जब दिल का ऊपरी चैम्बर तेजी से धड़कने लगता है, तो इस स्थिति को एट्रियल फ्लटर कहा जाता है. इसकी वजह से दिल तेजी से धड़कता है, लेकिन यह धड़कन अमूमन नियमित रहती है. एट्रियल फ्लटर के लक्षण में सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी महसूस होना, कन्फ्यूजन व थकान हो सकती है. इसका कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह दिल की किसी भी समस्या, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट वाल्व डिसऑर्डर से हो सकता है. एट्रियल फ्लटर के इलाज के लिए डॉक्टर का लक्ष्य दिल की धड़कन को सामान्य करने का होता है. इसके लिए डॉक्टर दवाइयों के साथ ही एबलेशन थेरेपी की सलाह दे सकता है.
हृदय रोग का आयुर्वेदिक इलाज जानने के लिए कृपया यहां दिए लिंक पर क्लिक करें.
आज इस लेख में आप एट्रियल फ्लटर के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -
(और पढ़ें - हृदय रोग से बचने के उपाय)
क्या है एट्रियल फ्लटर?
जब दिल के ऊपरी चैम्बर के तेजी से धड़कने की वजह से दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है, तो इस अवस्था को एट्रियल फ्लटर कहा जाता है. इसकी वजह से दिल के दोनों चैम्बर सामान्य गति से अधिक तेजी से धड़कने लगते हैं. यही वजह है कि इसे हार्ट रिदम डिसऑर्डर माना जाता है, जो दिल के इलेकट्रिकल सिस्टम में होने वाली समस्याओं की वजह से होता है. यह एरिथमिया का एक प्रकार होता है.
(और पढ़ें - हृदय रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा)
एट्रियल फ्लटर के लक्षण
एट्रियल फ्लटर से ग्रस्त कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होता है, तो कुछ को एक से ज्यादा लक्षण महसूस हो सकते हैं -
- सांस लेने में तकलीफ
- तेज लेकिन स्थिर नाड़ी
- बेहोशी जैसा महसूस होना
- चक्कर आना
- चेस्ट पर दबाव या कसाव या दर्द महसूस होना
- रोजाना की गतिविधियों से भी थकान महसूस होना
- एनर्जी की कमी
- एंग्जायटी
- एक्सरसाइज करने में दिक्कत
- कन्फ्यूजन की स्थिति
(और पढ़ें - हृदय रोग में क्या खाएं)
एट्रियल फ्लटर के कारण
हृदय में इलेक्ट्रिकल सिग्नल के बार-बार होने से एट्रियल फ्लटर की समस्या हो सकती है, जिससे हृदय का ऊपर चैम्बर तेजी से पंप करने लगता है. इसके अन्य कारण निम्न प्रकार से हो सकते हैं -
- हार्ट वाल्व डिसऑर्डर.
- जन्म के समय हृदय में किसी प्रकार की समस्या.
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज.
- हाई ब्लड प्रेशर.
- ओवरएक्टिव थायराइड.
(और पढ़ें - हार्ट पल्पिटेशन का इलाज)
एट्रियल फ्लटर का इलाज
एट्रियल फ्लटर के इलाज के समय डॉक्टर का पहला लक्ष्य दिल की धड़कन को सामान्य करना रहता है. कंडीशन की गंभीरता के अनुसार इलाज किया जाता है. खास तरह की दवाइयों का सेवन और एबलेशन थेरेपी सहित ऑल्टरनेटिव थेरेपी से एट्रियल फ्लटर का इलाज किया जा सकता है. आइए, एट्रियल फ्लटर के इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -
दवाओं का सेवन
दवाइयों के सेवन से दिल की धड़कन को धीमा या नियमित किया जा सकता है. इन दवाइयों में कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स, बीटा ब्लॉकर्स, डिजॉक्सिन से मदद मिल सकती है. ऐमियोडैरोन (amiodrone), प्रोपाफेनोने (propafenone) और फ्लेकेनाइड (flecinide) जैसी दवाइयों से एट्रियल फ्लटर के रिदम को सामान्य साइनस रिदम में बदलने की कोशिश की जाती है. नॉन-विटामिन के ओरल एंटीकौयगुलांट (anticogulants) जैसे ब्लड थिनर से आर्टरी में खून के थक्के बनने से रोका जाता है. खून के थक्के से स्ट्रोक या हार्ट अटैक आने का जोखिम रहता है.
(और पढ़ें - हृदय रोगियों के लिए ठंड में सावधानियां)
एबलेशन थेरेपी
इस थेरेपी की मदद से असामान्य रिदम उत्पन्न करने वाले हार्ट टिश्यू को शांत किया जाता है. यह तब किया जाता है, जब एट्रियल फ्लटर को दवाइयों के जरिए नियंत्रित नहीं किया जा सकता है या दवाइयों का साइड इफेक्ट हो जाता है.
(और पढ़ें - हृदय रोग के लिए प्राणायाम)
ऑल्टरनेटिव थेरेपी
कार्डियोवर्जन में इलेक्ट्रिसिटी के जरिए दिल के रिदम को सामान्य स्तर पर लाने की कोशिश की जाती है. एनेस्थेसिया देने के बाद शॉक देने के लिए चेस्ट पर पैडल्स या पैचेज लगाए जाते हैं.
(और पढ़ें - हृदय के कौन-कौन से टेस्ट होते हैं)
सारांश
एट्रियल फ्लटर में दिल की धड़कन तेज हो जाती है. इसके लक्षण में सांस लेने में तकलीफ, थकान और चक्कर आना शामिल है. इसके कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन दिल से संबंधित कोई भी परेशानी, थायराइड, खून के थक्के जैसे कारक इसके कारण हो सकते हैं. खास तरह की दवाइयों का सेवन और एबलेशन थेरेपी इसके कुछ इलाज के तरीके हैं, जिनकी मदद से डॉक्टर दिल की धड़कन को सामान्य करने की कोशिश करते हैं.
(और पढ़ें - कार्डियोटॉक्सिसिटी का इलाज)
एट्रियल फ्लटर के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

Dr. Manju
कार्डियोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Farhan Shikoh
कार्डियोलॉजी
11 वर्षों का अनुभव

Dr. Amit Singh
कार्डियोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव
