वायु प्रदूषण की समस्या इन दिनों दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों की मानें तो हर साल दुनियाभर में करीब 42 से 45 लाख लोगों की मौत सिर्फ वायु प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं की वजह से होती है। प्रदूषित हवा में पाए जाने वाले प्रदूषकों की बात करें तो इसमें कार्बन मोनोऑक्साइड, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिक्यूलेट मैटर के अलावा ओजोन भी शामिल होता है जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक है।
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ओजोन की उच्च सघनता से कार्डियक अरेस्ट का जोखिम अधिक
एक नई स्टडी की मानें तो जिस हवा में ओजोन की उच्च सघनता होती है उसके संपर्क में लंबे समय तक बने रहने की वजह से अस्पताल के बाहर होने वाले कार्डियक अरेस्ट (आउट-ऑफ-हॉस्पिटल कार्डियक अरेस्ट ओएचसीए) का खतरा बढ़ जाता है। यह एक प्रारंभिक रिसर्च है जिसे अमेरिकन हार्ट असोसिएशन के रिसससाइटेशन साइंस सिम्पोसिजम 2020 में पेश किया गया था।
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स्टडी में 1 लाख 87 हजार लोग हुए शामिल
स्टडी में अमेरिका के 1 लाख 87 हजार लोगों को शामिल किया गया था जिनकी उम 63 साल थी और जिन्हें साल 2013 से 2016 के बीच ऑउट-ऑफ-हॉस्पिटल कार्डियक अरेस्ट हुआ था। इन लोगों का ओजोन वायु प्रदूषण के प्रति क्या और कितना एक्सपोजर था इसका अंदाजा अलग-अलग क्षेत्रों में रोजाना ओजोन लेवल के आंकड़ों के आधार पर किया गया जिसे अमेरिका के एन्वायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (ईपीए) से लिया गया था। अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो ओजोन लेवल में प्रति बिलियन 12 पार्ट्स की बढ़ोतरी होने पर कार्डियक अरेस्ट का खतरा 1 प्रतिशत बढ़ जाता है जो आंकड़ों की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
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पीएम कण और कार्डियक अरेस्ट के बीच कोई संबंध नहीं
हालांकि इस स्टडी में प्रदूषित हवा में मौजूद पार्टिक्यूलेट मैटर (पीएम कण) के लेवल और कार्डियक अरेस्ट के बीच कोई संबंध देखने को नहीं मिला। साथ ही स्टडी में यह भी पाया गया कि व्यक्ति की उम्र, लिंग और उसकी जाति के कारण वायु प्रदूषण के कारण होने वाले कार्डियक अरेस्ट की घटनाओं के जोखिम में किसी तरह का कोई अंतर देखने को नहीं मिला। अमेरिका के मिसौरी स्थित सेंट ल्यूक के मिड अमेरिका हार्ट इंस्टिट्यूट में क्लिनिकल कार्डियोलॉजी के रिसर्च फेलो और इस स्टडी के लीड ऑथर डॉ अली मलिक ने कहा कि उनकी टीम 14 से 16 नवंबर के बीच अमेरिकन हार्ट असोसिएशन की वर्चुअल मीटिंग के दौरान अपनी इस रिसर्च को पेश करेंगे।
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हवा में ओजोन की कम सघनता होने पर भी खतरा मौजूद था
स्टडी के बारे में डॉ मलिक ने बताया, "हमने पाया कि जिस दिन आउट-ऑफ-हॉस्पिटल कार्डियक अरेस्ट की घटना हुई उस दिन हवा में ओजोन की सघनता अधिक थी और इसलिए उच्च जोखिम के साथ इसका महत्वपूर्ण संबंध था। यहां सबसे अहम बात ये है कि हमने पाया कि ओजोन और अस्पताल के बाहर कार्डियक अरेस्ट के खतरे के बीच जो संबंध है वह तब भी मौजूद था जब हवा में ओजोन की सघनता, ईपीए के वायु गुणवत्ता स्टैंडर्ड से कम थी। स्टडी के इन नतीजों का संबंध सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों से है।"
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ओजोन एक्सपोजर और कार्डियक अरेस्ट के बीच संबंध को समझने की जरूरत
डॉ मलिक आगे कहते हैं, "अमेरिका में वायु में मौजूद प्रदूषकों का संबंध मृत्यु दर में होने वाली वृद्धि के साथ जुड़ा रहा है, हालांकि इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है कि किसी भी दिन हवा में मौजूद ओजोन या पार्टिक्यूलेट मैटर का संबंध किसी व्यक्ति में अस्पताल के बाहर कार्डियक अरेस्ट का अनुभव करने के उच्च जोखिम से जुड़ा है या नहीं। वह क्रियाविधि या प्रक्रिया जिसकी वजह से ओजोन का तीव्र एक्सपोजर कार्डियक अरेस्ट के जोखिम को बढ़ाता है उसे बेहतर तरीके से समझने और परिभाषित करने की जरूरत है। यह बेहद जरूरी है कि ओजोन के उच्च लेवल के एक्सपोजर को सीमित किया जाए और इसलिए हमें अपने आसपास के वातावरण में हवा में मौजूद ओजोन की सघनता को कम करने के लिए बेहद आक्रामक उपायों को अपनाने की जरूरत है।"
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हालांकि इस स्टडी के लीड ऑथर ने खुद इस बात को माना कि यह निरीक्षण से जुड़ी एक स्टडी है और इसमें वायु प्रदूषकों को बाहरी (आउटडोर) आकलन से प्राप्त किया गया था। लिहाजा इस बारे में आगे और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है इस बात को निर्धारित करने के लिए वायु प्रदूषण और कार्डियक अरेस्ट के बीच पक्के तौर पर क्या संबंध है।