वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट क्या है?
वेस्टर्न ब्लॉटिंग टेस्ट एक आवश्यक टेस्ट है, जो सेल और मॉलिक्युलर बायोलॉजी में इस्तेमाल होता है।ये कोशिका में मौजूद एक विशेष प्रकार के प्रोटीन की पहचान करके उसे अलग करने में मदद करता है। यह प्रोटीन के प्रकार और मॉलिक्युलर वजन की जांच करके किया जाता है।
एक बार अलग होने के बाद प्रोटीन को झिल्ली में भेज दिया जाता है जहां उन्हें उन एंटीबॉडीज के साथ जोड़ा जाता है जो विशेष रूप से प्रोटीन के होते हैं। जब एंटीबॉडीज प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया करते हैं तो झिल्ली पर कई सारे बैंड बन जाते हैं, जो इस विशेष प्रोटीन की मौजूदगी का संकेत देते हैं। बैंड की मोटाई सैंपल में मौजूद प्रोटीन की मात्रा पर निर्भर करती है ।
पहले यह टेस्ट भिन्न माइक्रोबियल पैथोजन का पता लगाने के लिए एंजाइम लिंक्ड इम्युनोसोरबेन्ट ऐसे (एलिसा; ELISA) के साथ एक अतिरिक्त प्रक्रिया के रूप में किया जाता था। हालांकि, चिकत्सीय तकनीक में प्रगति ने इसे अप्रचलित बना दिया है। बीमारियों पर नियंत्रण रखने वाले केंद्रों में अब इस टेस्ट को पूरी तरह से बंद किया जा रहा है।
वर्तमान में एलिसा टेस्ट के बाद वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट की सलाह परीक्षण की पुष्टि के लिए नहीं दी जाती क्योंकि अन्य टेस्ट तेज परीक्षण में मदद करते हैं।
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