टीएलसी टेस्ट आपके रक्त में ल्यूकोसाइट्स की मात्रा का पता लगाता है। ल्यूकोसाइट सफेद रक्त कोशिकाओं का एक अन्य नाम है और इसलिए इस टेस्ट को डब्ल्यूबीसी काउंट भी कहा जाता है। टीएलसी आमतौर पर कम्पलीट ब्लड काउंट के भाग के रूप में किया जाता है।
डब्ल्यूबीसी संक्रमण से लड़ते हैं और एलर्जिक प्रतिक्रियाओं व सूजन आदि को ठीक करने में भी महत्वपूर्ण होते हैं। अन्य रक्त कोशिकाओं की तरह ये बोन मेरो में बनती हैं और रक्त में संचारित होती हैं।
डब्ल्यूबीसी दो प्रकार के होते हैं - फेगोसाइटिक डब्ल्यूबीसी और इम्यून डब्ल्यूबीसी। फेगोसाइटिक डब्ल्यूबीसी, जिसमें ग्रेन्युलोसाइट और मोनोसाइट्स आते हैं, ये बाहरी पदार्थों और मृत कोशिकाओं को निगलते हैं और उन्हें नष्ट कर देते हैं। ग्रेन्युलोसाइट्स को आगे न्यूट्रोफिल्स, बासोफिल्स और इओसिनोफिल्स में विभाजित किया जाता है। इम्यून सफेद कोशिकाएं, जिन्हें लिम्फोसाइट्स भी कहा जाता है, उनमें टी लिम्फोसाइट्स और बी लिम्फोसाइट्स कहा जाता है। ये कोशिकाएं शरीर की प्रतिरक्षा के लिए जरूरी होती हैं।
टीएलसी आमतौर पर यह संकेत देता है कि 1 क्यूबिक मिलीमीटर (एमएम3) में टोटल ल्यूकोसाइट कितना है। यह डिफ्रेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट के साथ भी किया जा सकता है, जिसमें सौ सफेद रक्त कोशिका के सैंपल में से प्रत्येक डब्ल्यूबीसी के प्रतिशत को बताया जाता है।
किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए टीएलसी किया जाता है। यह संक्रमण व अन्य स्थितियों जैसे एलर्जी, सूजन और कैंसर का पता लगाता है। वैसे तो यह परीक्षणात्मक टेस्ट नहीं है, लेकिन किसी भी रोग की गंभीरता का पता लगाने और ट्रीटमेंट की प्रतिक्रिया जानने में सहायक होता है।