घर में पालतू जानवर रखने से आप बहुत कुछ सीख सकते हैं और अपने बच्चों को भी सिखा सकते हैं जैसे जिम्मेदारी निभाना, परवाह करना, ख्याल रखना आदि। इन दिनों ज्यादातर घरों में पालतू जानवर उनकी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पालतू जानवर इंसानों में, खासकर बच्चों में कई तरह के संक्रमण फैलाते हैं। अतः अगर आप हाल-फिलहाल में कोई नया पालतू जानवर खरीदना चाह रहे हैं, तो बेहतर है कि इनसे होने वाली बीमारियों के बारे में जानें और अपने परिवार को इन संक्रमण से बचाएं।

रेबीज हो सकता है
रेबीज एक गंभीर बीमारी है जो संक्रमित जानवर के लार में मौजूद होती है। संक्रमित जानवर यदि व्यक्ति को काट ले तो यह समस्या उसे भी हो जाती है। कुत्ते, बिल्ली, रकून, चमगादड़, लोमड़ी आदि जानवरों में यह संक्रमण मौजूद होता है। कुत्ते और बिल्लियों में व्यापक स्तर पर हुए टीकाकरण की वजह से यह समस्या इंसान सहित जानवरों में कम हो गई है। कुछ देशों में यह समस्या न के बराबर रह गई है और इसके उपचार के तौर पर वैक्सीनेशन भी मौजूद है।

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दाद (रिंगवाॅर्म) होने की आशंका बढ़ती है
यह एक प्रकार का फंगल संक्रमण है जो मिट्टी, इंसान और पालतू जानवरों की त्वचा में मौजूद होता है। बच्चों को यह समस्या संक्रमित पालतू जानवर जैसे कुत्ते या बिल्ली को छूने से ही हो जाती है। दाद, जिसे मेडिकल भाषा में टिनिया कहते हैं, आमतौर पर एक परतदार और पपड़ीदार चकत्ते के कारण बनता है जो त्वचा पर गोल और लाल चकत्ते के रूप में दिखाई पड़ता है। इससे प्रभावित हिस्से में लालपन और सूजन हो जाती है। दाद का इलाज एंटीफंगल शैंपू, क्रीम और खाने वाली दवाओं से किया जाता है।

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कैट स्क्रैच डिजीज का जोखिम बढ़ता है
यह एक तरह का बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है, जो संक्रमित बिल्लियों की वजह से इंसानों तक पहुंचता है। यदि संक्रमित बिल्ली किसी व्यक्ति को काट ले या उसके घाव को चाट ले तो वह व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है। जिन लोगों का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होता है, उन्हें यह समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है। खैर, जिन लोगों के हाथ में किसी तरह की खरोंच या घाव हो तो उसे तुरंत धो लें ताकि इस समस्या से बचे रह सकें। आमतौर पर पालतू जानवरों को यह समस्या होने पर किसी तरह के लक्षण नहीं दिखते। लेकिन कुछ मामलों में उन्हें बुखार हो सकता है। बहुत ही कम मामलों में पालतू जानवरों को सांस लेने में दिक्कत, उल्टी, लिम्फ नोड्स में सूजन, आंखों का लाल होना और भूख में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। नाम से इतर यह समस्या कुत्तों की वजह से भी हो सकती है। ऐसा होने पर बुखार, अनियमित दिल की धड़कन, एंडोकार्डिटिस (अंतहृदयशोथ) आदि लक्षण दिखते हैं। इंसान की बात करें तो कैट स्क्रैच बुखार बच्चों को ज्यादा होता है। लक्षण के तौर पर उनमें बुखार और लिम्फ नोड्स के बढ़ने की समस्या देखी जाती है।

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साल्मोनेला भी हो सकता है
साल्मोनेला एक आम समस्या है जो आंतों को प्रभावित करता है। यह बैक्टीरिया द्वारा फैलता है जो कि संक्रमित खाने की वजह से होता है। लेकिन पालतू जानवर अपने मल से इस बीमारी को फैला सकते हैं। रेप्टाइल्स (रेंगने वाले जंतु) जैसे छिपकली, सांप, कछुआ इस बीमारी के मुख्य स्रोत हैं। इसके साथ ही मुर्गी और बत्तख के बच्चे, कुत्ते, बिल्ली, चिड़िया और घोड़े भी इस बीमारी को फैला सकते हैं। अगर आप इस समस्या से संक्रमित होते हैं तो आपमें पेट दर्द, डायरिया, बुखार, जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इस समस्या से बचे रहना है या इसके जोखिम को कम करना है तो जब भी पशु मल या रेप्टाइल्स को हाथ लगाएं तो अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। अगर आपका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर है तो किसी भी तरह के रेप्टाइल, मुर्गी और बत्तख के बच्चे से दूर रहें।

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पालतू जानवर दिखने में बेशक प्यारे लगते हैं। इनके साथ खेलना और समय बिताना भी अच्छा लगता है। लेकिन इनके जरिए फैलने वाली बीमारियों के बारे में जानना भी आवश्यक है तभी आप इनसे होने वाली समस्याओं से बचे रह सकते हैं।

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