चिंता एक मानसिक विकार है जो कि रज (दिमाग को कार्य और जोश के लिए प्रेरित करता है) और तम (मन को असंतुलन, विकार और चिंता से प्रभावित करने वाला) जैसे मानसिक दोष के असंतुलन के कारण होती है। आयुर्वेद में इसे चित्तोद्वेग कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार किसी आहार और मानसिक कारण की वजह से चित्तोद्वेग हो सकता है। महिलाओं और गरीबी या अपनी आधारभूत जरूरतों को पूरा कर पाने में असक्षम व्‍यक्‍ति को चिंता का खतरा ज्‍यादा रहता है। हालांकि, ये समस्या आमतौर पर वृद्ध लोगों में ज्यादा देखी जाती है। अगर समय पर चिंता का इलाज न किया जाए तो ये मानसिक और शारीरिक समस्‍या जैसे कि डिप्रेशन, हाइपरटेंशन, हर समय थकान महसूस करना, एक्‍ने और कब्‍ज का रूप ले लेती है।

चिंता का आयुर्वेदिक इलाज जानने के लिए यहां दिए लिंक पर क्लिक करें।

आयुर्वेदिक उपचार में चित्तोद्वेग या चिंता को नियंत्रित करने के लिए ब्राह्मी, मंडूकपर्णी और अश्‍वगंधा का प्रयोग किया जाता है। मस्तिष्‍क के लिए शक्‍तिवर्द्धक या मेध्‍य रसायनों के साथ शमन चिकित्‍सा द्वारा चिंता को नियंत्रित किया जाता है।

आहार में घी, अंगूर, पेठा और फलों को शामिल करें। इसके अलावा जीवनशैली में नियमित ध्‍यान और प्राणायाम को भी शामिल करने से दिमाग को शांत रखने में मदद मिलती है।

  1. आयुर्वेद के दृष्टिकोण से चिंता
  2. चिंता का आयुर्वेदिक इलाज - Anxiety ka ayurvedic ilaj
  3. चिंता की आयुर्वेदिक दवा, जड़ी बूटी और औषधि - Chinta ki ayurvedic dawa aur aushadhi
  4. आयुर्वेद के अनुसार चिंता होने पर क्या करें और क्या न करें - Ayurved ke anusar Anxiety me kya kare kya na kare
  5. चिंता के लिए आयुर्वेदिक दवा कितनी लाभदायक है - Anxiety ka ayurvedic upchar kitna labhkari hai
  6. चिंता की आयुर्वेदिक औषधि के नुकसान - Anxiety ki ayurvedic dawa ke side effects
  7. चिंता की आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से जुड़े अन्य सुझाव - Chinta ke ayurvedic ilaj se jude anya sujhav
चिंता के आयुर्वेदिक उपाय के डॉक्टर

चित्तोद्वेग सबसे सामान्‍य मानसिक विकार है जो कि भावनात्‍मक आघात के कारण होता है। बासी भोजन या अनुचित खाद्य पदार्थ (जैसे मछली के साथ दूध), मानसिक कारकों जैसे कि दुखी रहना, डर या परेशान रहने की वजह से चिंता हो सकती है। चिंता से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को बेचैनी, दिमाग से जुड़े कामों में परेशानी, बोलने में दिक्‍कत और मानसिक रूप से असंतुलित महसूस होता है।

(और पढ़ें – बासी भोजन करने से नुकसान)

चिंता का संबंध अस्‍य-वैरस्‍य (मुंह का खराब स्‍वाद), धमनी प्रतिचय (एथेरोस्क्लेरोसिस-धमनियों में रुकावट), अतिसार (दस्‍त), त्‍वक विकार (त्‍वचा रोग) और अनिद्रा (इनसोमनिया) से है।

