टॉर्च स्क्रीन टेस्ट से गर्भवती महिलाओं में संक्रमण की जांच की जाती है। यह संक्रमण गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को भी हो सकता है। शुरुआती समय में इस संक्रमण का पता चलने और सही उपचार से नवजात को संक्रमण से बचाया जा सकता है।
टॉर्च टेस्ट (TORCH) को कई बार TORCHS भी कहा जाता है। यह पांच तरह के इन्फेक्शन्स के पहले अक्षर का संग्रह है। जो निम्नलिखित हैं:
- टोक्सोप्लाज्मोसिस (T)
- अन्य (एचआईवी, हेपेटाइटिस वायरस, वेरीसेल्ला, पार्वो वायरस) (O)
- रूबेला (जर्मन खसरा) (R)
- साइटोमेगालो वायरस (C)
- हर्पीस सिम्प्लेक्स (H)
- सिफलिस (S)
जब महिलाएं गर्भधारण करने के बाद पहली बार डॉक्टर के पास जाती हैं तो डॉक्टर उन्हें इन टेस्ट्स में से कुछ टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इस तरह से डॉक्टर इन टेस्ट्स की मदद से यह पता कर लेते हैं कि गर्भवती महिला को किसी अन्य टेस्ट की जरूरत है या नहीं यानी इन टेस्ट से उन्हें अन्य तरह की समस्याओं के लक्षण दिख जाते हैं। ये बीमारियां मां के नाल से होते हुए, उसके बच्चे को भी हो सकती हैं। इस तरह से बच्चे को जन्मदोष होने की संभावना होती है।
इनमें निम्नलिखित बीमारियां शामिल हैं:
- मोतियाबिंद।
- बहरापन।
- बौद्धिक विकलांगता (आईडी)।
- हार्ट से संबंधित समस्याएं। (और पढ़ें - हृदय रोग से बचने के उपाय)
- सीउजर्स।
- पीलिया।
- प्लेटलेट का कम होना।