विडाल या टाइफाइड टेस्ट क्या होता है?
विडाल टेस्ट एक ऐसा तरीका होता है, जिसकी मदद से आंतों में बुखार का एक संभावित परीक्षण किया जाता है। आंतों में बुखार की समस्या को टाइफाइड बुखार के नाम से भी जाना जाता है।
आपके लक्षणों और पिछली मेडिकल जानकारियों के आधार पर डॉक्टर टाइफाइड बुखार होने का संदेह करते हैं। टाइफाइड बुखार का परीक्षण (निदान) तब होता है, जब मल, पेशाब या खून आदि की जांच में साल्मोनेला बैक्टीरिया पाया जाता है। लेकिन परीक्षण की पुष्टी तब होती है, जब बैक्टीरिया खून या शरीर के अन्य द्रवों या ऊतकों में पाया जाता है।
विडाल टेस्ट साधारण और कम खर्चीला टेस्ट होता है। टाइफाइड बुखार के परीक्षण के लिए यह एक प्राथमिक टेस्ट के रूप में अच्छा टेस्ट होता है, परीक्षण के लिए किए गए अन्य टेस्ट इसके मुकाबले अधिक खर्चीले होते हैं। जैसा कि भारत में टाइफाइड एक आम समस्या बन गई है, वैसे ही विडाल टेस्ट भी एक आम लैब टेस्ट बन गया है, भले ही इससे बेहतर अन्य टेस्ट उपलब्ध हों।
साल्मोनेला बैक्टीरिया से संक्रमित मरीज शरीर में ऑर्गेनिज्म (Organism) के एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडीज का उत्पादन करने लगते हैं।
विडाल टेस्ट निम्नानुसार काम करता है:
- टेस्ट करने के लिए व्यक्ति के खून को बैक्टीरियल साइट, जिसे एंटीजन भी कहा जाता है, उसमें मिलाया जाता है।
- अगर इस घोल में गांठें या गुच्छे बनने लगते हैं, तो उस व्यक्ति के खून में एंटीबॉडीज हैं। जिनकी विशेष रूप से बैक्टीरियम की जगह पर पहचान कर ली जाती है।
साल्मोनेला बैक्टीरिया के संपर्क में आने से प्रतिक्रिया के रूप में सीरम में एंटीबॉडी का उत्पादन होने लगता है और ऑर्जेनिज्म गुच्छों में बदलने लगते हैं। यही विडाल टेस्ट का आधार होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ऐसे कई कारक हैं, जो विडाल टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकते हैं। इस टेस्ट पर बहुत अधिक भरोसा ना करना ही बेहतर माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन, जब संभव हो तो विडाल टेस्ट की बजाय कल्चर (Cultures) टेस्ट के इस्तेमाल की सलाह देता है।
लेकिन, जब तक कोई दूसरा सरल, सस्ता और विश्वसनीय तरीका उपलब्ध नहीं होता, तब तक शायद विडाल टेस्ट का इस्तेमाल भारत में ऐसे ही जारी रहेगा।