पीरियड्स हर महिला के स्वास्थ्य का जरूरी भाग हैं. आमतौर पर पीरियड्स का समय 4 से 7 दिन का होता है और ‘पीरियड साइकिल’ यानी माहवारी चक्र 21 से 35 दिन का होता है. इसके अलावा, पीरियड का अपनी आने वाली तारीख से आगे-पीछे होते रहना भी एक नॉर्मल बात है.

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पीरियड का कम-ज्यादा होना, जल्दी या देर से होना कोई चिंता की बात नहीं होती है, लेकिन ऐसा बार-बार होना और इसमें ज्यादा देरी के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते है. पीरियड लेट होने पर खाने में पपीतेसौंफ का उपयोग करना चाहिए. साथ ही थायराइड टेस्ट भी जरूर करवाना चाहिए.

आज हम इस लेख से जानेंगे कि पीरियड लेट होने पर क्या किया जाना चाहिए -

(और पढ़ें - पीरियड्स में देरी के कारण)

  1. इन टिप्स से नियमित होंगे पीरियड्स
  2. सारांश
  3. पीरियड देर से आने पर क्या करना चाहिए के डॉक्टर

तनाव और लाइफस्टाइल में बदलाव के कारण पीरियड आने में देरी हो सकती है, लेकिन बार-बार ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं. पीरियड का देरी से आना कोई बीमारी नहीं है, लेकिन ये शरीर और स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है. पीरियड का तय तारीख के 4-5 दिन के अंदर न आने पर इसका कारण जानना जरूरी है. इसलिए, कोशिश करें कि तनाव से दूर रहें, अपनी दवाइयों का ध्यान रखें और साथ ही विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें. यहां हम पीरियड्स के देरी से आने के कारणों के आधार पर टिप्स बता रहे हैं -

  1. तनाव दूर करें
  2. प्रेगनेंसी टेस्ट
  3. डॉक्टर से सलाह
  4. वजन का रखें ध्यान
  5. लैक्‍टेशनल एमेनोरिया
  6. अधिक कसरत से बचें
  7. सोने का सही समय
  8. दवाइयों का रखें ध्यान
  9. पेरिमेनोपॉज
  10. खान-पान पर ध्यान

तनाव दूर करें

तनाव के कारण शरीर में हार्मोन के स्तर में बदलाव आता है, जिसके चलते पीरियड के आने वाले समय पर असर पड़ता है. इसी कारण पीरियड कई बार देरी से आते हैं. ऐसा होने पर कोशिश करें कि बहुत ज्यादा तनाव न लें. स्ट्रेस पैदा करने वाली चीजों से दूरी बनाएं, साथ ही खुद को शांत करने के लिए अपने मनपसंद काम करें, एक्सरसाइज करें और बहुत ज्यादा डिप्रेशन या तनाव होने पर डॉक्टर की मदद लें. तनाव कम होते ही पीरियड फिर से अपने तय समय पर आने लगेंगे.

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प्रेगनेंसी टेस्ट

यदि महिला ने बीते दिनो में असुरक्षित रूप से सेक्स किया हो, तो उसे पीरियड के आने में 1 हफ्ते की देरी पर प्रेग्नेंट होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए टेस्ट करवाना चाहिए. यह टेस्ट करने से पीरियड लेट होने का असली कारण पता करने में आसानी होगी और टेस्ट के रिजल्ट के अनुसार डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है.

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डॉक्टर से सलाह

यदि बार-बार पीरियड लेट होने की समस्या का सामना करना पड़ रहा हो, तो महिला को डॉक्टर से मेडिकल चेकअप करवाना चाहिए. कई बीमारियां, जैसे- डायबिटीज, थायराइड, ब्लड प्रेशर व पीसीओएस के कारण भी पीरियड इर्रेगुलर हो जाते हैं. सभी टेस्ट करवाने के बाद यदि किसी बीमारी का पता चलता है, तो डॉक्टर से मिलकर उसकी जानकारी ली जानी चाहिए. डॉक्टर महिला की मेडिकल स्थिति को देखते हुए सही ट्रीटमेंट और दवाइयों की सलाह देकर उनके पीरियड को रेगुलर करने में मदद करेंगे.

