गर्भावस्था की पहली तिमाही में योनि से रक्तस्राव एक आम समस्या है लेकिन दूसरे और तीसरे तिमाही में योनि से रक्तस्राव सामान्य नहीं होता यह गंभीर समस्या हो सकती है। गर्भावस्था के समय रक्तस्राव होना खतरनाक हो सकता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान अगर योनि से रक्तस्राव हो तो सीधा डॉक्टर से संपर्क करें।

  1. प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग के लक्षण - Symptoms of bleeding during pregnancy in Hindi
  2. अर्ली प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग क्यूँ होती है? - First trimester bleeding causes in Hindi
  3. गर्भावस्था के आखिरी दिनों में रक्तस्राव के कारण - Late pregnancy bleeding causes in Hindi
  4. प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग रोकने के घरेलू उपाय - Homecare for bleeding during pregnancy in Hindi
  5. प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग का निदान - Bleeding during pregnancy diagnosis in Hindi
  6. गर्भावस्था के दौरान ब्लीडिंग होने पर कराने वाले टेस्ट - Tests taken after bleeding during pregnancy in Hindi
  7. प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग रोकने के उपचार - Bleeding during pregnancy treatment in Hindi
  8. प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होने पर क्या करें? - Bleeding during pregnancy prevention in Hindi
  9. गर्भावस्था में ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से कब बात करें - When to call the doctor during pregnancy bleeding in Hindi
  10. सारांश

अपने स्वास्थ्य परामर्शदाता को रक्तस्राव की मात्रा और गुणवत्ता जानने में थोड़ी आसानी होगी अगर आप इस दौरान उपयोग किये गए पैड्स की संख्या और खून के थक्कों (clots) का प्रकार याद रखें।

अधिक थकान, प्यास अधिक लगना, चक्कर आना या बेहोश होना खून की कमी होने के संकेत हैं। इनके अलावा अगर आप लेते हुए हैं और अचानक खड़े होने पर तेज़ हृदय गति या चक्कर आने का अनुभव करते हैं तो यह स्थितियां खून की कमी या होने वाले रक्तस्राव का संकेत हैं।

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गर्भावस्था के पहले तिमाही में योनि से रक्तस्राव होने के कई कारण हो सकते हैं। लगभग 20-30 प्रतिशत गर्भावस्था (pregnancies) रक्तस्राव से प्रभावित होती हैं। गर्भावस्था में रक्तस्राव होने से गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। यही नहीं 2% गर्भावस्था के मामलों में बच्चा गर्भाशय से खिसक जाता है। योनि से रक्तस्राव के कारण भी यह परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह स्थिति आपके और आपके बच्चे के जीवन के लिए खतरा बन सकती है। प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह के योनि से रक्तस्राव होने पर डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें।