ध्‍यान और धरण (एकाग्रता) से मस्तिष्‍क में न्‍यूरोट्रांसमीटर्स जैसे कि नोरेफिनेफ्राइन और सेरोटोनिन को सामान्‍य कर चिंता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ये मस्तिष्‍क के खराब हुए दोष के साथ-साथ बुद्धिभ्रंश (दिमाग की शक्‍ति में कमी आना) का भी इलाज करते हैं। रसायन (ऊर्जादायक) चिंता का कारण बने शरीर के मानसिक और शारीरिकों कारकों को संतुलित और चिंता घटाने में मदद करते हैं। आचार रसायन यानि आचार संहिता के द्वारा व्‍यक्‍ति को समाज में सही तरह से व्‍यवहार करना सिखाया जाता है और उसके रक्षा तंत्र में सुधार लाया जाता है जिससे वो खुद का बचाव करने वाली स्थितियों को समझ पाता है। इस प्रकार चिंता को रोका जाता है।

(और पढ़ें – याददाश्त बढ़ाने के घरेलू उपाय)

सत्वावजय चिकित्‍सा (तनाव को नियंत्रित करने वाली) में धैर्य और ज्ञान (निजी जागरूकता), अनुभव साझा करने और समाधि (चिंता के कारण से ध्‍यान हटाना और आत्‍म संयम विकसित करना) से चिंता को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। 

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Manamrit Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Brahmi Tablets
₹896  ₹999  10% छूट
खरीदें
  • निदान परिवार्जन
    • किसी भी बीमारी के उपचार के लिए आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों में से एक निदान परिवार्जन है जिसमें रोग के मूल कारण को खत्‍म किया जाता है।
    • हिंसा या नकारात्‍मक वातावरण से दूर रहकर और हृदय तथा फेफड़ों से संबंधित विकारों या एंडोक्राइन ग्रंथि को किसी भी तरह के नुकसान से बचाकर चिंता को दूर करने में मदद मिल सकती है। स्‍टेरॉइड्स और नींद लाने वाली दवाओं को लेने से भी बचना चाहिए। (और पढ़ें – अच्छी गहरी नींद आने के घरेलू उपाय)
       
  • रसायन
    • रसायन उपचार में व्‍यक्‍ति की आयु बढ़ाने पर काम किया जाता है। ये प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती देकर शरीर को कई रोगों से बचाने का भी काम करता है।
    • चिंता के इलाज में मेध्‍य रसायन खासतौर पर मददगार है। चिंता के उपचार में मेध्‍य रसायन में ब्राह्मी रसायन (घी, ब्राह्मी, गोटू कोला और अन्‍य जड़ी बूटियों से बना), अश्‍वगंधा रसायन, यष्टिमधु (मुलेठी) रसायन, मंडूकपर्णी रसायन का इस्‍तेमाल किया जाता है।
    • मेध्‍य रसायन चिकित्‍सा में इस्‍तेमाल होने वाली जड़ी बूटियों में चिंतारोधी और रोग को खत्‍म करने वाले गुण होते हैं। ये हर उम्र के व्‍यक्‍ति में मानसिक रोग को रोकने एवं उसे नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
    • मेध्‍य रसायन से चीज़ों को याद रखने की क्षमता, धृति (स्‍मृति) और धि (कुछ हासिल करने का अहसास) में सुधार आता है। मस्तिष्‍क को शक्‍ति देने वाली जड़ी बूटियों से रंगत को निखारने, आवाज़ बेहतर होने, मस्तिष्‍क के कार्य एवं पाचन अग्नि में सुधार और शरीर को मजबूती मिलती है। (और पढ़ें – गोरा रंग पाने के लिए क्या करें)
    • आचार रसायन न केवल चिंता का इलाज करता है बल्कि उसे रोकता भी है। इस चिकित्‍सा से व्‍यक्‍ति में दूसरो के प्रति आदर की भावना, ज्‍यादा मेहनत से बचना, दयालु बनना, ईश्‍वर की आराधना करना, पर्याप्‍त नींद, पौष्‍टिक आहार, स्‍वभाव से सौम्‍य रहकर, ध्‍यान एवं सच बोलने के लिए प्रेरित किया जाता है।
       
