बुढ़ापा आना वैसे तो बेहद ही सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन फिर भी इसको परिभाषित करना काफी कठिन हो सकता है। यह एक शारीरिक प्रक्रिया है,जो पूरी तरह से प्राकृतिक है, जो धीरे-धीरे समय के अनुसार होती है। लेकिन यह सभी व्यक्तियों में एक ही उम्र में विकसित नहीं होती और साथ ही बुढ़ापा होना एक व्यापक समस्या भी है। यह सिर्फ एक शारीरिक समस्या नहीं है, यह मानसिक व बौद्धिक प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करती है। साथ ही इस कारण व्यक्ति सामाजिक रूप से भी काफी प्रभावित हो जाता है। जैसा कि इन सभी पहलुओं से आपके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है, इसी प्रकार एजिंग के सभी प्रकार आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।

हालांकि, यदि सीधी भाषा में कहें तो बुढ़ापा आने का सीधे तौर पर मतलब है कि शरीर के अंगों के काम करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। इसमें अंग धीरे-धीरे काम करना कम करते रहते हैं और अंत में पूरी तरह से काम करना बंद कर देते हैं अर्थात् व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रिया होते हुए भी कुछ प्रकार के जोखिम कारक हैं, जो समय से पहले बुढ़ापा आने का कारण बन सकते हैं।

पोषक तत्वों की कमी और संतुलित आहार कम होना ही एक ऐसा कारक है, जो समय से पहले बुढ़ापा आने का कारण बन सकता है। व्यायाम और अन्य शारीरिक गतिविधियां भी हैं, जो कई बार समय से पहले बुढ़ापा आने का कारण बन सकती हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑर्थोपेडिक सर्जन (AAOS) के अनुसार हड्डियों और मांसपेशियों का गलत तरीके से इस्तेमाल करना भी मस्कुलोस्केलेटल में एजिंग होने का कारण बन सकता है। साथ ही मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, हाई ब्लड प्रेशर, दवाएं, हृदय रोग और मानसिक समस्याएं भी बुढ़ापा होने का कारण बन सकती हैं।

कुछ अध्ययनों के अनुसार स्वस्थ आहार लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना, तनाव को कम करना आदि स्वस्थ जीवनशैली को अपनाकर समय से पहले बुढ़ापा आने की समस्या को काफी हद तक कम कर सकती है। इन तकनीकों को एंटी-एजिंग कहा जाता है, जिसमें प्राकृतिक या औषधीय दोनों प्रकार हैं। पिछले कुछ सालों में एंटी एजिंग तकनीकों पर अध्ययन किए जा रहे हैं, जिनमें मुख्य रूप से कोशिकाएं बूढ़ी होना, त्वचा में बुढ़ापा आना व अन्य स्थितियों का इलाज करने या फिर उन्हें कुछ समय के लिए टालने पर काम किया जा रहा है। ऐसा आमतौर पर इसलिए किया जाता है, ताकि आप लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकें। आगे इस लेख में एजिंग, प्रीमेच्योर एजिंग और एंटी एजिंग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई हैं।

  1. एजिंग क्या है और क्यों होती है? - What is aging and why does it happen in Hindi?
  2. समय से पहले एजिंग क्या है? - What is premature aging in Hindi?
  3. एजिंग के लक्षण - Symptoms of premature aging in Hindi
  4. एजिंग का इलाज - Treatment for premature aging in Hindi
  5. एजिंग से बचाव - Prevention of premature aging in Hindi

एजिंग क्या है और क्यों होती है? - What is aging and why does it happen in Hindi?

एजिंग किसे कहते हैं?

