शरीर में कई जटिल अंग होते हैं जिनका अपना विशेष कार्य होता है जिसके लिए ये अंग विभन्न कोशिकाओं का इस्तेमाल करते हैं। पिछले कई सालों में वैज्ञानिकों ने इनमें से अधिकांश कोशिकाओं के कार्य का पता लगा लिया है और यह समझा है इनमें से सिर्फ 20 प्रतिशत ही मस्तिष्क का होता है।
संरचनात्मक रूप से मस्तिष्क कई अलग-अलग तरह की कोशिकाओं से बना है जिनमें से एक न्यूरोग्लिआ या ग्लियल कोशिकाएं हैं। नसों की कोशिकाओं यानि न्यूरॉन्स के कार्य को सुरक्षा देने, पोषण और ऑक्सीजन लाने और इन्हें अपनी जगह पर बनाए रखने का काम ये ग्लिअल कोशिकाएं करती हैं। ये होमियोस्टैसिस को बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार होती हैं।
मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी की ग्लियल कोशिकाओं में होने वाले ट्यूमरों को ग्लियोमा कहते हैं। ग्लियोमा न सिर्फ मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित कर सकता है बल्कि यह जानलेना भी हो सकता है।
ये कितने गंभीर हैं या कितनी तेजी से बढ़ रहे हैं, इसी पर पता चलता है कि ग्लिअल कोशिकाओं का ट्यूमर किस प्रकार का है। किसी भी उम्र के व्यक्ति में यह परेशानी हो सकती है लेकिन वयस्कों को यह ज्यादा प्रभावित करती है। ये मस्तिष्क के तत्वों के अंदर बढ़ते हैं और मस्तिष्क के नॉर्मल ऊतक के साथ मिल जाते हैं। ग्लियोमा को इंट्रा-एक्सिअल ट्यूमर भी कहते हैं।