कैंसर के लिए अक्सर कहा जाता है कि यह एक बीमारी नहीं, बल्कि कई बीमारियों का एक नाम है। इसकी वजह यह है कि कैंसर के कई प्रकार होते हैं और इनसे होने वाली समस्याएं भी अलग-अलग हैं। हाल ही में ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित कई लेखों में अलग-अलग संस्थानों के वैज्ञानिकों ने कैंसर को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी है। इन लेखों की मानें तो कुछ मुट्ठी भर वंशाणुओं (जीन) में होने वाले बदलाव कई तरह के कैंसर का कारण हैं। रिसर्च से सामने इस नए तथ्य को कुछ विशेष कैंसर मरीजों के लिए नई आशा जगाने वाला बताया जा रहा है।
इंसान के शरीर में वंशाणुओं के समूह को जीनोम कहते हैं। इन समूहों के अध्ययन को जीनोमिक्स कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन के तहत कोडिंग और नॉन-कोडिंग जीनोमिक्स तत्वों का मिलान कर पाया कि कैंसर से जुड़े वंशाणुओं में औसतन चार से पांच बार परिवर्तन होता है। रिपोर्ट के मुताबिक पांच प्रतिशत केस होते हैं जिनमें इस तरह के बदलाव के कारकों का पता नहीं चल पाता। इसकी वजह यह है कि इस बारे में वैज्ञानिकों की खोज अभी पूरी नहीं हुई है।
हालांकि, इस नई जानकारी को लेकर डॉक्टरों में उत्सुकता है। मेदांता मेडिकल एंड हेमाटो ऑन्कोलॉजी में कार्यरत एक डॉक्टर ने कहा, 'यह नई खोज काफी महत्वपूर्ण है। इस तरह के जीन का पता लगाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे तय किया जाता है कि उपचार कहां और कैसे करना है, साथ ही इलाज के लिए किस तरह के विकल्पों का चयन किया जा सकता है। लेकिन एक जीन का पता लगने के बाद इसकी दवा के विकसित होने में समय लग सकता है।'
डॉक्टर ने आगे कहा, 'एनाप्लास्टिक लिंफोमा किनसे-1' (एलके-1) एक तरह का जीन है जो प्रोटीन बनाता है। इसमें होने वाले बदलाव विशेष प्रकार के कैंसर की वजह बन सकते हैं। एलके-1 को पांच से सात प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन के रूप में पहचाना गया है। साल 2006-07 में इस जीन की पहचान के बाद इसकी दवा को पांच साल में विकसित कर लिया गया था।'
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लंदन में फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के पीटर वान लू पत्रिका में प्रकाशित अध्ययनों से जुड़े प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अब शोधकर्ता 30 से अधिक प्रकार के कैंसरों के बारे में जानते हैं। उनके मुताबिक अब यह पता लगाया जा सकता है कि कैंसर शरीर के किस हिस्से में हो सकते हैं। यह भी जानकारी है कि उनमें किस तरह के विशेष आनुवंशिक परिवर्तन होने की आशंका होती है। यह सब किस पैटर्न में होता है, उसकी जानकारी होने के बाद हो सकता है कैंसर की जांच के लिए नए टेस्ट किए जााएं ताकि कैंसर का पता जल्दी से जल्दी चल सके। इस तरह इस बीमारी का इलाज भी पहले से ज्यादा जल्दी शुरू किया जा सकता है।
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