आपके लिए अल्ट्रासाउंड जरूर करवाना चाहिए। अल्ट्रासाउंड से भ्रूण में न्यूरल ट्यूब (शिशु के मस्तिष्क में होने वाला जन्मजात विकार) डिफेक्ट का पता चलता है। इसके अलावा शिशु के विकास आदि से जुड़ी कई बातों का भी पता अल्ट्रासाउंड से लगाया जा सकता है।
अगर आपकी रिपोर्ट नॉर्मल आई है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। आपको आराम करने की जरूरत है।
अगर आप प्रेग्नेंट नहीं हैं तो डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना अपने नजदीकी सोनोग्राफी सेंटर से करवा सकती हैं।
अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट 24 घंटों के अंदर ही मिल जाती है।
निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड 800 से 1000 रुपए तक का खर्च आता है। सरकारी अस्पताल से आप मुफ्त में अल्ट्रासाउंड करवा सकते हैं।
6 से 7 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में प्रेग्नेंसी फीटल वैल बीइंग, 11 हफ्ते 6 दिन से 13 हफ्ते 6 दिन होने पर एंटी स्कैन, 19 से 21 हफ्ते में लेवल 2 स्कैन और 35 से 36 हफ्ते में कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड करवाना होता है। ये टेस्ट करवाना पूरी तरह से सुरक्षित है।
अल्ट्रासाउंड यूनिट्स को इस तरह डिजाइन किया जाता कि उनसे किसी को कोई नुकसान न पहुंचे।
अगर बाकी सब कुछ नॉर्मल है तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। गर्भावस्था के इस चरण में भ्रूण की स्थिति में थोड़ा-बहुत बदलाव आता ही है। आप चिंता न करें, बेबी बिलकुल ठीक है।
जी हां, उन्हें अपना अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए क्योंकि उन्हें एबॉर्शन के 2 हफ्ते बाद भी ब्लीडिंग हो रही है। एबॉर्शन के बाद पीरियड्स 4 हफ्तों के बाद आते हैं। हो सकता है कि उनका एबॉर्शन पूरी तरह से न हुआ हो जिसकी वजह से उन्हें ब्लीडिंग हो रही हो। उन्हें अल्ट्रासोनोग्राफी करवानी चाहिए।