जी हां, अस्थमा का एक लक्षण खांसी भी है लेकिन इसका मुख्य लक्षण सांस लेने में दिक्कत है। हो सकता है जुकाम की वजह से उनकी छाती में कफ जम हो गया हो। बिना जांच किए ये नहीं बताया जा सकता है कि आपके पति को खांसी क्यों हो रही है। इसके लिए चेस्ट स्पेशलिस्ट या पल्मोनोलॉजिस्ट को दिखाएं। अस्थमा की बीमारी दोबारा हो सकती है।
अस्थमा के अटैक से बचने के लिए आप डाइट में प्रोटीन और वसा युक्त भोजन, ठन्डे पेय पदार्थ, मांस, अंडा आदि न खाएं और स्मोकिंग व शराब के सेवन से भी बचें। आपका इनहेलर अटैक को कंट्रोल नहीं कर पा रहा है तो हो सकता है कि आपकी स्थिति गंभीर रूप ले चुकी हो। आप तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
अस्थमा अटैक को ट्रिगर करने वाली चीजों से दूर रहें ताकि पहले की तरह उन्हें दोबारा इतना तेज अटैक न पड़े। आपकी पत्नी को अस्थमा का अटैक आया था और अटैक के दौरान इनहेलर ने पूरी तरह से असर नहीं किया तो ये बात नॉर्मल नहीं है। आपकी पत्नी की स्थिति गंभीर हो सकती है। आप जल्द से जल्द उन्हें पल्मोनोलॉजिस्ट को दिखाएं। साल्बुटामोल इन्हेलर के पफ को 12 घंटे में 2 से 3 बार ही लेना होता है और बाकी साल्बुटामोल पफ जरूरत के हिसाब से ही लिया जाता है।
अस्थमा को कंट्रोल में रखने के लिए एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त फल और सब्जियां खाएं और इसी के साथ विटामिन-ए, विटामिन-सी और विटामिन-ई युक्त फल खाएं, सुबह योगा करें, रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुना पानी पी कर सोएं, एलर्जी से बचें और सकारात्मक एवं खुश रहा करें। सांस फूलने की प्रॉब्लम के लिए डॉक्टर की सलाह से इनहेलर लें। अस्थमा की समस्या में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा युक्त चीजों का सेवन कम करना चाहिए। ठंडे पेय, आइसक्रीम जैसी ठंडी चीजों का सेवन बिलकुल ना करें। अंडे, मछली, मांस या चॉकलेट का अधिक सेवन अस्थमा की स्थिति को बिगाड़ सकता है। अचार और मसालेदार भोजन के सेवन से बचें। दमा के अटैक से बचने के लिए शराब और धूम्रपान का सेवन कभी नहीं करें। इन सब बातों का ध्यान रख कर आप अपनी प्रॉब्लम को कंट्रोल कर सकते हैं।
अस्थमा को कंट्रोल में रखने के लिए एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त फल और सब्जियां खाएं और इसी के साथ विटामिन-ए, विटामिन-सी और विटामिन-ई युक्त फल खाएं, सुबह योगा करें, रात को सोने से पहले एक गिलास गुनगुना पानी पी कर सोएं, एलर्जी से बचें और सकारात्मक एवं खुश रहा करें। सांस फूलने की प्रॉब्लम के लिए डॉक्टर की सलाह से इनहेलर लें। अस्थमा की समस्या में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा युक्त चीजों का सेवन कम करना चाहिए। अगर आप इन सभी बातों का ध्यान रखते हैं तो भविष्य में अस्थमा अटैक को रोक सकते हैं।
बच्चों से अस्थमा के बारें में बात करना आसान नहीं है क्योंकि कुछ बच्चे इस बारे में जानकर बहुत डर जाते हैं। अपने बेटे से खुलकर इस बारे में बात करें और इस काम में आप उसके डॉक्टर की मदद भी ले सकती हैं।
पहले अस्थमा से ग्रस्त बच्चों को घर में रहने और कुछ न खेलने के लिए कहा जाता था लेकिन आज सामान्य तौर पर अस्थमा वाले बच्चों को भी खेलने की सलाह दी जाती है क्योंकि एक्सरसाइज से फेफड़ों की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। इसी के साथ फेफड़े लंबे समय तक ठीक तरह से काम कर पाते हैं। लेकिन फिर भी अपने बच्चे को किसी खेल में हिस्सा दिलाने से पहले डॉक्टर से बात जरूर कर लें। क्योंकि कुछ तरह के खेलों की वजह से उसकी स्थिति और बिगड़ सकती है। कोई खेल खेलने से पहले बच्चे को 20 से 30 मिनट पहले एल्ब्युटेरोल इनहेलर लेना चाहिए।
अस्थमा के लक्षणों को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने के वातावरण में बदलाव करें। उसे धूल-मिट्टी जैसी चीजों से दूर रखें क्योंकि ये अस्थमा को ट्रिगर करती हैं। उसे किसी तरह की एलर्जी न होने दें और सर्दी जुकाम से बचाएं। डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का इस्तेमाल करें। इसके अलावा जिन चीजों से बच्चे को अस्थमा होता हो या एलर्जी हो, उसे उन चीजों से दूर रखें।
अस्थमा ठीक नहीं हो सकता है लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता सकता है। अस्थमा की स्थिति समय के साथ बदलती रहती है। डॉक्टर के साथ मिलकर ट्रीटमेंट के साथ-साथ अस्थमा के अटैक को रोकने पर काम कर सकते हैं।