कभी-कभी दिल की धड़कन कम या तेज होना सामान्य होता है. वहीं, अगर बार-बार दिल की धड़कन अधिक होती रहती है, तो यह स्थिति एक्टोपिक हार्टबीट हो सकती है. एक्टोपिक हार्टबीट अतिरिक्त दिल की धड़कन होती है, जो नियमित धड़कन से ठीक पहले होती है. इसे एरिथमिया का प्रकार माना गया है. वैसे तो एक्टोपिक हार्टबीट होना आम है और चिंता का कारण नहीं होता है, लेकिन कुछ लोगों में इसके गंभीर लक्षण नजर आ सकते हैं.
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आज इस लेख में आप एक्टोपिक हार्टबीट के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -
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- एक्टोपिक हार्टबीट क्या है?
- एक्टोपिक हार्टबीट के लक्षण
- एक्टोपिक हार्टबीट के कारण
- एक्टोपिक हार्टबीट का इलाज
- सारांश
एक्टोपिक हार्टबीट क्या है?
एक्टोपिक हार्टबीट की समस्या तब होती है, जब दिल जल्दी-जल्दी धड़कता है. इस स्थिति में ऐसा महसूस होता है, जैसा दिल तेज धड़क रहा है या फिर दौड़ रहा है. आमतौर पर एक्टोपिक हार्टबीट की समस्या चिंताजनक नहीं होती है, क्योंकि इसके कोई गंभीर लक्षण नहीं होते हैं. साथ ही एक्टोपिक हार्टबीट में हृदय सामान्य रूप से काम करता है. एक्टोपिक हार्टबीट दो प्रकार की होती है -
- प्रीमेच्योर आटरियल कॉन्ट्रैक्शन (पीएसी), जो हार्ट के ऊपरी चैंबर में होता है.
- प्रीमेच्योर वेंट्रिकुलर कॉन्ट्रैक्शन (पीवीसी), जो हार्ट के निचले चैंबर में होता है.
आपको बता दें कि वयस्कों में एक्टोपिक हार्टबीट एक आम समस्या है, लेकिन बच्चों में इसके मामले कम ही देखने को मिलते हैं. अगर बच्चों में एक्टोपिक हार्टबीट होती भी है, तो यह पीएसी होती है. यह स्थिति हानिरहित होती है, लेकिन जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती जाती है, उनमें पीवीसी होने की आशंका बढ़ जाती है.
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एक्टोपिक हार्टबीट के लक्षण
एक्टोपिक हार्टबीट के लक्षण कम ही नजर आते हैं. वैसे तो एक्टोपिक के लक्षण आम होते हैं, जिन्हें लोग सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कुछ मामलों में एक्टोपिक हार्टबीट लक्षण पैदा कर सकता है. एक्टोपिक हार्टबीट के लक्षण इस प्रकार हैं -
- सीने में दर्द महसूस करना
- बेहोशी या चक्कर आने जैसा महसूस होना
- एक पल के लिए दिल की धड़कन रुकने का अहसास होना
- रेसिंग हार्ट बीट
- छाती में एक फड़फड़ाहट या सनसनी महसूस होना
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एक्टोपिक हार्टबीट के कारण
एक्टोपिक हार्टबीट के लिए कई सामान्य या गंभीर कारण जिम्मेदार साबित हो सकते हैं. कुछ जोखिम कारक एक्टोपिक हार्टबीट की संभावना को बढ़ा सकते हैं. एक्टोपिक हार्टबीट के संभावित कारणों में शामिल हैं -
अनहेल्दी डाइट
जो लोग अच्छी डाइट लेते हैं, उन्हें हृदय रोगों का सामना कम ही करना पड़ता है. वहीं, जो लोग कैफीन युक्त पेय पदार्थों या फिर फैट का अधिक सेवन करते हैं, उन्हें एक्टोपिक हार्टबीट की समस्या हो सकती है. इसके अलावा, शुगर और हाई कार्ब्स फूड्स भी कभी-कभी अनियमित दिल की धड़कन का कारण बन सकते हैं. धूम्रपान या शराब पीना भी हृदय के लिए नुकसानदायक होता है. इसलिए, इन चीजों से परहेज जरूरी है.
