शरीर में मौजूद एक एंजाइम की मदद से कैंसर ट्यूमर बढ़ाने वाली रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) की ग्रोथ को सीमित किया जा सकता है। एक नए अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है। उनका कहना है कि इस तरीके से कैंसर समेत कई मेडिकल कंडीशंस का बेहतर ट्रीटमेंट विकसित किया जा सकता है। इस जानकारी को अध्ययन समेत अंतरराष्ट्रीय मेडिकल पत्रिका प्लोस बायोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, शरीर की एक विशेष मॉलिक्यूलर मशीनरी की मदद से एंजाइम का इस्तेमाल कर कैंसर बढ़ाने वाली रक्त कोशिकाओं को रोकने का काम किया जा सकता है।
अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों की मानें तो इस तरह ऐसी दवाएं बनाई जा सकती हैं, जो ट्यूमर्स को मार सकें और शरीर में कैंसर को फैलने से रोक पाएं। इसके अलावा, इस प्रकार के हस्तक्षेप से स्वस्थ रक्त वाहिकाओं के डेवलेपमेंट को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। इस वैज्ञानिक प्रयास का हिस्सा और अमेरिका में एक नॉन-प्रॉफिट मेडिकल रिसर्च फेसिलिटी स्क्रिप्स रिसर्च की प्रोफेसर शियांग-लेई यांग का कहना है, 'अगर ऐसा संभव हो सका तो इससे हृदय रोग और अन्य बीमारियों के खिलाफ बेहतर इलाज देखने मिल सकते हैं।'
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शोध में मिली कामयाबी के बारे में जानकारी देते हुए प्रोफेसर यांग ने कहा, 'हमने रक्त वाहिकाओं के विकास के लिए जिम्मेदार प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण 'रेग्युलेटरी स्टेप' की खोज की है। इसी डेवलेपमेंट की वजह से पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी झेल रहे ऊतकों में कैंसर बढ़ाने वाली रक्त वाहिकाएं बनती हैं। इससे अंततः एक ऐसी जटिल प्रक्रिया का निर्माण होता है, जो कैंसर ट्यूमर्स को माहौल के हिसाब से ढलने और जीवित रहने योग्य बनाता है।'
बीते एक दशक के दौरान प्रोफेसर यांग और उनकी टीम ने ऐसे कई वैज्ञानिक तथ्यों की खोज कर उन्हें प्रकाशित किया है, जिनमें बताया गया है कि कैसे कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं का निर्माण करती हैं। इससे वंशाणुओं की ऐसी अज्ञात भूमिकाओं के बारे में पता चला है, जिनसे यह प्रक्रिया संचालित होती है। पिछले अध्ययनों में सी-एमवाईसी और एचआईएफ-1 नाम के वंशाणुओं की भूमिका पर फोकस किया गया है। बताया जाता है कि ये जीन्स शरीर में ब्लड वेसल्स के विकास को बढ़ावा देते हैं और कैंसर से इनका मजबूत संबंध है।
इस जानकारी को केंद्र में रखते हुए प्रोफेसर यांग और उनकी टीम ने रक्त वाहिकाओं की ग्रोथ से जुड़े नेगेटिव रेग्युलेटर्स की जांच-पड़ताल की। ये नेगेटिव रेग्युलेटर्स वे प्रोटीन होते हैं, जो ब्लड वेसल्स की ग्रोथ को बंद कर देते हैं। यांग और उनके सहयोगियों ने यह पता लगाने की कोशिश की कि किन कारणों के चलते ये रेग्युलेटर या प्रोटीन असक्रिय हो जाते हैं, जबकि उस समय ऊतकों को उचित मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल रही होती है। जानकारों के मुताबिक, एक गंभीर कैंसर ट्यूमर में यह डेवलेपमेंट देखने को मिलता है।
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इस जांच-पड़ताल में शोधकर्ताओं ने एसईआरआरएस (सेरिल-टीआरएनए सिंथेटेज) नाम के एंजाइम को केंद्र में रखा है। यह सब्सटेंस आमतौर पर कोशिकाओं में मौजूद गाढ़े तरल पदार्थ में पाया जाता है। यहां यह एंजाइम सबसे पहले नए प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत करता है। हालांकि एसईआरआरएस न्यूक्लस में भी पाया जाता है, जहां यह एक बिल्कुल ही अलग लेकिन अहम काम कर रहा होता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, न्यूक्लस में यह सब्सटेंस सी-एमवाईसी और एचआईएफ-1 वंशाणुओं के संचालन को बंद कर अस्वस्थ रक्त कोशिकाओं की ग्रोथ को सीमित कर रहा होता है।
अध्ययन में पता चला है कि एटीएम/एटीआर नाम के प्रोटीन एसईआरआरएस को अपनी भूमिका निभाने से रोक सकते हैं। यह डीएनए को हुई क्षति के खिलाफ पैदा हुए रेस्पॉन्स के लिए नुकसानदेह है। वैज्ञानिकों ने बताया कि ये प्रोटीन उस समय एक्टिवेट होते हैं, जब टिशूज को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही होती। जब ऐसा होता है तो नई रक्त वाहिकाओं की ग्रोथ को शरीर जांच नहीं पाता। परिणामस्वरूप कैंसर ट्यूमर फैलने लगते हैं।
इस जानकारी के आधार पर वैज्ञानिकों ने चूहों में ह्यूमन ब्रेस्ट कैंसर सेल्स डालकर उनमें एटीएम/एटीआर प्रोटीन को ब्लॉक करने का काम किया। इससे पुष्टि हुई कि अगर इन नेगेटिव रेग्युलेटर्स को रोक दिया जाए तो ट्यूमर ग्रोथ को भी रोका जा सकता है। इससे एसईआरआरएस को अपना काम करने में दिक्कत नहीं होगी, जिससे हानिकारक रक्त वाहिकाएं बढ़ नहीं पाएंगी। इस एंजाइम पर बात करते हुए प्रोफेसर यांग ने कहा है, 'यह सब्सटेंस क्रमिक विकास के दौरान टीआरएनए सिंथेटेज नाम के एंजाइम्स की प्राचीन परिवार का हिस्सा है, जो रक्त, त्वचा, हड्डी और मानव जीवन के लिए जरूरी अन्य तत्वों के निर्माण के लिए आवश्यक प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत करता है।'
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यांग ने आगे बताया, 'हमारे अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि एसईआरआरएस ने प्रोटीन बनाने के अलावा अन्य प्रकार की प्रक्रियाएं भी विकसित कर ली हैं। यह संभव है कि एसईआरआरएस रक्त वाहिकाओं का निर्माण करने के अलावा और भी चीजों को नियंत्रित करता हो। यह इस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है कि इस एंजाइम के प्रभाव को मानव शरीर के लिए और कितना बढ़ाया जा सकता है।'