चिंता विकार से ग्रस्त व्यक्ति को पैनिक अटैक आते हैं, जिसकी वजह से उन्हें हार्ट अटैक या अन्य तरह की गंभीर समस्या हो सकती है। हालांकि, इसकी वजह से किसी व्यक्ति की मौत नहीं होती है। पैनिक अटैक गंभीर होता है जिसके लिए ट्रीटमेंट लेने की जरूरत होती है। अगर आपको नियमित रूप से इस तरह के लक्षण महसूस होते हैं, तो आप आगे की जांच और सलाह के लिए फिजिशियन से मिलें।
चिंता विकार मानसिक रोग से अलग होता है, लेकिन यह मानसिक बीमारी के प्रकारों में से एक है। अगर आप अधिक तनावपूर्ण स्थिति में रहते हैं, तो यह आपको आसानी से हो सकता है। जो लोग चिंता, भय और भावुक स्थिति में अधिक होते हैं, वे इस स्थिति से बाहर निकल ही नहीं पाते। इसके लिए जरूरी है कि आप साइकेट्रिस्ट से सलाह लें।
लोगों को जीवन में कभी न कभी चिंता जरूर होती है, लेकिन जो व्यक्ति चिंता विकार से ग्रस्त होते हैं उनमें अस्थायी रूप से चिंता और भय हमेशा बने रहते हैं। इससे ग्रस्त व्यक्ति में चिंता दूर नहीं होती, जोकि समय के साथ और बढ़ सकती है। इसके लक्षण जीवन में रोजमर्रा वाली गतिविधियां जैसे कि ऑफिस के कार्य, स्कूल के काम और रिश्तों में दखल दे सकते हैं।
कई रिसर्च के अनुसार चिंता विकार एक अनुवांशिक समस्या है, लेकिन यह वातावरण से भी प्रभावित हो सकती है और यह भी संभव है कि यह परिवार में किसी भी सदस्य में भी संचारित न हों।
जिन लोगों को चिंता विकार होता है, उन लोगों के जीवन में कई तरह के नकारात्मक प्रभाव होते हैं। परेशानी और उनके काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इससे ग्रस्त लोग सामाजिक रूप खुद को दूसरों से अलग और मानसिक रूप से कम समझने लगते हैं।
चिंता अक्सर एक विशिष्ट स्थिति से संबंधित होती है, जिसकी वजह से आपको कुछ समय तक चिंता हो सकती है। चिंता की वजह से आपको अचानक पैनिक अटैक आ सकता है और इसके लक्षण आमतौर पर 10 मिनट से 30 मिनट तक रह सकते हैं, जबकि इसका प्रभाव लंबे समय तक भी रह सकता है।
चिंता और पैनिक अटैक को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इनके लक्षणों को कम किया जा सकता है। यह किसी व्यक्ति में मनोवैज्ञानिक रूप से स्थायी होता है इसलिए यह स्थायी रूप से ठीक नहीं हो सकता।
चिंता एक ऐसी स्थिति है जो आती है और चली जाती है, लेकिन कुछ लोगों में चिंता पूरी तरह से दूर नहीं होती है, लेकिन आप इसके लक्षणों को कम कर सकते हैं। चिंता को दूर करने लिए आप व्यायाम करें। व्यायाम के अलावा, अपने नियमित काम से ब्रेक लें या छुट्टी की योजना बनाएं। यदि आपको किसी विशेष चीज का शौक है, तो उसके लिए समय निकालें। ऐसी चीजें करें जो आपको बेहतर महसूस कराती हैं। स्वस्थ आहार लें, इससे आप शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बेहतर महसूस करेंगे। आहार में आप फल, सब्जियां और पूरे अनाज लें और चिकना, मीठा, उच्च वसा, संसाधित खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। तम्बाकू, ड्रग्स और शराब के सेवन से चिंता विकार हो सकता है। कैफीन से भी चिंता विकार हो सकता है या उसे बढ़ा सकता है। इसलिए इनके सेवन से बचें।
चिंता विकार की वजह से 10 से 15 प्रतिशत तक वजन कम होना सामान्य बात नहीं है, जिसका कारण लंबे समय से होने वाला तनाव हो सकता है। हर व्यक्ति का शरीर कुछ रासायनिक रूप से अलग है, इसलिए चिंता की वजह से हर किसी में वजन नहीं घटता, बल्कि कुछ लोगों में वजन बढ़ता भी है। चिंता की वजह से थकान महसूस होने लगती है, जिससे शरीर की एनर्जी कम हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से एक्टिव नहीं होते हैं उनका शरीर नियमित आधार पर कैलोरीज को बर्न (खत्म) नहीं कर पाता, जिसकी वजह से वजन बढ़ने लगता है।