हलासन का नाम हल शब्द से रखा गया है। हल यानी खेती के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला यंत्र। जैसे की हल खेत को बीज बोने के लिए तैयार करता है, उस ही तारा हलासन शरीर और दिमाग़ को गहरी कायाकल्प के लिए तैयार करता है।

इस लेख में हलासन के फायदों और उसे करने के तरीको के बारे में बताया है। साथ ही इस लेख में हलासन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी जानकारी दी गई है। लेख के अंत में हलासन से संबंधित एक वीडियो शेयर किया गया है।

  1. हलासन के फायदे - Halasana ke fayde
  2. हलासन करने से पहले यह आसन करें - Halasana karne se pehle yeh aasan kare
  3. हलासन करने का तरीका - Halasana karne ka tarika
  4. मार्जरी आसन करने का आसान तरीका - Halasana karne ka aasaan tarika
  5. हलासन करने में क्या सावधानी बरती जाए - Halasana karne me kya savdhani barti jaye
  6. हलासन करने के बाद आसन - Halasana karne ke baad aasan
  7. हलासन का वीडियो - Halasana ka video

हर आसन की तरह हलासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:

  1. दिमाग़ को शांत करता है।
  2. पेट के अंगों और थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है।
  3. कंधो और रीढ़ की हड्डी में खिचाव पैदा करता है।
  4. तनाव और थकान कम कर देता है। (और पढ़ें – थकान मिटाने के उपाय)
  5. कमर दर्दसिर दर्दबांझपनअनिद्रा, साइनस के लिए चिकित्सीय। (और पढ़ें – सिर दर्द के घरेलू उपाय)

(और पढ़ें - स्किन इन्फेक्शन का इलाज

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हलासन करने से पहले आप यह आसन कर सकते हैं इनसे आपकी हॅम्स्ट्रिंग, कूल्हे, और जांघे पर्याप्त मात्रा में खुल जाएँगे।

  1. बालासन (Balasana or Child’s Pose)
  2. सेतुबंधासन (Setu Bandahasana or Bridge Pose)
  3. विरासन (Virasana or Hero Pose)
  4. सर्वांगासन (Savangasana or Shoulderstand)

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हलासन करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।

  1. पीठ के बल सीधे लेट जायें। बाज़ुओं को सीधा पीठ के बगल में ज़में पर टिका कर रखें।
  2. साँस अंदर लेते हुए दोनो टाँगों को उठा कर “अर्ध-हलासन” में ले आयें (नीचे चित्र में दूसरी मुद्रा देखें)।
  3. कोहनियों को ज़मीन पर टिकाए हुए दोनो हाथों से पीठ को सहारा दें (नीचे चित्र में तीसरी मुद्रा देखें)। इस मुद्रा में 1-2 साँस अंदर और बाहर लें और यह पक्का कर लें की आपका संतुलन सही है।
  4. अब टाँगों को बिल्कुल पीछे ले जायें। दृष्टि को नाक पर रखें। अगर आपको यह करने से दिक्कत होती है संतुलन बनाए रखने में तो दृष्टि को नाभी पर भी रख सकते हैं।
  5. अगर आपके कंधों में पर्याप्त लचीलापन हो तो हाथों को पीछे ले जा कर जोड़ लें। अगर यह संभव ना हो तो उन्हे पीठ को सहारा देती हुई मुद्रा में ही रखें।
  6. अपनी क्षमता के मुताबिक 60 से 90 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे से पैरों को वापिस ले आयें। शुरुआत में कम देर करें (30 सेकेंड भी पर्याप्त है) और धीरे धीरे समय बढ़ायें।

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  1. नीचे दिए गये चित्र को देखें: अगर आपकी गर्दन में लचीलापन कम हो तो कंधों के नीचे एक तौलिया लगा लें ऐसा करने से गर्दन को आराम मिलेगा।
  2. अगर आपको पूरी तरह वापिस मुड़ने में कठिनाई हो तो पैरों को एक योगा ब्लॉक पर टिका सकते हैं। अगर और आसान बनाना चाहें तो पैरों को एक कुर्सी पर भी टिका सकते हैं।

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  1. दस्त, सिरदर्दहाई बीपी, माहवारी या गर्दन में चोट हो तो हलासन ना करें।
  2. क्यूंकी यह एक कठिन आसन है, इसे शुरुआत में किसी गुरु के निर्देशन में ही करें।
  3. अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगायें।

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  1. कर्नापीड़ासन (Karnapidasana or Ear Pressure or Knee to Ear Pose)
  2. ऊर्ध्व पद्मासन (Urdhva Padmasana or Inverted Lotus Pose)
  3. पिण्डासन (Pindasana or Embryo Pose)
  4. मत्स्यासन (Matsyasana or Fish Pose)
  5. उत्तान पादासन (Uttana Padasana or Raised Legs Pose)
  6. शीर्षासन (Sirsasana or Headstand)

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हलासन को ठीक से करने के लिए यह वीडियो ध्यान से देखें।

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