वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट क्या है?

वेस्टर्न ब्लॉटिंग टेस्ट एक आवश्यक टेस्ट है, जो सेल और मॉलिक्युलर बायोलॉजी में इस्तेमाल होता है।ये कोशिका में मौजूद एक विशेष प्रकार के प्रोटीन की पहचान करके उसे अलग करने में मदद करता है। यह प्रोटीन के प्रकार और मॉलिक्युलर वजन की जांच करके किया जाता है।

एक बार अलग होने के बाद प्रोटीन को झिल्ली में भेज दिया जाता  है  जहां उन्हें उन एंटीबॉडीज के साथ जोड़ा जाता है जो विशेष रूप से प्रोटीन के होते हैं। जब एंटीबॉडीज प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया करते हैं तो झिल्ली पर कई सारे बैंड बन जाते हैं, जो इस विशेष प्रोटीन की मौजूदगी का संकेत देते हैं। बैंड की मोटाई सैंपल में मौजूद प्रोटीन की मात्रा पर निर्भर करती है ।

पहले यह टेस्ट भिन्न माइक्रोबियल पैथोजन का पता लगाने के लिए एंजाइम लिंक्ड इम्युनोसोरबेन्ट ऐसे (एलिसा; ELISA) के साथ एक अतिरिक्त प्रक्रिया के रूप में किया जाता था। हालांकि, चिकत्सीय तकनीक में प्रगति ने इसे अप्रचलित बना दिया है। बीमारियों पर नियंत्रण रखने वाले केंद्रों में अब इस टेस्ट को पूरी तरह से बंद किया जा रहा है। 

वर्तमान में एलिसा टेस्ट के बाद वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट की सलाह परीक्षण की पुष्टि के लिए नहीं दी जाती क्योंकि अन्य टेस्ट तेज परीक्षण में मदद करते हैं।

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)

  1. वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट क्यों किया जाता है - Western Blot Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट से पहले - Western Blot Test Se Pahle
  3. वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट के दौरान - Western Blot Test Ke Dauran
  4. वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं - Western Blot Test Ke Parinam Kya Batate Hain

वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट किसलिए किया जाता है?

वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट प्रतिरक्षा प्रणाली के ठीक प्रकार से काम न करने से जुड़ी स्थितियों की जांच के लिए किया जाता है। इन स्थितियों में एचआईवी एड्स और लाइम डिजीज आदि शामिल हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो गर्भावस्था के दौरान की जाती है। ऐसे लोग जिन्हें एचआईवी संक्रमण है उन्हें भी यह टेस्ट करवाने के लिए कहा जाता है। जिन लोगों को एचआईवी होने का अधिक खतरा होता है उसमें निम्न शामिल हैं:

  • ऐसे लोग जो असुरक्षित शारीरिक सम्बन्ध बनाते हैं 
  • ऐसे लोग जिनके पार्टनर एचआईवी पॉजिटिव होते हैं
  • ऐसे लोग जिन्हें खून चढ़ रहा हो 
  • ऐसे लोग जिन्हे यौन संचारित रोग हैं 
  • ऐसे लोग जिनके कई सेक्सुअल पार्टनर हैं
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वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती। इस टेस्ट से पहले इसकी प्रक्रिया और कारण आपको डॉक्टर द्वारा समझा दिया जाएगा। इस टेस्ट के लिए भूखे रहने की जरूरत नहीं होती। हालांकि, यदि आपको घबराहट महसूस हो तो आप अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार की मदद ले सकते हैं।

वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट कैसे किया जाता है?

वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट के लिए एक विशेष सुई से ब्लड सैंपल लिया जाएगा। डॉक्टर पहले सही नस को ढूंढने के लिए आपकी बांह को ठीक से देखेगें ताकि ब्लड सैंपल आसानी से लिया जा सके। इस के बाद बांह पर टूनिकेट बांधा जाएगा और इंजेक्शन लगने वाली जगह को एक एंटीसेप्टिक दवा से साफ किया जाएगा।

जिस ट्यूब में ब्लड सैंपल लिया जाएगा उस पर लेबल लगाया जाएगा और एक बैग में रख कर आगे के परीक्षण के लिए लैब में भेज दिया जाएगा। टेस्ट के बाद डॉक्टर आपसे सुई लगी जगह पर हल्का सा दबाव लगाने के लिए कहेंगें। इसके बाद संक्रमण से बचने और खून को रोकने के लिए उस पर बैंडेज लगा दी जाएगी।

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वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम:
यदि एलिसा टेस्ट के पॉजिटिव आने के बाद भी वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट के परिणाम नेगेटिव आते हैं तो टेस्ट तीन से छह महीनों में फिर से करना होगा। ऐसे मामलों में एचआईवी का संक्रमण हो सकता है। लेकिन कुछ मामलों में ऐसा भी हो सकता है, संक्रमण हो गया है लेकिन टेस्ट के रिजल्ट में पता लगने योग्य नहीं हुआ है। इस समय के दौरान वायरस को शरीर में जाने से बचाने के लिए पर्याप्त और सही सुरक्षा बरतनी चाहिए।

यदि परिणाम नेगेटिव आए हैं और व्यक्ति को एचआईवी का संक्रमण नहीं हुआ है तो और टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है।

असामान्य परिणाम:
यदि टेस्ट पॉजिटिव है तो रिजल्ट को असामान्य माना जाता है।

वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट के पॉजिटिव परिणाम इस बात की पुष्टि करते हैं कि व्यक्ति के शरीर में वायरल प्रतिक्रिया हुई है और ये नतीजे एचआईवी एंटीबॉडीज की उपस्थिति की भी पुष्टि करते हैं। यदि एचआईवी का इलाज जल्दी शुरू कर दिया जाए तो यह अधिक प्रभावी साबित होता है और इस के साइड इफेक्ट कम होते हैं। नवजात शिशुओं में एचआईवी का परीक्षण करना मुश्किल होता है क्योंकि मां के शरीर से गए एंटीबॉडीज बच्चे में अठारह महीनों तक मौजूद रहते हैं।

यदि पॉजिटिव रिजल्ट आते हैं तो निम्न कदम उठाने चाहिए:

  • जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। स्थिति की पूरी जानकारी के लिए कुछ और टेस्ट किए जा सकते हैं।
  • इलाज का एक प्लान बनाना चाहिए जिसमे निम्न को शामिल करना चाहिए:
    • एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी
    • आगे होने वाले विशेष इलाज की जानकारी
    • लोकल सपोर्ट ग्रुप की जानकारी
    • संक्रमण और वायरस के स्थानांतरण को रोकने की सलाह 
  • सारी रिपोर्ट्स को गुप्त रखा जाता है और कुछ मामलों में गुमनाम
  • यदि रिजल्ट पॉजिटिव आते हैं तो यह जरूरी है कि आप अपने पार्टनर को इस के बारे में बता दें क्योंकि उनका टेस्ट भी करवाने की सलाह दी जाती है।
  • जिन लोगों की आय कम है, उनके लिए एचआईवी संक्रमण का इलाज करवाने के लिए वित्तीय सहायता मौजूद है।
  • कुछ बीमा कंपनियों और सरकार द्वारा चलाए गए प्रोग्राम भी जरुरतमंदो को मदद प्रदान करते हैं।

नोट: टेस्‍ट के रिजल्‍ट और व्‍यक्‍ति के लक्षणों के आधार पर ही उचित निदान किया जाना चाहिए। उपरोक्त जानकारी पूरी तरह से शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह किसी भी तरह से डॉक्‍टर की चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है।

संदर्भ

  1. Mahmood T, Yang PC. Western blot: technique, theory, and trouble shooting. N Am J Med Sci. 2012 Sep;4(9):429-34. PMID: 23050259
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