कैंसर के मरीजों को अपनी बीमारी का पता चलने के बाद कीमोथेरेपी से गुजरना पड़ता है। लेकिन इस प्रोसेस के कई बुरे दुष्प्रभाव हैं। इन साइडइफेक्ट्स में आंतों में सूजन और फोड़े यानी गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल म्यूकोसाइटिस हो जाना शामिल है। कैंसर के इलाज के तहत यह कीमोथेरेपी का ऐसा विपरीत प्रभाव है, जिससे कैंसर रोगी सालोंसाल परेशान रहते हैं और जिसका फिलहाल कोई इलाज भी मौजूद नहीं है। हालांकि, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन डी में आंतों में होने वाली सूजन को कम कर कैंसर मरीजों को राहत देने की क्षमता है।

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यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, विटामिन डी और प्रोबायोटिक्स से कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों से राहत मिल सकती है। शोध के प्रमुख वैज्ञानिकों में शामिल सियान सिलवेस्टर का इस बारे में कहना है, 'यह तो हम पहले से जानते हैं कि कैल्शियम को ऐब्जॉर्ब करने (सोखने) में विटामिन डी मददगार है। लेकिन शोध के परिणाम बताते हैं कि यह कीमोथेरेपी की वजह से होने वाले इन्टेस्टाइनल म्यूकोसाइटिस (से राहत देने) में भी अहम भूमिका निभा सकता है। आतों से जुड़ी कई बीमारियों, जैसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ने और गंभीर हो जाने का संबंध विटामिन डी की कमी से है।'

शोधकर्ता सियान सिलवेस्टर ने आगे कहा, 'हमें यह पता चला है कि विटामिन डी सूजन को कम करने में मदद करता है और (इम्यून सिस्टम की महत्वपूर्ण कोशिका) टी-सेल्स की क्षमता बढ़ाने का काम करता है।' इसके अलावा, कुछ विशेष एंटी-कैंसर ड्रग्स की क्षमता बढ़ाने में भी यह विटामिन कारगर माना जाता है। बहरहाल, शोध के परिणाम सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने अब आंतों में विटामिन डी की गतिविधियों को बेहतर करने के तरीकों पर काम करना शुरू कर दिया है। वे इसे कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव के रूप में होने वाले गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल म्यूकोसाइटिस के एक सक्षम इलाज के रूप में देख रहे हैं।

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इस प्रयास को लेकर शोध की एक और प्रमुख सदस्य डॉ. एड्रिया स्ट्रिंजर कहती हैं, 'हम जानते हैं कि कैल्शियम को सोखने में विटामिन डी निश्चित रूप से मददगार है, लेकिन यह गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल म्यूकोसाइटिस का इलाज हो सकता है या नहीं, इस बारे में सौ प्रतिशत आश्वस्त होने से पहले हमें आंतों के संबंध में इसकी भूमिका और समझने तथा इसकी गतिविधि को और बढ़ाने की जरूरत है।'

विटामिन डी के अलावा प्रोबायोटिक्स भी कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में कारगर हो सकते हैं। पाचन स्वास्थ्य को लेकर इनका काफी महत्व है और इसके भी सबूत मिले हैं कि यह गंभीर रूप से बढ़ चुके डायरिया और पेटदर्द को कम कर सकते हैं। हालांकि शोधकर्ता आंतों के संचालन के संबंध में इनके प्रत्यक्ष प्रभाव को अभी तक पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं, जिसके चलते प्रोबायोटिक्स कैंसर के इलाज के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं। फिलहाल शोधकर्ता विटामिन डी पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं, जो कैंसर पीड़ितों की तकलीफ को हल्का कर सकता है।

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