थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट क्या है?

टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट थायरोट्रोपिन रिसेप्टर के विरोध में बन रहे एंटीबॉडीज की मात्रा का पता लगाता है। थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन या थायरोट्रोपीन मस्तिष्क में मौजूद पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। यह थायराइड ग्रंथि के विशेष रिसेप्टर से जुड़ी होती है। थायराइड ग्रंथि गले में मौजूद तितली की आकृति जैसी एक ग्रंथि है जो कि थायराइड हार्मोन टी3 और टी4 के स्राव को उत्तेजित करती है। थायराइड हार्मोन मेटाबोलिज्म, मूड और मांसपेशियों की शक्ति को नियंत्रित करता है।

हालांकि, अगर आपको ग्रेव्स डिजीज है तो आपका शरीर टीएसएच रिसेप्टर के प्रति एंटीबॉडीज बनाने लगेगा, जिससे थायराइड ग्रंथि ठीक से उत्तेजित नहीं हो पाती। ये एंटीबॉडीज थायराइड ग्रंथि को आकार में बढ़ने के लिए उत्तेजित करते हैं और थायराइड हार्मोन के उत्पादन को बढ़ा देते हैं जिससे हाइपरथायराइडिज्‍म की स्थिति पैदा हो जाती है।

टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी ग्रेव्स डिजीज के अधिकतर मामलों में देखे जाते हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी की पहचान नहीं हो पाती है लेकिन ग्रेव्स डिजीज के लक्षण दिखाई दे जाते हैं। ऐसे लोगों में एंटीबॉडीज का स्तर इतना कम होता है कि उसकी पहचान नहीं हो पाती है, लेकिन वे ग्रेव्स डिजीज से ग्रस्त होते हैं।

इस टेस्ट को थायरोट्रोपीन रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट, थायराइड-स्टिमुलेटिंग इम्यूनोग्लोब्युलिन (टीएसआई) टेस्ट, लॉन्ग-एक्टिंग थायराइड स्टिमुलेटर टेस्ट और थायराइड-बाइंडिंग इन्हिबिटरी इम्यूनोग्लोब्युलिन टेस्ट भी कहा जाता है।

  1. टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट क्यों किया जाता है - Why TSH receptor antibodies test is done in Hindi
  2. टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट से पहले - Before TSH receptor antibodies test in Hindi
  3. टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट के दौरान - During TSH receptor antibodies test in Hindi
  4. टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - What does TSH receptor antibodies test result mean in Hindi

टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट किसलिए किया जाता है?

यदि डॉक्टर को ग्रेव्स डिजीज होने का संदेह होता है तो वे इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। ग्रेव्स डिजीज के निम्न लक्षण हैं :

जिन लोगों में थायरोटोक्सिकोसिस के अस्पष्ट लक्षण दिखाई देते हैं या जिनको थायराइड रेडियोआइसोटोप स्कैन करवाने के लिए मना किया जाता है (जैसे गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाएं) उन्हें इस टेस्ट को करवाने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा यह टेस्ट ट्रीटमेंट के बाद ग्रेव्स डिजीज के दोबारा होने की जांच करने के लिए भी किया जाता है।

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टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी भी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती है। यदि कोई महिला गर्भवती है तो उसे डॉक्टर को इस बारे में बता देना चाहिए। कुछ विशेष दवाएं इस टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं तो अगर आप किसी भी तरह की दवाएं, विटामिन या कोई अन्य सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं।

इसके अलावा यदि आपने हाल ही में कोई इमेजिंग टेस्ट करवाया है जिसमें रेडियोएक्टिव आयोडीन (इमेजिंग टेस्ट करने से पहले शरीर में डाला गया एक सॉल्यूशन) का प्रयोग हुआ है तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें क्योंकि ये टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक ब्लड टेस्ट है जो कि एक रक्त के सैंपल पर किया जाता है। रक्त की पर्याप्त मात्रा बांह की नस से ले ली जाएगी। सुई लगने से आपको हल्का सा दर्द हो सकता है। टेस्ट के बाद आपको सुई लगे भाग पर हल्का सा नील भी पड़ सकता है जो कि जल्द ही ठीक हो जाएगा। यदि आपको सुई लगे स्थान पर किसी भी तरह का संक्रमण हो तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं।

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टीएसएच रिसेप्टर एंटीबॉडी टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम

इस टेस्ट के परिणाम प्रतिशत या टीएसआई इंडेक्स में लिखे जाते हैं। आमतौर पर 130 प्रतिशत से कम वैल्यू या 1.3 से कम टीएसआई इंडेक्स को सामान्य माना जाता है। कुछ डॉक्टर अन्य तरह के मानक भी प्रयोग कर सकते हैं इसीलिए यदि आपके इस बारे में कोई भी सवाल हैं, तो डॉक्टर से बात कर लें।

यदि आपके परिणाम सामान्य आए हैं तब भी आपको ऑटोइम्यून रोग हो सकता है। यदि आपके डॉक्टर को लगता है कि भविष्य में आपके शरीर में एंटीबॉडीज बन सकते हैं तो वे कुछ समय बाद इस टेस्ट को दोबारा करने के लिए कह सकते हैं।

असामान्य परिणाम

यदि परिणामों में आपके रक्त में टीएसआई मौजूद है तो ये ग्रेव्स डिजीज का संकेत है। इसके अलावा टेस्ट के परिणाम निम्न के कारण भी ऐसे आ सकते हैं 

  • नियोनेटल थायरोटॉक्सिकोसिस जो नवजात शिशुओं को होने वाला एक विकार है जिसमें मां के शरीर में थायराइड हार्मोन के अधिक स्तर होने के कारण शिशु में भी इसके स्तर अधिक हो जाते हैं।
  • हाशिटॉक्सिकोसिस जो ऐसी स्थिति है जिसमें थायराइड की सक्रियता कम हो जाती है। यह हाशिमोटो थायरोडिटिस से जुड़ी सूजन के कारण हो सकता है।
  • हाइपरथायराइडिज्म
  • ऑटोइम्यून थायरॉइडिटिस

संदर्भ

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