सिख धर्म में नामकरण करने का चलन प्राचीन समय से ही प्रचलित है। सिख धर्म में जन्मे लड़के का ऐसा नाम रखा जाता है, जिसका कोई मतलब हो। लड़के के नाम के लिए धर्म में एक प्रक्रिया को सुनिश्चित किया गया है। मौजूदा जिंदगी में हम यह देख सकते हैं कि लड़के का नाम ही उसे अलग पहचान दिलाता है। असल में देखा जाए तो सिख धर्म में नामकरण करने का उद्देश्य व्यक्ति को अन्य लोगों से अलग पहचान दिलाना ही है। केवल भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी रहने वाले सिख धर्म के लोग पिछले चार दशकों से नामकरण की प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। सिख धर्म के अनुसार लड़के का नाम सुंदर और अर्थपूर्ण होना चाहिए जिससे उसे समाज में मान-सम्‍मान मिले एवं दूसरों पर उसका अच्‍छा प्रभाव पड़े। सिख धर्म से जुड़े लोग मानते हैं कि लड़के का स्वभाव ज्यादातर उसके नाम से मेल खाता है। आपकी अच्छाई व बुराई, स्वभाव और आपकी वाणी कैसी है, इन बातों की झलक आपके नाम के पहले अक्षर या‍नी प अक्षर में दिख जाती है। सिख धर्म में माना जाता है कि जिस लड़के के नाम का पहला अक्षर प है, वे सफलता को हासिल करके ही दम लेते हैं। ये पूरी हिम्मत और साहस के साथ चुनौतियों का मुकाबला करते हैं। शिशु का जन्म होने के बाद उसका पूरे विधि-विधान से नाम रखना सिख धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। लड़के का नाम उसके माता-पिता बहुत ध्यान से रखते हैं। माता-पिता अक्सर शिशु का ऐसा नाम रखते हैं जिसका कोई खास मतलब निकलता हो, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि एक अच्छा नाम व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य से संबंधित होता है।

नाम अर्थ
पदंप्रेम
(Padamprem)
कमल के लिए प्यार
पदंपरीत
(Padampreet)
कमल के लिए प्यार
पदांपल
(Padampal)
कमल के रक्षक
पदमजोत
(Padamjot)
कमल के प्रकाश
पदमजीत
(Padamjeet)
कमल की विजय
पदंडीप
(Padamdeep)
हजार अरबों, क्षेत्रों में से, कमल Petaled लैंप की
पावनजीत
(Paawanjeet)
शुद्ध की विजय

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