बुढ़ापा आना एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो आमतौर पर जीवित प्राणियों में होती है जैसे मनुष्य, जानवर और पौधे आदि। वैज्ञानिक तौर पर भी अभी इस बात को समझा नहीं जा सका है कि उम्र बढ़ने पर लोगों के शरीर में ये बदलाव कैसे और क्यों आते हैं। कुछ अध्ययन बताते हैं कि बुढ़ापा आनुवंशिक बदलावों के रूप में भी होता है, जबकि कुछ अन्य अध्ययनों के अनुसार पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आना, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य कमजोर पड़ना और मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याएं भी बुढ़ापा आने का कारण बन सकती हैं। बुढ़ापा आने की स्थिति के बारे में अभी तक की सबसे मुख्य जानकारी यही मिल पाई है कि यह एक जटिल स्थिति है, जो हर व्यक्ति को अलग उम्र और अलग ही प्रकार से प्रभावित कर सकती है। यह जटिल समस्या कई कारणों पर निर्भर करती है, आनुवंशिकता, पर्यावरण, संस्कृति, आहार, व्यायाम, पहले की बीमारियां, मानसिक स्वास्थ्य और अंतर्निहित रोग शामिल हैं।

हर व्यक्ति में अलग-अलग तरीके से बुढ़ापा आता है, लेकिन जीवन के कुछ चरण हैं जिनमें बुढ़ापे के लक्षण जल्दी विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। उदाहरण के तौर पर यौवनावस्था और रजोदर्शन (महिला को पहली बार मासिक धर्म) प्रजनन परिपक्वता के साथ-साथ बुढ़ापा आने का भी एक संकेत है। इसी प्रकार गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति भी महिलाओं में बुढ़ापा आने का संकेत देते हैं। सामान्य तौर पर शोध यह बताते हैं कि बुढ़ापे के कुछ लक्षण 30 साल की उम्र के बाद ही दिखने लगते हैं, जबकि बाकी के अधिकतर लक्षण 50 साल की उम्र के बाद ही दिखते हैं। फिर भी यदि आपको कोई आनुवंशिक रोग, संक्रमण या फिर जीवनशैली ठीक न होने के कारण कोई अन्य शारीरिक समस्या हो गई है, तो समय से पहले बुढ़ापा आने की समस्या हो सकती है।

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स्वभाविक रूप से उम्र बढ़ने पर शरीर में क्या बदलाव होते हैं?

आपका शरीर कई विभिन्न अंगों, ऊतकों और कोशिकाओं से मिलकर बना होता है, जो एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, ताकि शरीर अपने रोजाना की कार्य प्रक्रियाएं कर सके। जब आप बचपन और किशोरावस्था को पूरा करके वयस्क की उम्र में पहुंच जाते हैं, तो इस दौरान इन अंगों, ऊतकों और कोशिकाओं के कार्य करने की क्षमता पहले के मुकाबले थोड़ी कम होने लगती है। हालांकि, काम करने की क्षमता में बहुत ही कम अंतर होता है, इसलिए उसका पता नहीं लग पाता है। 50 से 60 साल की उम्र में आते-आते शरीर के काम करने की क्षमता काफी प्रभावित हो जाती है और बुढ़ापे के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखने लगते हैं। सामान्य तौर पर 50 की उम्र के बाद ही बुढ़ापे के मुख्य लक्षण दिखने लगते हैं, जैसे चेहरे की त्वचा में झुर्रिया पड़ना, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना, मानसिक क्षमता कम होना और मेटाबॉलिज्म धीरे काम करना आदि।

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समय से पहले एजिंग क्या है? - What is premature aging in Hindi?

प्रीमेच्योर एजिंग क्या है?

एजिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो हर जीवित प्राणी को होती है, जबकि प्रीमेच्योर एजिंग पूरी तरह से अलग स्थिति है। प्रीमेच्योर एजिंग में व्यक्ति का शरीर उम्र की तुलना में पहले ही बूढ़ा हो जाता है। इस स्थिति को ठीक से समझने के लिए आपको यह पता होना चाहिए कि व्यक्ति की औसत उम्र क्या है, यानी वह कितने साल जिएगा। समय पर बढ़ापे का मतलब है कि आपमें एक तय समय पर बुढ़ापे के लक्षण दिख रहे हैं, जबकि बीमारी या कुछ अन्य कारणों से जल्दी आने वाले बुढ़ापे को प्रीमेच्योर एजिंग कहा जाता है।

