ब्रेस्ट में कैंसर का पता लगाने के लिए आप खुद इसकी जांच कर सकते हैं। अगर जांच करते समय आपको ब्रेस्ट में गांठ जैसा महसूस होता है तो आप डॉक्टर से ब्रेस्ट की मैमोग्राफी करवा लें।
ब्रैस्ट कैंसर आपको जेनेटिक प्रॉब्लम, रेडिएशन के संपर्क में आने और उम्र बढ़ने के साथ भी हो सकता है।
जी नहीं, ब्रेस्ट कैंसर में दर्द नहीं होता है।
तीसरे चरण में, ब्रेस्ट कैंसर बाहर तक फैल जाता है और इसे शुरुआती चरण की तुलना में ठीक करना ज्यादा मुश्किल होता है। जल्द इलाज शुरू कराने से तीसरे चरण के ब्रेस्ट कैंसर को ठीक किया जा सकता है लेकिन इसका इलाज मुश्किल होता है और इसे पूरी तरह से ठीक कर पाना भी कठिन होता है।
जी हां, ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है लेकिन यह इस बात पर निर्भर है कि आपका ब्रेस्ट कैंसर किस स्टेज पर है। ब्रेस्ट कैंसर को ठीक करने के लिए कई तरह के इलाज हैं जिनमे कीमोथेरेपी, टार्गेटिड थेरेपी, रेडियो थेरेपी और हार्मोनल थेरेपी शामिल है। शुरुआती चरणों में इसका इलाज करवाने से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
आप स्तन की चोट के लिए बायोप्सी करवा लें और कीमोथेरेपी से इसका इलाज शुरू कर दें। हार्मोन रिसेप्टर बायोप्सी स्पेसिमेन पर अध्ययन करता है जो हार्मोन थेरेपी को जोड़ने में मदद कर सकता है।
जी हां, ब्रेस्ट कैंसर को शुरुआती अवस्था में ठीक किया जा सकता है। आप उन्हें डॉक्टर से मिलने और सलाह लेने के लिए कहें।
जी नहीं, वर्तमान में ब्रेस्ट कैंसर को रोकने के लिए ऐसी कोई वैक्सीन (इंजेक्शन) उपलब्ध नहीं है।
ये सभी लक्षण ब्रेस्ट कैंसर के नहीं हैं। अगर इन लक्षणों के साथ आपको बुखार भी है तो आपकी ब्रेस्ट में सूजन है। आप खुद से ब्रेस्ट की जांच करें और अगर आपको अपने स्तन में किसी गांठ का पता चलता है जो कि कैंसर जैसी लग रही है तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर इन लक्षणों की जांच करवाएं और इसके लिए इलाज लें।
कभी-कभी स्तन का कैंसर अनुवांशिक होता है (5 से 10% मामलो में)। अगर आपकी मां को यह बीमारी है तो आपको भी यह हो सकती है। अनुवांशिक रूप से यह प्रॉब्लम आपके होने की 50 फीसदी संभावना है।
स्तन कैंसर आखिरी चरण में आपके शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। अक्सर यह हड्डियों, मस्तिष्क, फेफड़े या लिवर को प्रभावित करता है जिनसे शरीर के कई भाग जुड़े होते हैं। इसका इलाज रेडियोथेरेपी और सर्जरी से किया जाता है लेकिन इस स्टेज पर यह भी इसके लिए काफी नहीं होता है। ब्रेस्ट कैंसर के आखिरी चरण में बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है।