  • शमन चिकित्‍सा 
    चिंता के इलाज के लिए शमन चिकित्‍सा में निम्‍न उपचारों का इस्‍तेमाल किया जाता है।
    • औषधीय तेलों या तरल पदार्थों से अभ्‍यंग (शरीर की मालिश) और शिरोअभ्‍यंग (सिर की मालिश) की जाती है। (और पढ़ें – मालिश करने के फायदे)
    • एक सप्‍ताह तक ब्राह्मी स्‍वरस (रस) से नास्‍य कर्म (नाक से औषधि डालना) किया जाता है।
    • स्‍नेहपान (तेल या घी पीना) के लिए प्रमुख तौर पर महाकल्याणक घृत (घी) का इस्‍तेमाल किया जाता है।
    • एक सप्‍ताह तक चंदनादि तेल से शिरोबस्‍ती (सिर के लिए तेल चिकित्‍सा) किया जा सकता है।
    • चंदनादि तेल या औषधीय दूध, पानी, छाछ या तेल से एक सप्‍ताह तक शिरोधारा (सिर पर तेल या तरल पदार्थ डालने की विधि) की जाती है। चिंता के इलाज में ब्राह्मी की पत्तियों से तक्र धारा (छाछ डालने की विधि) और शिरोलेप (सिर पर औषधियां लगाना) किया जाता है।

(और पढ़ें –तनाव के लिए योग)

चिंता के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां

  • मंडूकपर्णी
    • आयुर्वेदिक ग्रं‍थों में शरीर की ताकत और जोश को बढ़ाने वाली जड़ी बूटियों में मंडूकपर्णी का उल्‍लेख किया गया है। ये मेध (बुद्धि), स्‍मृति (याददाश्‍त) और व्‍यक्‍ति के जीवनकाल में सुधार लाती है, इस प्रकार मंडूकपर्णी से चिंता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
    • ये नसों को शक्‍ति देती है और इसमें मूत्रवर्द्धक गुण पाए जाते हैं जिससे शरीर से अतिरिक्‍त नमक और पानी बाहर निकल जाता है। इसके अलावा मंडूकपर्णी में ह्रदय को शक्‍ति देने वाले और संकुचक (ऊतकों को संकुचित करने वाले) गुण मौजूद होते हैं। (और पढ़ें – पानी कब कितना और कैसे पीना चाहिए)
    • मंडूकपर्णी पित्त से संबंधित मूत्रघात (पेशाब करने में दिक्‍कत) को ठीक करती है और इसमें ठंडक देने वाले एवं संकुचक गुण मौजूद होते हैं। (और पढ़ें – पेशाब में दर्द और जलन के घरेलू उपाय)
    • बढ़ती उम्र में होने वाले रोगों के उपचार के लिए मंडूकपर्णी को जाना जाता है। ये रोग प्रतिरोधक शक्ति और हड्डियों में कोलाजन के उत्‍पादन को बढ़ाती है। इस प्रकार ये बढ़ती उम्र से संबंधित विकारों जैसे कि चिंता, कमर दर्द, घुटनों में दर्द, इनसोमनिया और कमजोरी के इलाज एवं उसे नियंत्रित करने में उपयोगी है।
       
  • ब्राह्मी
    • आयुर्वेद में मस्तिष्‍क के लिए शक्‍तिवर्द्धक के रूप में ब्राह्मी को जाना जाता है। ये एकाग्रता, बुद्धिमानी और याददाश्‍त को बढ़ाती है। ये व्‍यक्‍ति को ध्‍यान लगाने, दिमाग को शांत रखने और नसों एवं मस्तिष्‍क में न्‍यूरॉन (मस्तिष्‍क की कोशिकाएं) कार्य को ऊर्जा देने का काम करती है। इस प्रकार ये चिंता को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद करती है।
    • ये रोग प्रतिरोधक शक्‍ति में सुधार लाती है और खून एवं रक्‍त कोशिकाओं को साफ करती है। ब्राह्मी दिमाग के ऊतकों को साफ करने की बेहतरीन जड़ी बूटी है। इसमें एलर्जीरोधी, तनावरोधी और ज्ञान संबंधित कार्य में सुधार लाने वाले गुण मौजूद होते हैं। (और पढ़ें – रोग प्रतिरोधक शक्ति कैसे बढ़ाये)
    • डिप्रेशन और‍ चिंता के इलाज में ब्राह्मी का इस्‍तेमाल किया जाता है एवं कई वर्षों से मानसिक थकान से राहत पाने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जाता रहा है। अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य विकारों जैसे कि दांतों की संरचना के आसपास होने वाला संक्रमण, लिवर सिरोसिस, घाव, ऐंठन, सुन्‍न पड़ने, अल्‍सर और सूजन के इलाज में भी ब्राहृमी उपयोगी है।
       
  • यष्टिमधु (मुलेठी)
    • इसे दिमाग को शांति देने वाले गुणों के लिए जाना जाता है और इसी वजह से ये चिंता के इलाज में उपयोगी है। ये कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं जैसे कि सामान्य दुर्बलता, मांसपेशियों में ऐंठन, ब्रोंकाइटिस, गले में खराश, अल्‍सर और लैरिंजाइटिस (गले में दर्द) के इलाज में मदद करती है।
    • यष्टिमधु बल (मजबूती) देती है एवं इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट, नाडिबल्‍य (नसों के लिए शक्‍तिवर्द्धक) और बुखार कम करने वाले गुण मौजूद हैं। मुलेठी दौरे पड़ने से रोकती है और घाव को जल्‍दी भरने में मदद करती है। इसे हद्रय के लिए शक्‍तिवर्द्धक के रूप में भी इस्‍तेमाल किया जाता है। (और पढ़ें – बच्चों में दौरे आने के लक्षण)
    • इस जड़ी बूटी में कफ-निस्‍सारक (बलगम दूर करने वाले) उल्‍टी लाने वाले, ऊर्जादायक और श्‍लेष्‍मा झिल्‍ली को सुरक्षा देने वाले गुण मौजूद हैं। इसे आप पाउडर, काढ़े या दूध के काढ़े के रूप में ले सकते हैं। (और पढ़ें – काढ़ा बनाने की विधि)
       
  • अश्‍वगंधा
    • अश्‍वगंधा को मस्तिष्‍क के लिए शक्‍तिवर्द्धक के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा ये रोग प्रतिरोधक शक्‍ति के स्‍तर में सुधार और नसों की थकान को दूर करने का काम करती है। इसमें तनावरोधी और दिमाग को शांति देने वाले गुण मौजूद होते हैं जो कि इसे चिंता के इलाज में उपयोगी बनाते हैं।
    • अश्‍वगंधा के पाउडर को घी या तेल के साथ मिलाकर, इसकी हर्बल वाइन या काढ़े का सेवन कर सकते हैं।
       
  • जटामांसी
    • जटामांसी को उत्तेजक, नसों के लिए शक्‍तिवर्द्धक और पाचन को उत्तेजित करने के लिए जानी जाती है। ये त्‍वचा की रंगत को निखारने और पीलिया, पाचन से संबंधित रोगों, किडनी स्‍टोन, घबराहट एवं पेट फूलने की समस्‍या के इलाज में मदद करती है। (और पढ़ें – किडनी स्टोन का आयुर्वेदिक उपचार)
    • जटामांसी मिर्गी के इलाज में भी इस्‍तेमाल की जाती है। इसमें ठंडक देने वाले गुण होते हैं और ये किसी भी चीज़ के बारे में जानने यानि ज्ञान अर्जित करने की क्षमता में सुधार लाती है। इसी वजह से जटामांसी चिंता के इलाज में उपयोगी है।
    • जटामांसी को मेध्‍य औषधि के रूप में जाना जाता है क्‍योंकि ये स्‍मृति, धि और बुद्धि में सुधार लाती है। इसमें चिंता को कम करने वाले गुण भी होते हैं। (और पढ़ें – मानसिक मंदता क्या है)
    • ये पाउडर और अर्क के रूप में उपलब्‍ध है।