  1. गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपण के बाद होने वाला रक्तस्राव सामान्य होता है। जब भ्रूण गर्भाशय की दीवार से आरोपित (implant) होता है तो स्पॉटिंग के रूप में बहुत कम मात्रा में रक्तस्राव होता है। यह रक्तस्राव मासिक धर्म के साथ या पहले होता है। यह समझना थोड़ा मुश्किल होता है कि ये मासिक धर्म में होने वाला रक्तस्राव है या स्पॉटिंग लेकिन यह समझना बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि यह आपके गर्भवती होने का संकेत होता है। यह गर्भावस्था की एक सामान्य अवस्था है इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है।
  2. अगर आपको प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग या ऐंठन हो रही है तो इसका एक कारण गर्भपात भी हो सकता है। अगर आपको मूत्र पथ संक्रमण या अन्य किसी प्रकार का गर्भाशय का इन्फेक्शन हुआ हो, अगर आप में पानी की कमी (dehydrated) हो, गलत दवाओं के प्रयोग के कारण, शारीरिक चोट लगने के कारण, या अगर भ्रूण असामान्य है तो गर्भपात की स्थिति पैदा हो सकती है। इन सब कारणों के अलावा भारी सामान उठाने से, गलत तरीके से सेक्स करने या मानसिक तनाव के कारण भी गर्भपात होने की सम्भावना रहती है। अधिकतर ऐसे गर्भपात गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में होते हैं। (और पढ़ें – यूरिन इन्फेक्शन के कारण और sex karne ka tarika)
  3. अगर आपका अंडाणु धब्बेदार है तो (इसमें भ्रूण नहीं बनता) लेकिन अल्ट्रासाउंड में यह सामान्य गर्भावस्था दिखाता है। इस स्थिति में भ्रूण का विकास नहीं होता और वो अपने उचित स्थान पर ही रहता है क्योंकि वो असामान्य (abnormal) भ्रूण होता है।
  4. अगर गर्भ में ही भ्रूण की मृत्यु [intrauterine fetal death (IUFD)] हो जाती है तो भी रक्तस्राव होता है। यह गर्भावस्था के दौरान कभी भी हो सकता है और अल्ट्रासाउंड से इसका पता लगाया जा सकता है। इसीलिए दूसरे और तीसरे तिमाही के दौरान ब्लीडिंग होना असामान्य होता है। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में पेट दर्द करना)
  5. अगर आपकी गर्भावस्था अस्थानिक (ectopic) गर्भावस्था (ट्यूबल प्रेगनेंसी) है तो उस स्थिति में भी आपको रक्तस्राव हो सकता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान रक्तस्राव होने पर सबसे पहला खतरा इसी का होता है। जब निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर (अधिकतर फेलोपियन ट्यूब में) आरोपित होता है उस अवस्था को एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते हैं और जब यह अंडा बड़ा होता है तो फेलोपियन ट्यूब टूट जाती है और रक्तस्राव होता है। यह रक्तस्राव जानलेवा हो सकता है। लगभग 3% गर्भावस्थाओं में इस दौरान बच्चे को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। (और पढ़ें - प्रेगनेंट करने का तरीका)
  6. यदि आपको पेल्विक इंफ्लेमेटरी रोग, फेलोपियन ट्यूब सर्जरी, बांझपन आदि समस्याएं पूर्व में हो चुकी है तो एक्टोपिक गर्भावस्था हो सकती है। धूम्रपान और गर्भाशय में गर्भनिरोधक यन्त्र लगाने से भी यह स्थिति उत्पन्न होती है। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के लिए घरेलू उपचार)
  7. मोलर गर्भावस्था (इसे gestational trophoblastic disease भी कहते हैं) के दौरान भी योनि से रक्तस्राव होता है। ऐसा होने पर अल्ट्रासाउंड में गर्भाशय के अंदर विकासशील भ्रूण की जगह असामान्य ऊतक दिखाई देते हैं। वास्तव में ये ट्यूमर का एक प्रकार होता है। सामान्यतः यह जानलेवा नहीं होता लेकिन कभी कभी यह कैंसर जनक होता है जिसमे यह गर्भाशय की दीवार को भेद कर बाहर आ जाता है और पूरे शरीर में फ़ैल जाता है।
  8. गर्भावस्था के दौरान संभोग के बाद भी रक्तस्राव हो सकता है जो एक सामान्य स्थिति है।

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गर्भावस्था के आखिरी दिनों में गर्भनाल में समस्या के कारण रक्तस्राव हो सकता है। कभी कभी असामान्य गर्भाशय ग्रीवा (cervix) और योनि के कारण भी रक्तस्राव हो सकता है।