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चिंता या तनाव
तनाव या चिंता में रहने से हृदय बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है. लंबे समय तक तनाव में रहने से आप एक्टोपिक हार्टबीट के लक्षणों को महसूस कर सकते हैं. ऐसे में इससे बचने के लिए तनाव मुक्त रहना बहुत जरूरी होता है.
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दवाओं का सेवन
कुछ खास प्रकार की दवाइयां एक्टोपिक हार्टबीट का कारण बन सकती हैं. एलर्जी, सर्दी और नशीली दवाइयां लेने से एक्टोपिक हार्टबीट के लक्षणों का अनुभव हो सकता है. इसके अलावा, अस्थमा की दवाइयों से भी एक्टोपिट हार्टबीट की समस्या पैदा हो सकती है.
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हृदय को स्वस्थ रखने के लिए दवा के रूप में आप Myupchar Ayurveda Hridyas का सेवन कर सकते हैं, जिसे प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बनाया गया है -
अधिक व्यायाम करना
अधिक एक्सरसाइज या योग करने से भी अनियमित धड़कनों का अहसास हो सकता है. इसलिए अधिक व्यायाम करने से भी बचना चाहिए. अगर आप जिम में अधिक पसीना बहाते हैं, तो आपको एक्टोपिक हार्टबीट होने की संभावना अधिक हो सकती है.
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पोटेशियम के स्तर में कमी
हृदय के लिए पोटेशियम जरूरी होता है. जब शरीर में पोटेशियम की कमी होती है, तो कई तरह के हृदय रोगों का जन्म हो सकता है. इसमें एक्टोपिक हार्टबीट भी शामिल है.
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डिहाइड्रेशन
शरीर में पानी की कमी होने पर भी दिल की धड़कने अनियमित हो सकती है. इसके अलावा, अधिक वजन या मोटापा भी असामान्य हृदय रिदम या हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है.
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हार्मोनल बदलाव
मेनोपॉज या प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तन दिल की धड़कन को अनियमित बना सकते हैं. लेकिन यह हानिरहित होती है.
इसके अलावा, कुछ अंतर्निहित स्थितियां भी एक्टोपिक हार्टबीट के जोखिम कारक हो सकती हैं, जैसे -
- एक्टोपिक हार्टबीट का पारिवारिक इतिहास
- पहले कभी हार्ट अटैक आना
- दिल की कोई बीमारी होना
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एक्टोपिक हार्टबीट का इलाज
अधिकतर मामलों में एक्टोपिक हार्टबीट बिना इलाज के ही ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इसके लिए उपचार की जरूरत पड़ सकती है -
अंडरलाइंग कंडीशन का इलाज करना
अंडरलाइंग कंडीशन का इलाज करके एक्टोपिक हार्टबीट के जोखिम को कम किया जाता है. दरअसल, कई बार अंडरलाइंग कंडीशन या बीमारी की वजह से एक्टोपिक हार्टबीट होने लगती है. ऐसे में अंडरलाइंग कंडीशन का इलाज करके, एक्टोपिक हार्टबीट को होने से रोका जा सकता है और इलाज किया जा सकता है.
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जीवनशैली में बदलाव
जीवनशैली में बदलाव करके भी एक्टोपिक हार्टबीट को रोकने में मदद मिल सकती है -
- तनाव या चिंता को कम करने की कोशिश करें.
- अगर धूम्रपान या शराब पीते हैं, तो इनसे पूरी तरह से परहेज करें.
- चाय या कॉफी जैसे कैफीन युक्त पेय लेने से बचना चाहिए.
- नियमित रूप से व्यायाम करें, लेकिन बहुत अधिक मात्रा में एक्सरसाइज करने से बचें.
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सारांश
जब किसी व्यक्ति को एक्टोपिक हार्टबीट की समस्या होती है, तो उसे इसका अहसास नहीं हो पाता है. इसलिए, एक्टोपिक हार्टबीट को चिंता का कारण नहीं माना जाता है. फिर भी इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इसलिए, अगर हार्टबीट तेज है, तो इस स्थिति में आपको एक स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने की जरूरत होती है. साथ ही अगर यह समस्या किसी बीमारी के कारण होती है, तो उसका इलाज जरूरी होता है.
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एक्टोपिक हार्टबीट के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

Dr. Manju
कार्डियोलॉजी
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