टीबी टेस्टिंग के लिए ट्रूनैट
शुरुआत में ट्रूनैट का विकास ट्यूबरकोलोसिस यानी टीबी रोग की पहचान करने के लिए किया गया था और मरीजों में रिफामपिसिन-प्रतिरोधक टीबी की पहचान करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह मशीन रियल-टाइम पीसीआर का इस्तेमाल करती है ताकि व्यक्ति के शरीर में मौजूद तरल पदार्थों में टीबी पैदा करने वाले बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियरम ट्यूबरकोलोसिस के डीएनए की मौजूदगी का पता लगाया जा सके।
साथ ही इस मशीन की मदद से रिफामपिसिन-प्रतिरोधक टीबी की मौजूदगी का भी पता लगाया जाता है। इसके लिए किए जाने वाले टेस्ट को ट्रूनैट एमटीबी-आरआईएफ डीएक्स कहते हैं। रिफामपिसिन एक एंटीबायोटिक है जिसका इस्तेमाल कई तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज में किया जाता है जिसमें टीबी भी शामिल है। रिफामपिसिन-प्रतिरोधक टीबी का बैक्टीरिया, मरीज को रिफामपिसिन दिए जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है इसलिए इस तरह के टीबी के इलाज के मरीजों को अलग-अलग दवाइयों की जरूरत होती है। ऐसा करना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर गलत एंटीबायोटिक्स से मरीज का इलाज किया जाए तो बैक्टीरिया का दवाइयों की तरफ प्रतिरोध और ज्यादा बढ़ जाएगा। आज के आधुनिक दवाइयों के जमाने में एंटीबायोटिक्स रेजिस्टेंस या प्रतिरोध एक बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है।
(और पढ़ें : एंटीबायोटिक दवा लेने से पहले इन बातों का रखें ध्यान)
मोलबियो डायग्नोस्टिक्स ने टीबी के लिए 2 और ट्रूनैट टेस्ट विकसित किए हैं जिनका नाम- ट्रूनैट टीएम एमटीबी और ट्रूनैट टीएम एमटीबी प्लस है जिसकी मदद से शरीर में पल्मोनरी यानी फेफड़ों में और एक्सट्रापल्मोनरी सीक्रिशन (ईपीटीबी नमूना) में टीबी बैक्टीरिया की मात्रा का पता लगाया जाता है। ईपीटीबी नमूने में सेरेब्रोस्पाइनल तरल पदार्थ (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी), प्लूरल तरल पदार्थ (फेफड़ों को कवर करने वाले लेयर), साइनोवियल तरल पदार्थ (जोड़ों में से) और लसीका पर्व (लिम्फ नोड्स) में मौजूद तरल पदार्थ भी शामिल है।
दिसंबर 2019 में ट्रूनैट टीबी टेस्ट को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से स्वीकृति मिल गई थी ताकि सक्रिय टीबी और रिफामपिसिन-प्रतिरोधक टीबी को डायग्नोज किया जा सके। WHO की तरफ से स्वीकृत किए बाकी के रैपिड टीबी टेस्ट एक्सपर्ट एमटीबी/आरआईएफ की तरह ट्रूनैट को काम करने के लिए ठंडे वातावरण की जरूरत नहीं होती। मौजूदा समय में दुनियाभर के लिए परेशानी का सबब बन चुकी कोविड-19 बीमारी का पता लगाने के लिए भी ट्रूनैट का इस्तेमाल किया जाता है।
कोविड-19 टेस्टिंग के लिए ट्रूनैट का इस्तेमाल
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ICMR ने अप्रैल 2020 में कोविड-19 के डायग्नोसिस के लिए ट्रूनैट के इस्तेमाल को विधिमान्य कर दिया था और मई 2020 में आईसीएमआर ने ट्रूनैट-बीटा सीओवी को स्वीकृति भी दे दी थी ताकि कोविड-19 की स्क्रीनिंग और प्रमाणित करने वाली टेस्टिंग की जा सके।
(और पढ़ें : टीबी के मरीजों को कोविड-19 से बचाने के लिए क्या करना चाहिए, जानें)
द कोविड-19 ट्रूनैट, ट्रूनैट सार्स-सीओवी-2 और ट्रूनैट-बीटा सीओवी टेस्ट में नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 वायरस जिसकी वजह से कोविड-19 बीमारी होती है उसके आरएनए की पहचान की जाती है। इन टेस्ट्स में ओरोफैरिंजिल (मुंह के) या नेजोफैरिंजिल (नाक के) स्वैब का सैंपल लिया जाता है ताकि कोरोना वायरस इंफेक्शन की पहचान की जा सके।
चूंकि कोरोना वायरस एक आरएनए वायरस है इसलिए आरटी-पीसीआर टेस्ट में पहले आरएनए को डीएनए में कन्वर्ट किया जाता है और उसके बाद डीएनए की विस्तार से व्याख्या की जाती है। रियल टाइम आरटी-पीसीआर टेस्ट के नतीजे आने में करीब 5 से 6 घंटे का समय लगता है जबकि ट्रूनैट टेस्ट महज 1 घंटे में नतीजे दे सकता है इसलिए यह ज्यादा तेज है।
टेस्ट शुरू करने से पहले सैंपल में रीएजेंट मिक्स किया जाता है जो वायरस को निष्क्रिय बना देता है। ऐसा होने से टेस्ट करने वाले लैब टेक्नीशियन या स्टाफ कर्मचारी को इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। मई 2020 में आईसीएमआर द्वारा जारी किए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, कोविड-19 के लिए ट्रूनैट टेस्ट को 2 चरणों में करना है:
- पहले चरण में सार्स-सीओवी-2 वायरस के ई जीन की खोज की जाती है। यह जीन कोड, वायरस के प्रोटीन के लिए एक आवरण की तरह का काम करता है। कोई भी सैंपल जो इस जीन के लिए नेगेटिव आता है उसे ही सही मायने में नेगेटिव माना जाता है।
- इस टेस्ट से जिन सैंपल में पॉजिटिव रिजल्ट नहीं आते उन्हें फिर अगले चरण में आगे बढ़ाया जाता है जिसमें आरडीआरपी (आरएनए-डिपेंडेंट आरएनए पॉलिमर्स) जीन की खोज की जाती है।
कोरोना वायरसों में आवरण वाला (एन्वलोप) प्रोटीन एक छोटा सा प्रोटीन है जो वायरस की सबसे बाहरी सतह वायरल एन्वलोप के निर्माण में शामिल होता है। यह वायरल रोगजनन और संक्रामकता में भी अहम रोल निभाता है। कई अध्ययनों में यह बात साबित हो चुकी है कि अगर कोरोना वायरसों के एन्वलोप को हटा दिया जाए तो इन वायरसों द्वारा इन्फ्लेमेशन पैदा करने और इंफेक्शन को स्थापित करने की क्षमता पर असर पड़ता है और उनकी क्षमता कम हो जाती है।
(और पढ़ें : कोविड-19 के इलाज में शरीर के इन्फ्लेमेशन की भूमिका)
आरएनए पॉलिमर्स एक तरह का एन्जाइम है जो स्वस्थ कोशिका में पहुंच जाने के बाद कोरोना वायरस को सैंकड़ों कॉपीज बनाने में मदद करता है। जिन लोगों का टेस्ट आरडीआरपी के लिए पॉजिटिव आता है उन्हें ही सही मायने में कोविड-19 पॉजिटिव माना जाता है।
(और पढ़ें - कोरोना के लिए टेस्ट)