रिकवर कर सकती है।
दूसरा चरण- कार्डियक अरेस्ट आने के 4-5 मिनट और 10 मिनट के बीच शरीर को ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे बॉडी (शरीर) के सभी ऊतक (टिशू) मरना शुरू हो जाते हैं। इस दौरान मरीज को सीपीआर देकर मरीज के शरीर में फिर से ऊतकों (टिशू) को ऑक्सीजन दी जा सकती है।
तीसरा चरण- कार्डियक अरेस्ट आने के 10 मिनट के अंदर टिशू के मरने पर शरीर का पूरा मेटाबोलिक सिस्टम नीचे गिरने लगता है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और ऐसी स्थिति में ब्लड साइटोकिन्स (जो प्रतिरक्षा प्रणाली में मौजूद हैं) जैसे तत्वों को इकट्ठा करना शुरू कर देता है। जब ये खून वाहिकाओं से बहने लगता है, तो शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है।