समय-समय पर किसी बात को लेकर चिंता करना आम है और ऐसा सभी के साथ किसी न किसी समय जरूर होता है. हालांकि, बहुत ज्यादा चिंता होना कि उस पर कंट्रोल ही नहीं कर सके, थोड़ा हानिकारक हो सकता है. इस स्थिति को ही जनरलाइज्ड एंजाइटी डिसऑर्डर कहते हैं. निर्णय न ले पाना या फिर गलत निर्णय लेने का डर बना रहना व इस वजह से मसल्स में दर्द होना आदि इस बीमारी के लक्षणों में से एक है.
तनाव व चिंता का इलाज जानने के लिए आप कृपया यहां दिए लिंक पर क्लिक करें.
आज इस लेख में आप इसके लक्षण, कारण व इलाज के बारे में जानेंगे -
(और पढ़ें - मानसिक रोग का इलाज)
- क्या है जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर
- जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर के लक्षण
- जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर के कारण
- जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर का निदान
- जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर का इलाज
- जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर से बचने का तरीका
- सारांश
क्या है जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर
जनरलाइज्ड एंजाइटी डिसऑर्डर या जीएडी अधिक चिंता और बिना किसी स्पष्ट कारण के रोजमर्रा की जिंदगी की घटनाओं के बारे में सोचते रहना है. इस विकार से ग्रस्त लोगों को अपनी सेहत, परिवार व काम आदि को लेकर चिंता लगी रहती है. उन्हें हमेशा ऐसा महसूस होता रहता है कि उनके साथ कुछ गलत होने वाला है. ऐसी अवस्था में रोजमर्रा की लाइफ बुरी तरह से प्रभावित होती है.
(और पढ़ें - मानसिक रोग दूर करने के उपाय)
जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर के लक्षण
यह बीमारी मानसिक स्थिति से जुड़ी हुई है. कई बार व्यक्ति का बिना किसी कारण के चिंता करना और जब चिंता नहीं होती, तो भी यह सोच कर चिंता करना कि आज किसी बात की चिंता नहीं हो रही जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर है.
इस बीमारी से प्रभावित लोग दूसरे प्रकार की एंजाइटी से भी घिरे रहते हैं, जैसे - फोबिया, पैनिक डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, क्लिनिकल डिप्रेशन, ज्यादा ड्रग्स लेना, शराब का अधिक सेवन करना. इस अवस्था के अन्य लक्षणों के बारे में नीचे बताया गया है -
मानसिक स्थिति के लक्षण
इसके तहत निम्न प्रकार के लक्षण नजर आते हैं -
- किसी ऐसी चीज के बारे में लगातार सोचते रहना या चिंता करना, जिसके सच में होने की संभावना कम है.
- किसी योजना के बारे में इतना ज्यादा सोचते रहना कि मन सबसे बुरी और खतरनाक स्थिति में पहुंच जाए.
- किसी भी स्थिति को लेकर डरावनी सोच लेना, जबकि असल में वो बिल्कुल नुकसान रहित हो और हानिकारक न हो.
- जीवन में आने वाली अस्थिरता को हैंडल न कर पाना.
- निर्णय न ले पाना या फिर गलत निर्णय लेने का डर बना रहना.
- चिंता से मुक्ति पाने में असमर्थ होना.
- रिलैक्स महसूस न कर पाना और हर समय बेचैनी महसूस होना.
- ध्यान लगा पाने में मुश्किल होना.
फिजिकल लक्षण
फिजिकल लक्षण कुछ इस प्रकार से हो सकते हैं -
- थकान होना.
- सो न पाना.
- मसल्स में दर्द होना और मसल टेंशन रहना.
- कांपना और नर्वस महसूस करना.
- पसीने आना.
- चिड़चिड़ापन महसूस होना.
- जी मिचलाना, डायरिया होना और आईबीएस की समस्या.
- इस वजह से बच्चों में स्कूल की परफॉर्मेंस में कमी आना.
- बच्चों को हर समय घर वालों की सुरक्षा के प्रति चिंतित रहने लगना.
(और पढ़ें - मानसिक रोग का होम्योपैथिक इलाज)
जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर के कारण
आमतौर पर जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर के पीछे बायोलॉजिकल फैक्टर काम करता है. इसके अन्य कारण निम्न प्रकार से हो सकते हैं -
- उनके दिमाग की केमिस्ट्री और दिमागी फंक्शन में थोड़ा बहुत अंतर होना.
- जेनेटिक
- उन्हें कैसे डर लग रहा है, इस स्थिति में अंतर होना.
- उनका व्यक्तित्व और उनका विकास भी इस बात का कारण हो सकते हैं.