चिंता के लिए आयुर्वेदिक औषधियां

  • मम्‍स्‍यादि क्‍वाथ
    • इसमें जटामांसी, पारसीक  यवानी और अश्‍वगंधा मौजूद है। इसे मानसिक रोगों के लिए काफी उपयोगी औषधि माना जाता है। (और पढ़ें – मानसिक रोग दूर करने के उपाय)
    • इस मिश्रण का लंबे समय तक इस्‍तेमाल करने पर चिंता दूर होती है और डिप्रेशन के इलाज में ये उपयोगी है। (और पढ़ें – अवसाद या डिप्रेशन के लिए योग)
    • मम्‍स्‍यादि क्‍वाथ शरीर में दर्द निवारक प्रभाव भी देता है।
       
  • रसायन घन वटी (गोली)
    • रसायन घन वटी में आमलकी, गुडूची और गोक्षुर मौजूद है।
    • रसायन घन वटी में ऊर्जादायक गुण होते हैं एवं यह बढ़ती उम्र के प्रभाव (एंटी-एजिंग) को भी कम करती है। इससे आयु बढ़ती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार आता है। चिंतारोधी गुण के कारण ये मिश्रण चिंता और डिप्रेशन के इलाज में उपयोगी है। (और पढ़ें – एजिंग के लक्षण कम करने के आयुर्वेदिक टिप्स)
    • इस गोली को आप शहद, घी या डॉक्‍टर के निर्देशानुसार ले सकते हैं।

व्यक्ति की प्रकृति और कई कारणों के आधार पर चिकित्सा पद्धति निर्धारित की जाती है इसलिए उचित औषधि और रोग के निदान हेतु आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें।

क्‍या करें

क्‍या न करें

  • अनुचित खाद्य पदार्थों जैसे कि दूध के साथ मछली न खाएं।
  • सॉफ्ट ड्रिंक्‍स, चाय, कॉफी या ज्‍यादा गर्म या मसालेदार खाद्य पदार्थ न खाएं।
  • रात के समय जागे नहीं। (और पढ़ें – रात को जल्दी सोने के उपाय)
  • धूम्रपान या शराब का सेवन न करें। (और पढ़ें – शराब पीने के नुकसान)
  • भारी खाद्य पदार्थ न खाएं।
  • प्राकृतिक इच्‍छाओं जैसे कि भूख, प्‍यास, पेशाब, मल त्‍याग की क्रिया और भावनाओं को दबाए नहीं।
  • बासी या फीका खाना न खाएं। (और पढ़ें – फिट रहने के लिए क्या खाएं)
  • वाइन न पीएं। 

प्रारंभिक अध्‍ययन में सूखी ब्राह्मी को चिंता घटाने में असरकारी पाया गया है। अध्‍ययन के अनुसार सूखी ब्राह्मी में चिंता को रोकने वाले गुण होते हैं। अन्‍य अध्‍ययन में स्‍वस्‍थ वयस्‍कों पर ब्राह्मी अर्क का इस्‍तेमाल किया गया था। अध्‍ययन में शामिल प्रतिभागियों ने बताया कि ब्राह्मी के उपयोग से उन्‍होंने चिंता के स्‍तर में कमी महसूस की।

एक चिकित्‍सकीय अध्‍ययन में चिंता से ग्रस्‍त 108 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इन्‍हें कुछ समय के लिए रसायन घन वटी दी गई। अध्‍ययन के पूरा होने तक सभी प्रतिभागियों ने भावनात्‍मक और मानसिक स्थिति में सुधार की बात कही और इनके संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य एवं जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार देखा गया।

