यह एक सामान्य धारणा है कि घी को केवल मौखिक रूप से प्रयोग किया जाता है। लेकिन आयुर्वेद में यह त्वचा की देखभाल के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। यह घी से बना एक विशेष लेकिन बहुत ही सरल उपाय है जो कई स्किन कंडीशन्स में उपयोग होता है जैसे घाव, त्वचा पर निशान, त्वचा में जलन आदि। इस घी उपचार को आयुर्वेद में शत धौत घृत कहा जाता है। यहाँ शत धौत घृत का मतलब है शत = 100, धौत = पानी से धोया हुआ, घृत = घी।

आवश्यक सामग्री

  • घी - 250 ग्राम
  • पानी - पर्याप्त मात्रा में

बनाने की विधि

त्वचा की देखभाल के लिए इस घरेलू उपाय में हम समान मात्रा में घी और पानी को हाथ या एक मशीन के साथ 3 से 5 मिनट के लिए अच्छी तरह मिलाएं जब तक की पानी ख़त्म ना हो जाए। हम फिर से इसमें ताजे पानी को मिलाएँगे और दोबारा मिक्स करेंगे। इस तरह जितनी बार संभव हो सके, इसे दोहराते रहें। आयुर्वेद में इस प्रक्रिया को 100 बार दोहराने की सलाह दी जाती है। लेकिन यह प्रक्रिया आम तौर पर 20 से 30 बार दोहराई जाती है। इससे घी सफेद रंग में बदल जाता है। घी को स्पर्श करने पर यह चिकना और मक्खन की तरह लगेगा।

  1. स्किन के लिए घी के फायदे - Ghee for Skin in Hindi

इस उपचार का उपयोग जलन से राहत, घाव, दाद के घाव, चिकन पॉक्स के निशान आदि को दूर करने के लिए किया जाता है। यदि दैनिक रूप से उपयोग किया जाए तो यह प्राकृतिक त्वचा मॉइस्चराइजर के रूप में कार्य करता है। इसे अपने चेहरे पर लगाएँ और 10 मिनट के बाद गर्म पानी से धो लें।

गर्भवती महिला में अधिक रक्तस्राव में, परंपरागत रूप से, इस शत धौत घृत को नाभि के आसपास लगाने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक लीक थेरेपी में उपचार के बाद, बर्निंग सेन्सेशन को कम करने के लिए इस घी को प्रभावित क्षेत्र पर लगाया जाता है।

दाद और विसर्प (erysipelas) त्वचा विकारों का इलाज करते समय, यदि लक्षण वात और पित्त उत्तेजना से जुड़े होते हैं, तो कड़वी जड़ी बूटियों को शत धौत घृत के साथ मिश्रित किया जाता है और त्वचा के घावों पर बाहरी रूप से लगाया जाता है।

  • क्योंकि इस घी में कुछ नमी अंदर रह जाती है जिस कारण इसे छह महीने से अधिक के लिए स्टोर करने की सलाह नहीं दी जाती है।
  • यह एक साफ, शुष्क और एयर टाइट कंटेनर में स्टोर किया जाना चाहिए।
  • अधिक हवा के संपर्क में आने से इसमें बदबू हो सकती है।
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