इतना ही नहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनकी वास्तविक उम्र अधिक होने पर भी वे जवान दिखते हैं, जिसका मतलब है कि उनके शरीर में बुढ़ापे के लक्षण सामान्य से कम देखे गए हैं। यदि किसी व्यक्ति की उम्र के अनुसार उसमें एजिंग के अधिक लक्षण दिख रहे हैं, तो इसका मतलब है कि वह प्रीमेच्योर एजिंग से ग्रस्त है। कुछ अध्ययन किए गए, जिनमें पता चला कि जो गरीब क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और जिन लोगों को किसी कारण से स्वास्थ्य से संबंधी उचित जानकारी नहीं मिल पाती हैं, उनमें अधिकतर प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षण देखे जाते हैं। इसके अलावा कुछ अंतर्निहित रोग (जैसे स्व प्रतिरक्षित रोग और कैंसर), जीवनशैली संबंधी खराब आदतें, धूम्रपानशराब की लत भी समय से पहले बुढ़ापे के लक्षण पैदा कर सकती है।

हालांकि, एजिंग सिंड्रोम (प्रोजीरिया) भी प्रीमेच्योर एजिंग के समान प्रतीत हो सकता है। लेकिन, यह अलग स्थिति है। प्रोजीरिया आमतौर पर काफी छोटी उम्र में होता है, जिसमें बच्चे की उम्र तेजी से बढ़ने लगती है। प्रोजीरिया आमतौर पर वॉर्नर सिंड्रोम और हटकिन्सन-गिल्फॉर्ड सिंड्रोम के साथ देखा जाता है। प्रीमेच्योर एजिंग इन रोगों की तुलना में काफी धीमी गति से उम्र बढ़ाती है।

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एजिंग के लक्षण - Symptoms of premature aging in Hindi

समय से पहले एजिंग के क्या लक्षण हैं?

बुढ़ापा आने के लिए कोई पूर्वनिर्धारित उम्र नहीं है, लेकिन फिर भी मनुष्य की औसत उम्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को 35 साल की उम्र से पहले ही बुढ़ापे के लक्षण महसूस होने लगें तो यह प्रीमेच्योर एजिंग का एक संकेत होता है। सामान्य रूप से बुढ़ापा आने की प्रक्रिया की तरह ही प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षण भी हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। यहां प्रीमेच्योर एजिंग में देखे जाने वाले कुछ आम लक्षणों के बारे में बताया गया है।

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  1. त्वचा पर झाइयां
  2. समय से पहले झुर्रियां
  3. झुर्रियां
  4. चर्म रोग
  5. बालों का झड़ना
  6. थकान
  7. हड्डियों और मांसपेशियों की कमजोरी

त्वचा पर झाइयां

त्वचा पर झाइयां होना प्रीमेच्योर एजिंग का सबसे पहला और प्रमुख लक्षण हो सकता है। बुढ़ापा आने से पहले ही चेहरे, कमर, या बाहों की त्वचा की रंगत बिगड़ना प्रीमेच्योर एजिंग का लक्षण हो सकता है, चाहे वह सूरज के संपर्क में आने या चोट लगने के कारण ही क्यों न हुए हों।

त्वचा की रंगत बिगड़ना आमतौर पर मेलेनिन की कमी से संबंधित समस्या होती है। जिन लोगों का रंग गोरा होता है, उनमें मेलेनिन की कमी होती है और परिणामस्वरूप उनमें झाइयां आदि पड़ने का खतरा अधिक रहता है।

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समय से पहले झुर्रियां

कोलेजन आपकी त्वचा को नरम, गुदगुदी और मजबूत बनाए रखता है, ताकि वह अपना आकार बनाए रखे और लटके या झुके नहीं। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, शरीर में कोलेजन बनने की प्रक्रिया में कमी हो जाती है और परिणामस्वरूप त्वचा में झुर्रिया पड़ने लगती हैं। यदि झूर्रियां पड़ने की स्थिति 30 साल की उम्र से पहले  ही शुरू हो जाती है, तो हो सकता है कि यह प्रीमेच्योर एजिंग का लक्षण हो।

यदि आपके हाथ की त्वचा में तिकोनी आकृति में झुर्रियां पड़ रही हैं, तो यह शरीर में पानी की कमी या सूरज के संपर्क में अधिक आने का कारण बन सकता है। यदि उम्र से पहले ही शरीर के किसी हिस्से में झुर्रियां पड़ने लगी हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए।

