तितली आसन को यह नाम इस लिए दिया गया है क्योंकि इस आसन में आप अपनी टाँगें इस तरह हिलाते हैं जिस तरह की एक तितली अपने पंख फड़फड़ाती है। यह आसन बद्ध कोणासन के बहुत सामान है, लेकिन दोनो फरक आसन हैं जिन्हे आम तौर से लोग एक समझ बैठते हैं। बद्ध कोणासन में दोनो पैरों को हाथों से पकड़ कर साथ में बाँध कर रखते हैं, और जितना हो सके शरीर के करीब ले कर आते हैं। परंतु बद्ध कोणासन में टाँगे उपर-नीचे नहीं हिलाते, बल्कि आगे की और झुख कर सिर को ज़मीन पर लगाना होता है।
इस लेख में तितली आसन के आसन को करने के तरीके और उससे होने वाले लाभों ंके बारे में बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि आसन करने के दौरान क्या सावधानी बरतें।
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