  1. गर्भनाल (प्लेसेंटा) आपके बच्चे को गर्भ से जोड़ती है। यह पूर्ण या आंशिक रूप से सर्विकल द्वार (cervical opening) जो कोख से योनि तक का रास्ता होता है, उसमें फैली रहती है और जब इसके कारण रक्तस्राव होता है तो इसे प्लेसेंटा प्रिविया कहते हैं। जब गर्भाशय ग्रीवा प्रसव के लिए तैयार होती है उस दौरान गर्भनाल की कुछ रक्त वाहिनियाँ खींचने के कारण फट जाती हैं। लगभग 20% मामलों में इस कारण से रक्तस्राव होता है। ऐसा 200 में से 1 गर्भवती महिला के साथ होता है। प्लेसेंटा प्रिविया के कई कारण हो सकते हैं जैसे, एकाधिक गर्भधारण (एक बार में एक से अधिक बच्चे या जुड़वां गर्भ में पलना), यदि पूर्व में प्लेसेंटा प्रिविया हो चुका हो, यदि पूर्व में सिजेरियन डिलीवरी हुई हो।
  2. यदि गर्भनाल बच्चे के जन्म से पूर्व गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाती है तो रक्त गर्भाशय और प्लेसेंटा के बीच एकत्रित हो जाता है जो योनि से रक्तस्राव के रूप में शरीर से बाहर निकलता है। ऐसा हाई ब्लड प्रेशर, एक्सीडेंट, तम्बाकू और कोकीन का उपयोग करने से होता है।
  3. गर्भाशय का फटना एक असामान्य प्रक्रिया है इसके कारण बच्चा पेट (abdomen) की ओर खिसक जाता है। इसके कारण भी रक्तस्राव होता है। यह बहुत दुर्लभ अवस्था है लेकिन यह माँ और बच्चे दोनों के लिए बहुत खतरनाक स्थिति है। ऐसा प्रसव के पहले या प्रसव के दौरान हो सकता है। इसके अन्य कारण इस प्रकार हैं: एक बार में चार से अधिक बच्चे गर्भ में होना, एक्सीडेंट के कारण।
  4. भ्रूण की रक्त वाहिका फट जाने के कारण भी अधिक मात्रा में रक्तस्राव होता है। बच्चे की रक्तवाहिका प्लेसेंटा के अलावा वो झिल्ली होती है जिसके द्वारा माँ से बच्चे में रक्त संचरण होता है।
  5. गर्भावस्था के आखिरी दिनों में रक्तस्राव के अन्य कारण भी हैं जैसे : गर्भाशय ग्रीवा और योनि में चोट या घाव, सिस्ट और कैंसर आदि। आनुवंशिक ब्लीडिंग समस्या जैसे हीमोफिलिया आदि भी इसका कारण होती हैं लेकिन यह बहुत दुर्लभ स्थिति है। लगभग 10,000 में से 1 महिला इससे पीड़ित होती है। लेकिन अगर आप इससे ग्रसित हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। (और पढ़ें - सर्वाइकल कैंसर)
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अगर आपको गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में रक्तस्राव हो रहा है और आस पास कोई देखभाल को नहीं है या आप तुरंत डॉक्टर के पास जाने में असमर्थ हैं तो परेशान न होते हुए ये निर्देश अपनाइये :

  1. आराम कीजिये।
  2. भार मत उठाइये या कोई भी ताकत लगने वाला काम मत कीजिये।
  3. सेक्स से दूर रहें। (और पढ़ें - गर्भावस्था में सेक्स और लड़का होने के लिए उपाय से जुड़े मिथक)
  4. टेम्पॉन का इस्तेमाल करें।
  5. अधिक से अधिक पानी पिएं और निर्जलीकरण (dehydration) होने से बचें।

गर्भावस्था के आखिरी दिनों में रक्तस्राव का घर पर किसी प्रकार से उपचार नहीं हो सकता।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी रोकने के उपाय और बच्चा गोरा होने के टिप्स)

गर्भावस्था के दौरान गंभीर लक्षण देखने पर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड या प्रयोगशाला जांच कराने की सलाह देते हैं क्योंकि वो सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कहीं ऐसा एक्टोपिक गर्भावस्था के कारण तो नहीं हो रहा। अगर गर्भावस्था में आप में खून की कमी होगी तो आपकी नसों में तरल पदार्थ (IV fluids) इंजेक्ट किया जायेगा या फिर आपको सर्जरी करानी पड़ेगी।

(और पढ़ें - अल्ट्रासाउंड टेस्ट)

गर्भावस्था के दौरान ब्लीडिंग होने पर आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए डॉक्टर कुछ परीक्षण कराने को कहते है। इसलिए डॉक्टर की बात को नज़रअंदाज़ बिलकुल भी न करें। इन जांचों में मूत्र परीक्षण, पूर्ण रक्त गणना (Complete Blood Count, CBC), सीरम परीक्षण, Rh (ब्लड का प्रकार) जांच आदि प्रमुख हैं। (और पढ़ें - आपका ब्लड टाइप आपके बारे में क्या बताता है)

  1. मूत्र परीक्षण के द्वारा मूत्र पथ के संक्रमण या अन्य किसी प्रकार के इन्फेक्शन का पता चलता है। यह इसलिए ज़रूरी है क्योंकि मूत्र पथ में संक्रमण गर्भपात का कारण बन सकता है। बाद में यह संक्रमण किडनी में संक्रमण का कारण भी बनता है।
  2. आपके रक्त के प्रकार की जांच की जाती है कि आपके ब्लड का प्रकार Rh नेगेटिव है या पॉजिटिव। क्योंकि अगर आप नेगेटिव हैं और बच्चे के पिता पॉजिटिव हैं तो आपका शरीर बच्चे की रक्त कोशिकाओं के प्रति एंटीबॉडी बना सकता है। अगर उपचार न किया गया और यह स्थिति पैदा हुई तो अगली बार जब आप माँ बनने वाली होंगी तो ये एंटीबाडी आपके बच्चे को नुकसान पहुचायेंगी। इसलिए अगर पहली प्रेगनेंसी में इसका पता लगा लिया जाता है और RhoGAM नामक इंजेक्शन से इसका उपचार कर दिया जाता है जो आपके शरीर में एंटीबाडी बनने से रोकता है।
  3. बीएचसीजी स्तर गर्भावस्था में ऊतकों की मात्रा का मापक है। एक्टोपिक और नार्मल दोनों ही गर्भावस्था में बीएचसीजी स्तर होता है। इसकी मात्रा में भिन्नता मापकर भी नार्मल और असामान्य गर्भावस्था का पता लगाया जा सकता है।
  4. अल्ट्रासाउंड में ध्वनि तरंगों के माध्यम से परदे (screen) पर भ्रूण का चित्र देखा जाता है जिसको देखकर भ्रूण की स्थिति और उम्र का पता लगाया जाता है। यह एक्स रे (X-ray) से भिन्न होता है। अल्ट्रासाउंड के द्वारा एक्टोपिक प्रेगनेंसी, प्लेसेंटा प्रिविया, गर्भाशय का फटना, भ्रूण की रक्त वाहिका का फटना और मूत्र पथ संक्रमण आदि सुनिश्चित किये जाते हैं।

(और पढ़ें - प्रेगनेंसी टेस्ट कब करना चाहिए)