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झुर्रियां

70 साल से अधिक उम्र वाले किसी व्यक्ति के हाथों का निरीक्षण करें, आपको कमजोर व पतली चमड़ी वाले हाथ दिखेंगे जिनपर अनेक झुर्रियां होंगी। ऐसा आमतौर पर इसलिए होता है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ कोलेजन व अन्य कई प्रकार कम मात्रा में बनने लगते हैं। यदि बुढ़ापे से पहले ही आपके हाथों की त्वचा पतली पड़ रही है और झुर्रियां पड़ रही हैं, तो यह प्रीमेच्योर एजिंग का एक लक्षण हो सकता है।

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चर्म रोग

त्वचा में होने वाले ऐसे कई रोग हैं, जो प्रीमेच्योर एजिंग का कारण बन सकते हैं। इनमें आमतौर पर त्वचा में रूखापन, त्वचा में खुजली, एक्जिमा और कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस जैसे रोग शामिल हैं, जो आमतौर पर कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त या अस्वस्थ होने के कारण होते हैं।

यह समस्या आमतौर पर 50 साल की उम्र के बाद ही शुरू होती है या फिर सोरायसिस जैसे स्व प्रतिरक्षित रोगों के कारण होती है। हालांकि, कुछ मामलों में बिना किसी बीमारी के कारण समय से पहले चर्म रोग हो जाता है, जो प्रीमेच्योर एजिंग का एक लक्षण है। यदि आपकी उम्र 50 साल से कम है और अक्सर आपको चर्म रोग के लक्षण महसूस होते हैं, तो आपको त्वचा विशेषज्ञ (डर्मेटोलॉजिस्ट) डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।

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बालों का झड़ना

आपके बालों का स्वास्थ्य, बालों के रोम पर निर्भर करता है। जब रोमकूपों में मौजूद स्टेम सेल नष्ट हो जाती है, तो बाल झड़ने लगते हैं। रोमकूप नष्ट होने के मुख्य कारणों में हार्मोन बदलाव, आनुवंशिक कारक, वातावरणीय कारक और पोषण संबंधी समस्याएं आदि शामिल हैं। इसके अलावा एलोपेसिया जैसे रोग भी बाल झड़ने का कारण बन सकते हैं। प्रीमेच्योर एजिंग के कारण उपरोक्त में से कोई भी कारक आपके रोमकूप को प्रभावित करता है, तो भी आपके बाल झड़ सकते हैं। अध्ययनों के अनुसार प्रीमेच्योर एजिंग से ग्रस्त पुरुष व महिलाएं दोनों को ही बाल झड़ने की समस्या होती है।

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थकान

यदि आपको अत्यधिक थकान रहती है और थोड़ी सी शारीरिक गतिविधि करते ही आप थका हुआ महसूस करते हैं, तो यह भी प्रीमेच्योर एजिंग का एक लक्षण हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उम्र से पहले ही बुढ़ापा आने के कारण आपकी मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं और आपके शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है। प्रीमेच्योर एजिंग में शारीरिक थकान के साथ-साथ मानसिक थकान भी होने लगती है। शोध से पता चलता है कि प्रीमेच्योर एजिंग से ग्रस्त लोगों को लंबे समय से थकान की समस्या की समस्या भी रहती है।

हड्डियों और मांसपेशियों की कमजोरी

बुढ़ापा आपके शरीर को प्रभावित करता ही है चाहे वह समय पर आया हो या फिर समय से पहले। इसमें प्रोटीन को बनाने व उनका इस्तेमाल करने की शरीर की क्षमता प्रभावित हो जाती है। शरीर के अन्य आवश्यक पोषक तत्वों को बनाने व उनका इस्तेमाल करने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है, जैसे कैल्शियम, पोटेशियम, विटामिन बी 12 और विटामिन डी आदि। ऐसी स्थिति में शरीर की मांसपेशियां और हड्डियां प्रभावित होने लगती हैं और यहां तक कि आपके हिलने-ढुलने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।

यदि आपको मलएब्जॉर्पशन सिंड्रोम है, 30 साल की उम्र या रजोनिवृत्ति के बाद हड्डियां कमजोर पड़ने लग जाती हैं, जो कि एक सामान्य प्रक्रिया है। यदि आपका शारीरिक वजन अधिक बढ़ गया है या फिर आप शारीरिक रूप से गतिशील नहीं हैं, तो भी प्रीमेच्योर एजिंग के रूप में हड्डियां व मांसपेशियां कमजोर पड़ने लग जाती हैं।

