वीडीआरएल टेस्ट क्या है?

वीडीआरएल का पूरा नाम वेनेरल डिजीज रिसर्च लेबोरेटरी होता है। वीडीआरएल टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है, यह सिफलिस बैक्टीरिया के विरोध में बने एंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए किया जाता है। एंटीबॉडीज रक्त में मौजूद प्रतिरक्षी प्रोटीन होते हैं, जो कि शरीर द्वारा सिफलिस फैलाने वाले वायरस के बैक्टीरिया से लड़ने के लिए बनाए जाते हैं।

सिफलिस एक यौन संचारित रोग है, जिसका इलाज संभव है। ये बीमारी ट्रेपोनेमा पैलिडम बैक्टीरिया द्वारा फैलाई जाती है। ये बैक्टीरिया रक्त में होते हैं, इसीलिए किसी संक्रमित व्यक्ति का रक्त लेने से यह बीमारी फैल सकती है। यह बीमारी गर्भनाल द्वारा मां से बच्चे में भी जा सकती है। इस बीमारी की निम्न तीन अवस्थाएं होती हैं:

  • प्राथमिक अवस्था के लक्षणों में जिस जगह से बैक्टीरिया शरीर में गया है, वहां दर्दरहित घाव, त्वचा पर लाल चकत्ते, शरीर में दर्द, बुखार आदि आते हैं। यह छह महीनों तक रह सकते हैं। 
  • द्वितीय अवस्था जिसमें बीमारी पूरे शरीर में फैल रही होती है और लक्षण धीरे-धीरे गायब होने लगते हैं। 
  • तृतीय अवस्था में मांसपेशियों से नियंत्रण खोने लगता है। इससे व्यक्तित्व में बदलाव, याददाश्त खोना और बुरे सपने आने जैसी स्थितियां हो सकती है।

तीसरी अवस्था में इससे दिमाग पर भी तेज प्रभाव पड़ सकता है, जिस बीमारी को न्यूरोसिफलिस कहा जाता है। द्वितीय और तृतीय अवस्था के बीच में लेटेंट (गुप्त) अवस्था हो सकती है, जिसके लक्षण नजर नहीं आते हालांकि संक्रमण का पता ब्लड टेस्ट से चल सकता है। इसीलिए सिफलिस की स्थिति पर नजर रखना (स्क्रीनिंग) व्यक्ति के स्वास्थ्य और उसके करीबी लोगों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

  1. वीडीआरएल टेस्ट क्यों किया जाता है - VDRL Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. वीडीआरएल टेस्ट से पहले - VDRL Test Se Pahle
  3. वीडीआरएल टेस्ट के दौरान - VDRL Test Ke Dauran
  4. वीडीआरएल टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं - VDRL Test Ke Parinam Kya Batate Hain

वीडीआरएल टेस्ट किसलिए किया जाता है?

डॉक्टर को यदि व्यक्ति में बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो वे वीडीआरएल टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। ये लक्षण सिफलिस के ही होते हैं इसीलिए इन्हे पहचानना आसान होता है। खुले हुए घाव 5 हफ़्तों में ठीक हो जाते हैं और प्राथमिक अवस्था के दूसरे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

कई देशों में वीडीआरएल टेस्ट प्रसव पूर्व किए जाने वाले नियमित टेस्ट के रूप में भी किया जाता है। किसी भी यौन संचारित रोग के लक्षण दिखने पर यह टेस्ट करवाने को कहा जा सकता है। 

यह टेस्ट सिफलिस एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट का प्रभाव देखने के लिए भी किया जा सकता है।

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वीडीआरएल टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

वीडीआरएल टेस्ट एक ब्लड सैंपल से किया जाता है। इसलिए इस टेस्ट के लिए एक सामान्य ब्लड टेस्ट की तरह तैयारी करनी होती है। यदि व्यक्ति विटामिन, हर्बल या मेडिकल सप्लीमेंट ले रहा है तो इसके बारे में डॉक्टर को बताना जरूरी होता है। यदि आप कोई ऐसी दवा ले रहे हैं जिसकी सलाह डॉक्टर द्वारा नहीं दी गई है या कोई गैर कानूनी दवा ले रहे हैं तो इसकी जानकारी भी डॉक्टर को दे देनी चाहिए। ये दवा ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट्स को प्रभावित कर सकती हैं इसीलिए यह जरूरी है कि बिना डॉक्टर को बताए कोई भी दवा नहीं बदली जानी चाहिए।

 

वीडीआरएल टेस्ट कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल लेने की जरुरत होती है। ब्लड सैंपल लेने के लिए डॉक्टर द्वारा व्यक्ति की बांह पर एक विशेष बैंड बांधा जाता है। जिस जगह से खून लेना है उस जगह को एंटीसेप्टिक दवा से साफ किया जाएगा। इसके बाद एक स्पष्ट दिखाई दे रही नस में सुई लगाकर ब्लड सैंपल ले लिया जाता है। इस वक़्त सुई लगने से हल्का सा दर्द हो सकता है जो कि जल्द ही ठीक जाएगा। इस के बाद ब्लड के सैंपल को एक कीटाणुरहित ट्यूब में डाल दिया जाता है और व्यक्ति का नाम लिखकर उसे परीक्षण के लिए आगे भेज दिया जाता है। डॉक्टर सुई लगी जगह को हल्का सा दबा कर उस पर रुई लगा देंगे ताकि रक्त के प्रवाह को रोका जा सके। अंत में वहां बैंडेज लगा दी जाएगी। कुछ लोगों को इंजेक्शन लगी जगह पर नील भी पड़ सकता है, लेकिन यह आमतौर पर कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।

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वीडीआरएल टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम:
वीडीआरएल टेस्ट के सामान्य रिजल्ट नेगेटिव होते हैं। रिजल्ट का मतलब होता है कि व्यक्ति के रक्त में कोई एंटीबॉडीज नहीं मिले हैं जो बताता है कि व्यक्ति के शरीर में सिफलिस बैक्टीरिया नहीं है। 

वीडीआरएल टेस्ट के नतीजे कई बार गलत तरह से भी नेगेटिव आने की भी संभावना होती है ये तब गलत आ सकते हैं जब बीमारी तीसरी अवस्था तक विकसित हो चुकी है या तो अभी शुरुआती अवस्था में है।

असामान्य परिणाम:
वीडीआरएल टेस्ट के रिजल्ट जब पॉजिटिव आते हैं तो असामान्य माने जाते हैं इसका मतलब होता है कि व्यक्ति के रक्त में सिफलिस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज मौजूद हैं जो बताते हैं कि शरीर में बैक्टीरिया उपस्थित है। पॉजिटिव रिजल्ट शुरुआती या लेटेंट अवस्था में आ सकते हैं। 

यह टेस्ट कई बार गलत तरह से भी पॉजिटिव आ सकते हैं। ऐसा होने का अधिक खतरा तब होता है जब व्यक्ति को दूसरी बीमारियां जैसे एचआईवी, मलेरिया, लाइम डिजीज, निमोनिया या सिस्टमिक लुपस एरीथेमाटोसस (systemic lupus erythematosus) हो। 

यह बेहद जरूरी है, कि वीडीआरएल टेस्ट के परिणाम की पुष्टि किसी दूसरे टेस्ट द्वारा कर ली जाए क्योंकि यह हो सकता है कि ये परिणाम पूरी तरह सटीक न हों। डॉक्टर आमतौर पर वीडीआरएल टेस्ट के पॉजिटिव रिजल्ट की पुष्टि के लिए दूसरे टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।

संदर्भ

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