फ्रांस में एक बच्चे का जन्म होने में पांच साल लग गए। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बच्चे को जन्म देने वाली महिला की उम्र 34 वर्ष है। लेकिन जब वह गर्भवती हुई थी, उस समय उसकी 29 साल थी। इस जानकारी ने पूरी दुनिया को हैरान किया हुआ है कि आखिर किन स्थितियों से गुजर कर इस बच्चे का जन्म हुआ है।
दरअसल इस बच्चे की मां ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित थी। उसे अपनी बीमारी का पता चला ऐसे समय में चला जब वह गर्भवती थी। वह ब्रैस्ट कैंसर की तीसरी स्टेज तक पहुंच चुकी थी। इलाज के कारण वह बच्चे को जन्म देने की हालत में नहीं थी। लेकिन डॉक्टरों की कोशिशों और ब्रैस्ट कैंसर के सफल इलाज के बाद आखिरकार यह महिला पांच साल बाद बच्चे को जन्म दे पाई।
(और पढ़ें- आईवीएफ कब और क्यों करानी चाहिए)
लैब में विकसित हुए महिला के अंडाणु
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पांच साल पहले महिला में ग्रेड-3 हार्मोन के पॉजिटिव लक्षण मिले थे। उसके बाएं स्तन में कैंसर की एक गांठ (लिम्फ नोड) मिली थी। इसका पता चलने के बाद डॉक्टरों ने ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की प्रक्रिया शुरू की। चूंकि महिला गर्भवती थी, इसलिए इलाज शुरू करने से पहले उसके अंडाशय से अपरिपक्व अंडाणुओं को निकालकर लैब में विकसित किया गया। इसके बाद उन्हें ठंडा माहौल देने के लिए फ्रिज में रखा गया है। ये अंडाणु पांच साल तक वहीं रहे और जब महिला अपनी बीमारी से ठीक होकर लौटी तो अंडाणुओं को वापस उसके पेट में डाल दिया गया।
महिला ने कैसे किया गर्भधारण?
मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका 'ऑनल्स ऑफ ऑन्कोलॉजी' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर के इलाज के तहत महिला को एक रसायन उपचार से गुजरना था। डॉक्टरों का कहना था कि इससे महिला के हमेशा के लिए निसंतान होने का खतरा था। इसीलिए डॉक्टरों की एक टीम ने महिला के गर्भाशय से अपरिपक्व अंडाणुओं को निकाला और इन विट्रो फर्टिलाइजेश के जरिये संभाल कर रखा। जब महिला बीमारी से पूरी तरह ठीक हो गई तो डॉक्टरों ने फ्रिज में रखे अंडाणुओं को निकालकर उसके अंडाशय में प्रत्यारोपित कर दिया। इसके बाद महिला गर्भधारण कर पाई।
(और पढ़ें- योनि के कैंसर के लक्षण और इलाज)
इलाज के बाद महिला के गर्भधारण की कितनी संभावना
myUpchar से जुड़ीं डॉक्टर अर्चना निरूला के मुताबिक, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In vitro fertilisation) यानी आईवीएफ के द्वारा सफलतापूर्वक गर्भधारण करने की संभावना केवल 35 से 40 प्रतिशत होती है। हालांकि इस दौरान इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि महिला किसी बीमारी से पीड़ित है या नहीं।
इलाज के दौरान किन कारणों से महिला के निसंतान होने का खतरा होता है
डॉक्टर अर्चना का कहना है कि कैंसर के इलाज के दौरान मरीज को कीमोथेरेपी दी जाती है, जिसका अंडाशय पर काफी प्रभाव पड़ता है। ऐसे में गर्भाशय और अंडाशय के नष्ट होने की ज्यादा संभावना होती है। डॉक्टर के मुताबिक कीमोथेरेपी के दौरान निकलने वाली खतरनाक रासायनिक तरंगे बांझपन का कारण बनती हैं। यही वजह है कि कीमोथेरेपी से पहले अंडों को निकाल लिया जाता है और बाद में उन्हें महिला के अंडाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
आईएमएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन क्या है?
इन विट्रो फर्टीलाइजेशन या आईवीएफ (In Vitro Fertilization/ IVF) एक टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक है, जो उन महिलाओं के लिए काफी कारगर सिद्ध हुई है जो किसी कारणवश गर्भधारण नहीं कर पातीं। आईवीएफ प्रक्रिया में महिला के अंडाशय से अंडाणुओं को निकाला जाता है। इसके बाद उन्हें प्रयोगशाला में शुक्राणुओं के साथ निषेचित (फर्टिलाइज) किया जाता है। अंडाणु और शुक्राणु के मिलने के बाद बच्चा बनने का पहला चरण पूरा होता है, जिससे भ्रूण बनता है। फिर इस भ्रूण को बढ़ने और विकसित होने के लिए महिला के गर्भ में डाल दिया जाता है।
(और पढ़ें- अंडाशय में कैंसर का इलाज कैसे होता है)