एजिंग का इलाज - Treatment for premature aging in Hindi

यदि आपको प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए। प्रीमेच्योर एजिंग के लिए विभिन्न प्रकार के इलाज मौजूद हैं। हालांकि, कुछ मामलों में इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है।

एजिंग के इलाज में सामान्य तौर पर जीवनशैली में कुछ सुधार करना आदि शामिल हैं, ताकि शरीर में बुढ़ापा आने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सके। प्रीमेच्योर एजिंग के लिए सामान्य तौर निम्न उपचार किए जाते हैं -

  1. एजिंग का प्राकृतिक उपचार
  2. एजिंग की दवा

एजिंग का प्राकृतिक उपचार

प्रीमेच्योर एजिंग का इलाज करने के लिए ऐसे कई प्राकृतिक उपचार मौजूद हैं, जिन्हें करना काफी सरल भी है। इन प्राकृतिक उपचारों में आमतौर पर पोषण, व्यायाम और जीवनशैली में सुधार आदि शामिल हैं, जिससे बुढ़ापा आने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। एजिंग का इलाज करने के लिए मुख्य रूप से निम्न प्राकृतिक उपचार दिए जाते हैं -

  • विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन खाने से त्वचा और हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार होना चाहिए। अपने आहार में विटामिन सी, डी, के, कैल्शियम, पोटेशियम और फास्फोरस से उच्च खाद्य पदार्थ या सप्लीमेंट्स शामिल करें।
  • एंटी-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थ लेना जैसे हल्दी, ग्रीन टी और अन्य फाइटोन्यूट्रिएंट्स जो पेड़-पौधों से प्राप्त होते हैं। ये खाद्य पदार्थ कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं और बुढ़ापा आने की प्रक्रिया को भी धीमा बनाते हैं।
  • अपने आहार में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन भी शामिल करें, जिनमें चिकन, मछली व अंडे में पाए जाने वाले लीन प्रोटीन और चने, छोले, सोयाबीनसूखे मेवे आदि में पाए जाने वाले प्रोटीन आदि शामिल हैं। ये आहार प्रोटीन के साथ-साथ आपके शरीर को ऊर्जा भी देते हैं, जिससे थकान व प्रीमेच्योर एजिंग के अन्य लक्षण कम होने लगते हैं। (और पढ़ें - प्रोटीन की कमी के लक्षण)
  • रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना न सिर्फ शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है, बल्कि यह विषाक्त पदार्थों को भी शरीर से बाहर निकाल सकता है। ये विषाक्त पदार्थ कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करते हैं, जिससे प्रीमेच्योर एजिंग का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - बॉडी को डिटॉक्स कैसे करें)
  • शारीरिक रूप से गतिशील रहना और रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करना हार्मोन के स्तर को सामान्य बनाए रखने के साथ-साथ मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाने में भी मदद करता है। इससे समय से पहले बुढ़ापा आने की समस्या का इलाज किया जा सकता है।

एजिंग की दवा

प्रीमेच्योर एजिंग के इलाज के लिए दवाएं व अन्य त्वचा संबंधी उपचारों का मुख्य लक्ष्य त्वचा के लक्षणों को कम करना होता है। इसलिए एंटी-एजिंग उत्पादों में अधिकतर त्वचा पर लगाने वाले प्रोडक्ट होते हैं, जैसे क्रीम, जेल या क्लीन्जर आदि। इसके अलावा केमिकल पीलिंग और फेसलिफ्ट भी आजकल काफी लोकप्रिय एंटी-एजिंग उपचार बन गए हैं। निम्न कुछ दवाएं व त्वचा पर लगाए जाने वाले उत्पाद हैं, जिनका उपयोग प्रीमेच्योर एजिंग के लिए किया जाता है -