वजन का रखें ध्यान

बहुत ज्यादा वजन या मोटापे के कारण या फिर वजन कम होने की वजह से भी महिला के पीरियड इर्रेगुलर हो जाते हैं. लाइफस्टाइल और खाने-पीने की सही आदतें न होने के कारण वजन का सही न होना एक आम समस्या बनती जा रही है. यदि महिला को लगता है कि वजन का कम या ज्यादा होना उनके पीरियड पर असर डाल रहा है, तो डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए.

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लैक्‍टेशनल एमेनोरिया

बच्चे के जन्म के बाद कई महीनों तक पीरियड या तो नहीं आते हैं या फिर अपने तय समय से थोड़ा आगे-पीछे आते रहते हैं. ऐसा होने पर महिला को घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि यह आम बात है. साथ ही बच्चे को स्तनपान करवाने की वजह से भी पीरियड इर्रेगुलर हो जाते हैं, जिसे लैक्‍टेशनल एमेनोरिया कहा जाता है. कुछ महीनों में महिला का मासिक धर्म चक्र सही हो जाता है, लेकिन अगर ऐसा न हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए.

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अधिक कसरत से बचें

अधिक एक्सरसाइज करने से महिला के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल कम हो जाता है, जिसके कारण कई बार 6 महीनों तक भी पीरियड नहीं आते हैं. इस स्थिति को सेकेंडरी एमेनोरिया के नाम से जाना जाता है. इसलिए, अधिक और शरीर को ज्यादा थका देने वाली कसरत से बचना चाहिए.

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सोने का सही समय

महिला के सोने के समय या शैड्यूल में बदलाव आने पर भी पीरियड इर्रेगुलर हो जाते है. सोने के समय में अचानक बदलाव आने पर सर्कैडियन रिदम यानी शरीर की घड़ी, जो चीजों को रेगुलर करती है, उसमें भी बदलाव आता है. इसका सीधा असर पीरियड पर भी होता है. इसलिए, महिला को कोशिश करनी चाहिए कि सोने का समय तय हो.

दवाइयों का रखें ध्यान

महिला जिन भी दवाइयों का उपयोग रोज करती है, उनका असर भी पीरियड पर पड़ सकता है. साथ ही, बर्थ कंट्रोल पिल्स, आईयूडी या शरीर में किसी भी प्रकार का इंप्लांट आदि की वजह से भी पीरियड इर्रेगुलर हो जाते हैं. इसलिए, महिला को किसी भी तरह की नई दवाई या बर्थ कंट्रोल के किसी भी तरीके को अपनाने से पहले डॉक्टर से उसके बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए. साथ ही दवाई का प्रयोग करने के बाद किसी भी तरह की दिक्कत होने पर भी डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए.

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पेरिमेनोपॉज

यदि महिला मेनोपॉज की तरफ बढ़ रही है, तो पेरिमेनोपॉज यानि मेनोपॉज के पहले स्टेज में पीरियड इर्रेगुलर हो जाते है. इसलिए, यदि महिला को लगता है कि उनके मेनोपॉज का समय आने लगा है और इस वजह से उनके पीरियड पर असर पड़ रहा है, तो उन्हे डॉक्टर से सलाह लेकर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना शुरू करना चाहिए.

खान-पान पर ध्यान

पोषक तत्व की कमी के कारण भी महिला के पीरियड इर्रेगुलर हो जाते हैं. इसलिए, जरूरी है कि महिला के खान-पान में सभी जरूरी तत्व हों. गाजर, एलोवेरा, पपीता, सौंफ, अनार, अदरक, दालचीनी व विटामिन-सी वाले फूड्स जैसी चीजें महिलाओं को अपने खाने में शामिल करनी चाहिए. इनसे न ही सिर्फ पीरियड रेगुलर होते हैं, बल्कि पीरियड की वजह से होने वाली कमजोरी भी कम होती है.

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लगभग 35% महिलाओं को अनियमित या पीरियड्स में देरी का सामना करना पड़ता है और मेडिकल एक्सपर्ट की मानें, तो यह एक सामान्य बात है, जिसको लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. वहीं, आजकल के लाइफस्टाइल के कारण महिलाओं में यह अधिक होने लगा है और इसके कारण कई बार शरीर में कई और समस्याएं, जैसे - वजन बढ़ना, बाल झड़ना आदि का सामना करना पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि इसका समाधान किया जाए. दालचीनी, अदरक, एलोवेरा व गाजर आदि को अपने खानपान में शामिल करके, लाइफस्टाइल को नियमित करके और तनाव से दूर रह कर देरी से आने वाले पीरियड को रेगुलर किया जा सकता है.

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