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  1. अगर अल्ट्रासाउंड में एक्टोपिक प्रेगनेंसी का पता चला है तो आपको सर्जरी करानी पड़ती है। यह लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया द्वारा की जाती है। इसमें पेट में चीरा लगा के फैलोपियन ट्यूब से एक्टोपिक प्रेगनेंसी निकाल दी जाती है।
  2. गर्भपात की वजह से ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर आपको तब तक आराम करने की सलाह देते हैं जब तक ब्लीडिंग बंद न हो जाये। साथ ही इस दौरान तीन हफ़्तों तक सम्भोग न करने और टेम्पॉन का उपयोग न करने की सलाह देते हैं।
  3. अगर गर्भपात सुनिश्चित हो चुका है और अल्ट्रासाउंड में भ्रूण का कोई भी ऊतक (tissue) नहीं दिख रहा है तो डॉक्टर आपकी अस्पताल से छुट्टी कर देते हैं और आपको घर पर आराम करने की सलाह देते हैं।
  4. गर्भावस्था के आखिरी दिनों में रक्तस्राव होने पर आपको IV तरल पदार्थ या खून चढ़ाया जायेगा। इस समय आपका उपचार आपके रक्तस्राव की मात्रा, आपकी शारीरिक स्थिति और आपके बच्चे की उम्र पर निर्भर करता है।
  5. अगर आपका बच्चा किसी प्रकार के खतरे में है तो उस समय सीजेरियन डिलीवरी की जाती है। हालांकि आमतौर पर योनिमार्ग से डिलीवरी को ही प्राथमिकता दी जाती है लेकिन आपातकालीन स्थिति में सीजेरियन डिलीवरी करके ही माँ और बच्चे को बचाया जाता है।
  6. प्लेसेंटा प्रिविया, गर्भाशय के फटने और भ्रूण की रक्त वाहिका फट जाने की स्थिति में भी सीजेरियन डिलीवरी ही की जाती है। गर्भाशय के फटने पर आपका गर्भाशय निकाल दिया जाता है लेकिन अगर आप और बच्चों की चाह रखती हैं तो सर्जन गर्भाशय को सही भी कर देते हैं।

गर्भावस्था में किसी भी जटिल स्थिति को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने स्वस्थ्य परामर्शदाता से मेलजोल बना कर रखें जिससे इस दौरान अचानक ज़रूरत पड़ने पर वो आपकी मदद करने को तैयार रहे। जोखिम वाली चीज़ों और आदतों को त्याग दें जैसे तम्बाकू और कोकीन का सेवन न करें। अगर आपका ब्लड प्रेशर अधिक रहता है तो उसे कम करने का उपाय अपने स्वस्थ्य परामर्शदाता से पूछिए।

गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव बिलकुल भी सामान्य नहीं है। गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार के योनि से रक्तस्राव होने की जानकारी अपने स्वास्थ्य परामर्शदाता को दें साथ ही कितना और कैसा रक्तस्राव हो रहा है उसका विवरण भी उनको दें। निम्न परिस्थितियां उत्पन्न होने पर डॉक्टर से बात करें :

  1. यदि आपको गंभीर रक्तस्राव या ऐंठन का अनुभव हो रहा है।
  2. यदि गर्भावस्था के दौरान योनि से 24 घंटों से अधिक रक्तस्राव हो रहा है।
  3. अगर आप बेहोश हो जाती हैं या चक्कर अधिक आते हैं।
  4. अगर आपको रक्तस्राव के दौरान 100.5 फ़ारेनहाइट बुखार आता है। (और पढ़ें - बुखार में क्या खाना चाहिए)
  5. अगर आपको मासिक धर्म के दौरान होने वाले पेट दर्द से भी अधिक दर्द अनुभव हो रहा है।

प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग एक चिंताजनक स्थिति हो सकती है, जो कई कारणों से हो सकती है। शुरुआती गर्भावस्था में हल्की स्पॉटिंग आम है और यह निषेचन के बाद भ्रूण के गर्भाशय में स्थापित होने के कारण हो सकती है, जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है। हालांकि, भारी या लगातार ब्लीडिंग गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकती है, जैसे कि गर्भपात, एक्टोपिक प्रेगनेंसी (गर्भाशय के बाहर गर्भस्थापना), या प्लेसेंटा प्रीविया (गर्भाशय में प्लेसेंटा का असामान्य स्थान)। दूसरी और तीसरी तिमाही में ब्लीडिंग प्लेसेंटल एब्रप्शन (प्लेसेंटा का गर्भाशय की दीवार से अलग होना) का संकेत हो सकती है, जो माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। किसी भी प्रकार की ब्लीडिंग होने पर तत्काल चिकित्सा परामर्श लेना आवश्यक है ताकि उचित निदान और उपचार प्राप्त हो सके और माँ और शिशु दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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