मंडूकपर्णी चूर्ण, चित्तोद्वेग से ग्रस्‍त 33 प्रतिभागियों को दिया गया। उपचार के 30 दिनों के बाद सभी मरीज़ों में चिंता के संकेत और लक्षणों में सुधार देखा गया और इनमें अनिद्रा (इनसोमनिया) और डर में भी कमी आई।

मानसिक विकारों में मेध्‍य रसायन के प्रभाव की जांच के लिए एक अध्‍ययन किया गया था जिसमें ये साबित हुआ कि कई तरह के मानसिक विकारों जैसे कि अ‍निद्रा, चिंता, बेचैनी और परेशानी के इलाज में मेध्‍य रसायन सुरक्षित और असरकारी है।

(और पढ़ें – स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक टिप्स)

चिंता न्‍यूरोसिस (कम मानसिक बीमारी) से ग्रस्‍त 40 प्रतिभागियों को जटामांसी दी गई। जटामांसी के प्रयोग से इन प्रतिभागियों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार आया, शरीर में कैटेक्लोमाइन्स (एड्रेनल ग्रंथि द्वारा बनाने वाले हार्मोन) में कमी आई और इसके चिंतारोधी और तनावरोधी प्रभाव देखे गए। इस जड़ी बू‍टी से शरीर को तनाव के अनुकूल होने में भी मदद मिली।

सामान्‍य चिंता विकार से ग्रस्‍त लोगों पर भी एक अन्‍य अध्‍ययन किया गया था जिसमें ये साबित हुआ कि मम्‍स्‍यादि क्‍वाथ लेने के साथ-साथ योग की मदद से चिंता के लक्षणों से राहत मिल सकती है। इससे चिंता के स्‍तर में भी कमी देखी गई।

हाई ब्‍लड प्रेशर या ऑस्टियोपोरोसिस के मरीज़ को यष्टिमधु नहीं देनी चाहिए। यष्टिमधु को उबले दूध के साथ या इसे डि-ग्‍लिसराइड (ग्‍लिसराइड नामक यौगिक को निकालकर बना) रूप में दे सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को भी यष्टिमधु के सेवन से बचना चाहिए।

(और पढ़ें – हाई ब्लड प्रेशर में क्या नहीं खाना चाहिए)

नाक या छाती में बलगम जमने पर अश्‍वगंधा नहीं लेनी चाहिए। कैंसर या किसी अन्‍य गंभीर बीमारी से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को अश्‍वगंधा की एक या इससे ज्‍यादा औंस की मात्रा का इस्‍तेमाल करना चाहिए। 

Badam Rogan Oil
₹349  ₹599  41% छूट
खरीदें

चिंता एक मानसिक विकार है जिसमें व्‍यक्‍ति को लगातार परेशानी महसूस होती है जो कि व्‍यवहारिक और भावनात्‍मक बदलावों का रूप ले सकती है। आयुर्वेद के अनुसार तनाव के स्‍तर को कम करके और दीर्घायु को बढ़ावा देकर चिंता का इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेद में जड़ी बूटियों और औषधियों से मस्तिष्‍क के कार्य में सुधार, चिंता को कम और मस्तिष्‍क के ज्ञान से संबंधित कार्यों को बेहतर किया जाता है।

(और पढ़ें – चिंता दूर करने के घरेलू उपाय)

जीवनशैली में बदलाव जैसे कि ध्‍यान, आराम करने, व्‍यवहार में बदलाव और आहार में पौष्‍टिक खाद्य पदार्थों को शामिल कर चिंता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। तनाव से दूर रह कर मानसिक रूप से शांत रहा जा सकता है। जीवन को बेहतर बनाने और चिंता से बचने के लिए व्‍यक्‍ति को अपने जीवन से प्‍यार करना सीखना चाहिए। 

(और पढ़ें – चिंता खत्म करने के लिए योगासन)