  • डॉक्टर त्वचा पर लगाए जाने वाले जेल, क्रीम या लोशन आदि दे सकते हैं, जिनमें रेटिनोइड्स या विभिन्न प्रकार के विटामिन (विटामिन A, C, E) मौजूद होते हैं। त्वचा पर लगाए जाने वाले ये उत्पाद सिर्फ सीमित समय के लिए दिए जाते हैं, क्योंकि अधिक लगाने से ये त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं।
  • आपको एक अच्छा सा सनस्क्रीन भी दिया जा सकता है, जिसका एसपीएफ 30 से ऊपर हो और साथ ही उसमें अन्य पोषक तत्व भी हों। यह सनस्क्रीन सूरज के प्रकाश से त्वचा पर पड़ने वाले प्रभाव को रोकता है।
  • यदि प्रीमेच्योर एजिंग के कारण त्वचा पर झुर्रियां पड़ गई हैं और त्वचा लटकने लग गई है, तो इसके इलाज में फिलर्स, फेसलिफ्ट और बोटोक्स इंजेक्शन आदि को शामिल किया जाता है। हालांकि, इन्हें सिर्फ डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह के अनुसार ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • यदि प्रीमेच्योर एजिंग के कारण बाल टूटने और चमड़ी पतली पड़ने जैसे लक्षण होने लगे हैं, तो डॉक्टर आपको विशेष आहार खाने की सलाह देते हैं। आपको कुछ विशेष सप्लीमेंट्स भी दिए जा सकते हैं। हालांकि, सप्लीमेंट्स डॉक्टर द्वारा बताई गई मात्रा से अधिक नहीं लेने चाहिए, ऐसा करने से स्वास्थ्य संबंधी अन्य जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

(और पढ़ें - अच्छा सनस्क्रीन कैसे चुनें)

एजिंग से बचाव - Prevention of premature aging in Hindi

एजिंग की रोकथाम कैसे करें?

जब एक बार प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षण शुरू हो जाएं तो इन्हें पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है और यहां तक कि बुढ़ापा आने की तीव्रता को कम कर पाना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए सबसे अच्छा विकल्प है कि अपने जीवन में पहले ही एंटी-एजिंग लाइफस्टाइल अपना लें, ताकि भविष्य में आपको प्रीमेच्योर एजिंग की समस्या हो ही न पाए। नीचे कुछ तरीकों के बारे में बताया गया है, जिनकी मदद से आप प्रीमेच्योर एजिंग को विकसित होने से पहले ही रोक सकते हैं -

  • डॉक्टर आपको पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार खाने की सलाह देते हैं। इस आहार में सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होने के साथ-साथ इसमें सभी प्रकार के मैक्रोन्यूट्रिएंट्स व माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी पाए जाते हैं।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें और शारीरिक रूप से गतिशील रहें। इससे मांसपेशियां, हड्डियां व शरीर के जोड़ स्वस्थ रहते हैं और उनमें बुढ़ापा जल्दी नहीं आता है। नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर फिट रहता है, मोटापा भी नहीं आता है और परिणामस्वरूप प्रीमेच्योर एजिंग जैसी जटिलताएं पैदा नहीं होती हैं। (और पढ़ें - मोटापा कम करने के उपाय)
  • अपनी त्वचा को सूरज के प्रकाश, वायु प्रदूषण और अन्य वातावरणीय कारकों से दूर रखें जो त्वचा में रोग, संक्रमण व प्रीमेच्योर एजिंग जैसी समस्याएं पैदा करता है। त्वचा को नियमित रूप से धोकर साफ करते रहें। हालांकि, इस दौरान त्वचा को रगड़ें नहीं। गर्मी या सर्दी सभी प्रकार के मौसम में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
  • धूम्रपान न करें और न ही धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के संपर्क में आएं। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के उपाय)
  • शराब न पिएं या फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार बहुत ही कम मात्रा में पिएं। (और पढ़ें - शराब छुड़ाने के उपाय)
  • नियमित रूप से हर रात को पर्याप्त नींद लेते रहें, रोजाना अभ्यास करने पर आपको रात को जल्दी सोने की आदत पड़ जाएगी।
  • तनाव कम करने वाली प्रक्रियाएं करें, जैसे मेडिटेशन, योग और अन्य पसंदीदा गतिविधियां।

(और पढ़ें - खूबसूरत त्वचा के लिए आहार)

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