जापान स्थित कोबे यूनिवर्सिटी और वैज्ञानिक तथा तकनीकी उपकरण बनाने वाली कंपनी 'सिस्टम इंस्ट्रमेंट्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड' के शोधकर्ताओं ने ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए 'टियरएक्सो' नाम की नई तकनीक विकसित की है। इसमें आंसुओं में पाए जाने वाले एक्जोसोम्स (कोशिकाओं से अलग एक प्रकार की जल स्फोटिकाएं- फेफोले के आकार के) को बतौर बायोमार्कर (शरीर के किसी हिस्से के बीमारी से पीड़ित होने का संकेत देने वाले मॉलिक्यूल, जीन आदि) इस्तेमाल करते हुए ब्रेस्ट कैंसर की पहचान की जा सकती है। शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि यह तकनीक कैंसर के इलाज के संबंध में उसका पता लगाने की दिशा में बड़ा योगदान दे सकती है।

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मौजूदा इलाज के तहत ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए मैमोग्राफी जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बड़ी मशीनों का इस्तेमाल होता है, जिनके परिणाम सामने आने में भी समय लगता है। मैमोग्राफी के तहत ली जाने वाली तस्वीरों के विश्लेषण के लिए कम से कम दो एक्सपर्ट की आवश्यकता होती है और इसका मरीज पर भी असर पड़ता है। लेकिन हाल में लिक्विड बायोप्सी (जिसमें एक्स्ट्रासेल्युलर वेसिकल एक्जोसोम्स पाए जाते हैं) के जरिये कैंसर का पता लगाने की तकनीक ने मेडिकल जानकारों का ध्यान खींचा है। उन्हें उम्मीद है कि इनकी मदद से कैंसर की टेस्टिंग में सुधार किया जा सकता है और उसकी पहले ही पहचान करने में मदद मिल सकती है।

क्या है टियरएक्सो?
इस तकनीक के तहत तैयार की गई डिवाइस में एक्जोसोम को पकड़ने वाली एक फ्लुओरिसेंट चिप और एक ऑटोमैटिक एक्जोसोम एनालिजर लगा होता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस चिप को सौ नैनोमीटर के आकार की अति सूक्ष्म कैविटी में एक एंटीबॉडी और फ्लुओरिसेंट रिपोर्टर मॉलिक्यूलर डालकर तैयार किया गया है। एंटीबॉडी एक्जोसोम्स के सरफेस प्रोटीन की पहचान करती है और फ्लुओरिसेंट रिपोर्टर मॉलिक्यूल यह समझने में मदद करते हैं कि फ्लुओरोसेंस में बदलाव होने पर आखिर एक्जोसोम्स एंटीबॉडी को बांधते कैसे हैं। वहीं, ऑटोमैटिक एक्जोसोम एनालिजर की मदद से शोधकर्ताओं ने एक तेज और अतिसंवेदनशील टेस्टिंग विकसित की है, जो 100 माइक्रोलीटर तरल पदार्थ में 50 एक्जोसोम्स की पहचान कर सकता है, वह भी महज दस मिनट में।

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टियरएक्सो तकनीक की जांच करने के लिए शोधकर्ताओं ने ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों और स्वस्थ लोगों के आंसुओं के सैंपल लिए। इसके बाद टियरएक्सो तकनीक के जरिये आंसू के रूप में तरल पदार्थ वाले इन सैंपलों में एक्जोसोम्स की मौजूदगी का पता लगाया और उनमें सरफेस प्रोटीन की संरचना के पैटर्न का विश्लेषण किया गया। इस जांच में शोधकर्ताओं ने साफ तौर पर स्वस्थ लोगों और ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों के टियर सैंपलों में अंतर पाया। इस आधार पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि टियरएक्सो की मदद से आंसुओं की जांच कर ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

आगे और अध्ययन
इस सफलता के बाद ब्रेस्ट कैंसर की पहचान करने के संबंध में टियरएक्सो तकनीक की सटीकता और सेंसिटिविटी का पता लगाने के लिए शोधकर्ता बड़े पैमाने पर लोगों का टेस्ट करने की योजना बना रहे हैं। अगर इसके परिणाम भी सकारात्मक रहे तो अगले साल एक वेंचर कंपनी स्थापित करने के लिए जापान की फार्मास्यूटिकल एंड मेडिकल्स डिवाइस एजेंसी से अप्रूवल लेने की योजना है ताकि शोधकर्ता इस डायग्नॉस्टिक डिवाइस का उत्पादन कर सकें।

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