Dr. Harshaprabha Katole

Dr. Harshaprabha Katole

आयुर्वेद
7 वर्षों का अनुभव

Dr. Dhruviben C.Patel

Dr. Dhruviben C.Patel

आयुर्वेद
4 वर्षों का अनुभव

Dr Prashant Kumar

Dr Prashant Kumar

आयुर्वेद
2 वर्षों का अनुभव

Dr Rudra Gosai

Dr Rudra Gosai

आयुर्वेद
1 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. National Health Portal [Internet] India; Chittodvega(Anxiety neurosis).
  2. Dr. G. Babu. et al. Role of Achara rasayana In Chittodvega. Ancient Science of Life. Vol : No.XXVI (4) April, May, June 2007.
  3. Swami Sadashiva Tirtha. Ayurveda encyclopedia. Sat Yuga Press, 2007. 657 pages.
  4. Neha Rawat and Rakesh Roushan. Medhya Rasayan: A Potential Anxiolytic Drug in Ayurveda. IJAPC. Greentree Group PublishersInt J Ayu Pharm Chem 2018 Vol. 9 Issue 2
  5. Dr. Deepika Dinesh Joshi. et al. A review of Mandukaparni (Centella Asiatica) as an effective Vayasthapana Drug: Ayurvedic and Modern Approach. Gomantak Ayurved Mahavidyalay and Research Centre.
  6. Swami Sadashiva Tirtha. Ayurveda encyclopedia. Sat Yuga Press, 2007. 657 pages.
  7. India. Dept. of Indian Systems of Medicine & Homoeopathy. The Ayurvedic Pharmacopoeia Of India. Govt. of India, Ministry of Health and Family Welfare, Dept. of ISM & H., 2007 - Medicine, Ayurvedic.
  8. A.K. Teltumbde. et al. Effect of Yashtimadhu (Glycyrrhiza Glabra) on Intelligence and Memory Function in Male Adolescents. Scholars Journal of Applied Medical Sciences (SJAMS). Scholars Academic and Scientific Publisher.
  9. Natural Health Research Institute. [Internet]. Bloomingdale, IL; Ashwagandha May Attenuate Neuroinflammation and Anxiety Associated with Obesity.
  10. Deshraj Singh. et al. Effect of Jatamansi in Cittodvega( Anxiety Neurosis). Aryavaidyan. Volume XXII.
  11. Shreevathsa. et al. Experimental Evaluation for Analgesic Activity of Mamsyadi Kwatha. IJRAP 2011. 2(4) 1051-1053
  12. Rao Ravi S. et al. Effects of Mamsyadi Kwatha on Anxiety Levels : An Experimental Study. IRJP, 2011.
  13. Rao Ravi S. et al. Effects of Mamsyadi Kwatha on Anxiety Levels : An Experimental Study. IRJP, 2011.
  14. Rambabu. et al. Anti depressant activity of Mamsyadi Kwatha: An Ayurvedic compound formulation. AYU: An International Quarterly Journal of Research in Ayurveda;Jan-Mar2013, Vol. 34 Issue 1, p113.
  15. Yogesh Shamrao Deole. et al. Evaluation of Effect of Rasayana Ghana Tablet (An Ayurveda Formulation) in Management of Akala Jara (Premature Ageing). Journal of Ayush: Ayurveda, Yoga, Unani, Sishha, Homeopathy. Vol 1, No 3 (2012).
  16. Soni Hardic. et al./ Int. J. Res. Ayurveda. Pharm. 5(1), Jan-Feb 2014.
  17. Ministry of Ayush. [Internet]. Government of India. Effect Of Rasayana Ghana Tablet (An Ayurvedic Formulation on improving quality of life and stressed individual).
  18. Ministry of Ayush. [Internet]. Government of India. Efficiency of Fortified Mandookaparni Choorna in the Management of Chittodvega (Generalised Anxiety Disorder).
  19. Ministry of Ayush. [Internet]. Government of India. Effects of Mamsyadi Kwatha and Yoga Therapy in the Management of Anavasthita Chittatva( General Anxiety Disorders).
ऐप पर पढ़ें