(और पढ़ें - मानसिक रोग का आयुर्वेदिक इलाज)
जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर का निदान
इस बीमारी का पता करने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट निम्न तरीकों से जांच कर सकते हैं -
- फिजिकल चेक अप जैसे कि अंडर लाइंग मेडिकल कंडीशन.
- रोगी से सवाल जवाबों के द्वारा मानसिक स्थिति की जांच.
- ब्लड, यूरिन या कोई अन्य फिजिकल टेस्ट, जिससे रोगी की सही स्थिति का पता लग सके.
- अगर व्यक्ति की कोई मेडिकल हिस्ट्री है, तो उसके आधार पर.
(और पढ़ें - बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग)
जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर का इलाज
जनरलाइज्ड एंजाइटी डिसऑर्डर का इलाज निम्न प्रकार से किया जा सकता है -
साइकोथेरेपी
इसके तहत टॉक थेरेपी, साइकोलॉजिकल काउंसलिंग या साइकोथेरेपी हो सकती हैं. कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी सबसे ज्यादा असर करने वाली साइको थेरेपी है, जो जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर में दी जा सकती है. इसमें थेरेपिस्ट रोगी के लक्षणों और कैसा महसूस होता है इन सब चीजों को बारे में जानकर कुछ सुझाव दे सकते हैं, जैसे- चिंता न करने की टिप्स, कैसे इस अवस्था से उबर सकते हैं.
(और पढ़ें - भ्रम रोग का इलाज)
दवाइयां
इस स्थिति में कुछ दवाइयां दी जा सकती हैं. हर दवा के कुछ अपने फायदे और नुकसान हो सकते हैं इस स्थिति में प्रयोग की जाने वाली दवाएं इस प्रकार हैं -
- एंटीडिप्रेसेंट - एंटीडिप्रेसेंट में सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (SSRI) और सेरोटोनिन नॉरपेनेफ्रिन रीपटेक इनहिबिटर (SNRI) दवाएं हैं, जो जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर में दी जा सकती हैं.
- बेंजोडायजेपाइन - बेंजोडायजेपाइन एंजाइटी के लक्षणों में कुछ देर के आराम के लिए सीडेटिव के जैसे कार्य कर सकता है.
- बस्पिरॉन - बस्पिरॉन जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने की दवा है, लेकिन इस दवा को असर दिखाने में कई सप्ताह लग सकते हैं.
(और पढ़ें - मानसिक रूप से मजबूत बनने के तरीके)
जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर से बचने का तरीका
इस अवस्था को निम्न प्रकार से टाला जा सकता है -
- अगर व्यक्ति इसके खुद ही ठीक हो जाने का इंतजार करेगा, तो यह और गंभीर रूप ले सकती है. इसलिए, इसके शुरुआत स्टेज में ही इसका इलाज करवाना शुरू कर देना चाहिए.
- साथ में रोगी को एक डायरी रखनी चाहिए और जब भी चिंता या ऐसा डर का माहौल महसूस हो, तो तुरंत उसमें उस फीलिंग या अनुभव को लिख लेना चाहिए, ताकि बाद में डॉक्टर को रोगी का हाल समझने में दिक्कत न महसूस हो.
- समय और एनर्जी का दिमाग से प्रयोग कर चिंता या एंजायटी होने से बचा जा सकता है.
- शराब, धूम्रपान और निकोटिन जैसी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए.
(और पढ़ें - मानसिक स्वास्थ्य के लिए इलाज)
सारांश
जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर मानसिक सेहत से जुड़ी एक स्थिति है और व्यक्ति के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है. हर समय बेचैनी महसूस होना व ध्यान लगा पाने में मुश्किल होना आदि इस बीमारी के लक्षण हैं. जेनेटिक या एनवायरमेंटल फैक्टर्स इस बीमारी के कुछ कारण हो सकते हैं. कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी या एंटीडिप्रेसेंट जैसी दवाओं से इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है. इस बीमारी से जुड़े किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है.
(और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)
जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर के कारण, लक्षण व इलाज के डॉक्टर

Dr. Hemant Kumar
न्यूरोलॉजी
11 वर्षों का अनुभव

Dr. Vinayak Jatale
न्यूरोलॉजी
3 वर्षों का अनुभव

Dr. Sameer Arora
न्यूरोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव
