इस आसन को "हाफ स्पाइनल ट्विस्ट पोस" भी कहा जाता है। कहा जाता है कि पूर्ण मत्स्येन्द्रासन ("फुल स्पाइनल ट्विस्ट पोस") ऋषि मत्स्येंद्रनाथ का पसंदीदा आसन था, इसलिए इस मुद्रा का नाम उनके नाम पर रखा गया। हालांकि, क्योंकि यह आसन कठिन है, इसलिए अर्ध मत्स्येन्द्रासन बनाया गया। वैसे देखा जाए तो "अर्ध मत्स्येन्द्रासन" तीन शब्दों के मेल से बना है: अर्ध, मत्स्य, और इंद्र। अर्ध मतलब आधा, मत्स्य यानी मछली, और इंद्र मतलब भगवान।

इस लेख में अर्ध मत्स्येन्द्रासन के तरीकों को समझाया गया है और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में भी बताया गया है। साथ ही इस आसन से जुड़ी सावधानियों की जानकारी भी दी गई है।

(और पढ़ें - मेडिटेशन करने के तरीके)

  1. अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे - Matsyendrasana (Half Lord of the Fishes Pose) ke fayde in Hindi
  2. अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने से पहले यह आसन करें - Matsyendrasana karne se pahle aasan in Hindi
  3. अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका - Matsyendrasana (Half Lord of the Fishes Pose) karne ka tarika in Hindi
  4. अर्ध मत्स्येन्द्रासन का आसान रूपांतर - Matsyendrasana (Half Lord of the Fishes Pose) ke easy Modifications in Hindi
  5. अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने में क्या सावधानी बरती जाए - Matsyendrasana me kya savdhani barte in Hindi
  6. अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने के बाद आसन - Matsyendrasana (Half Lord of the Fishes Pose) ke baad aasan in Hindi
  7. अर्ध मत्स्येन्द्रासन का वीडियो - Matsyendrasana (Half Lord of the Fishes Pose) Video in Hindi

अर्ध मत्स्येन्द्रासन बहुत ही लाभदायक आसान है। इसके कुछ लाभ है यह:

  1. अर्ध मत्स्येन्द्रासन रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ाता है, किस से उसकी कार्यकौशलता में सुधार होता है। (और पढ़ें - रीढ़ की हड्डी के लिए योगासन)
  2. पीठ में दर्द और कठोरता से राहत दिलाता है।
  3. छाती को खोलता है और फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है।
  4. कूल्हे के जोड़ों को कम कर देता है, और उनमें कठोरता से राहत दिलाता है अर्ध मत्स्येन्द्रासन। (और पढ़ें - कूल्हे के जोड़ों की सर्जरी)
  5. बाहों, कंधों, ऊपरी पीठ और गर्दन में तनाव को कम करता है।
  6. अर्ध मत्स्येन्द्रासन स्लिप-डिस्क के लिए चिकित्सीय है (लेकिन यह आसन करने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर करें)।
  7. पेट के अंगों की मालिश करता है और पाचन में सुधार लाता है जिस से कब्ज में लाभ होता है।
  8. अग्न्याशय के लिए लाभदायक है जिस से मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी है अर्ध मत्स्येन्द्रासन। (और पढ़ें - अग्नाशयशोथ के लक्षण)
  9. डायबिटीज, कब्ज, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, मूत्र पथ विकारों, मासिक धर्म की परेशानियों, और अपच के लिए चिकित्सीय है अर्ध मत्स्येन्द्रासन।

(और पढ़ें - स्लिप डिस्क के लिए योग)

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अर्ध मत्स्येन्द्रासन से पहले आप यह आसान करें:

  1. बद्ध कोणासन (Baddha Konasana or Bound Angle Pose)
  2. भरद्वाजासन (Bharadvajasana)
  3. सुप्त पादंगुष्ठासन (Supta Padangusthasana)
  4. वीरासन (Virasana or Hero Pose)

अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका:

  1. दंडासन में बैठ जायें। हल्का सा हाथों से ज़मीन को दबायें, और साँस अंदर लेते हुए रीढ़ की हड्डी को लंबा करें।
  2. बाएं पैर को मोड़ें और दाएं घुटने के उपर से लाकर बाएं पैर को जमीन पर रखें।
  3. दाहिने पैर को मोड़ो और पैर को बाईं नितंब के निकट जमीन पर आराम से रखें।
  4. बाएं पैर के उपर से दाहिने हाथ को लायें और बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें।
  5. श्वास छोड़ते हुए धड़ को जितना संभव हो उतना मोड़ें, और गर्दन को मोड़ें जिससे कि बाएं कंधे पर दृष्टि केंद्रित कर सकें।
  6. बाएं हाथ को ज़मीन पर टिका लें, और सामान्य रूप से श्वास लें। यह है अर्ध मत्स्येन्द्रासन की मुद्रा। नीचे दी गयी तस्वीएर को देखें।
  7. 30-60 सेकेंड के लिए मुद्रा में रहें।
  8. आसन से बाहर निकलने के लिए सारे स्टेप्स को विपरीत क्रम में करें।
  9. यह सारे स्टेप्स फिर दूसरी तरफ भी दौहरायें।

(और पढ़ें - प्राणायाम क्या है)

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  1. अगर आपसे पूरी तरह धड़ को ना मोड़ा जाए, तो ज़बरदस्ती ना करें। शुरुआत में कम ही मोड़ें।
  2. अगर दाहिने हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ने में दिक्कत हो या ना किया जाए तो ज़बरदस्ती ना करें। दाहिनी कोहनी को बाएं घुटने के साहारे टिकाएं और उंगलियों को छत की और पॉइंट करें।

(और पढ़ें - योग क्या है)

अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने में यह सावधानियाँ बरतें:

  1. गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान नहीं करना चाहिए।
  2. जिनके दिल, पेट या मस्तिष्क की ऑपरेशन की गयी हो उन्हे इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  3. पेप्टिक अल्सर या हर्निया वाले लोगों को यह आसान बहुत सावधानी से करना चाहिए।
  4. अगर आपको रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट या समस्याएं हैं, तो आप यह आसन ना करें।
  5. हल्के स्लिप-डिस्क में इस आसन से लाभ हो सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में इसे नहीं करना चाहिए।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन के बाद आप यह आसान करें:

  1. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)
  2. जानुशीर्षासन (Janu Sirsasana)
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