टेस्टोस्टेरोन टेस्ट की मदद से पुरूष के टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर की जांच की जाती है। इस हार्मोन को एंड्रोजन (Androgen) कहा जाता है, जो खून में पाया जाता है। टेस्टोस्टेरोन सेक्शुअल विशेषताओं और उसके विकास को प्रभावित करता है। पुरुषों में यह वृषणों द्वारा बड़ी मात्रा में बनाया जाता है और महिलाओं में यह अंडाशय द्वारा बनाया जाता है। महिला तथा पुरुष दोनों में यह एड्रिनल ग्रंथि द्वारा भी कम मात्रा में बनाया जाता है।

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  1. टेस्टोस्टेरोन टेस्ट क्या होता है? - What is Testosterone Test in Hindi?
  2. टेस्टोस्टेरोन टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Testosterone Test in Hindi
  3. टेस्टोस्टेरोन टेस्ट से पहले - Before Testosterone Test in Hindi
  4. टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के दौरान - During Testosterone Test in Hindi
  5. टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के बाद - After Testosterone Test in Hindi
  6. टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of Testosterone Test in Hindi
  7. टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Testosterone Test Result and Normal Range in Hindi
  8. टेस्टोस्टेरोन टेस्ट कब करवाना चाहिए - When to get tested with Testosterone Test in Hindi

टेस्टोस्टेरोन टेस्ट क्या होता है?

टेस्टोस्टोरोन टेस्ट खून में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की मात्रा को मापता है। इसकी मात्रा को नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर (ng/dL) की माप ईकाई से मापा जाता है। इस टेस्ट को 'सीरम टेस्टोस्टेरोन टेस्ट' (Serum testosterone test) के नाम से भी जाना जाता है।

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टेस्टोस्टेरोन, एक एंड्रोजन होता है, इसे सेक्स हार्मोन भी कहा जाता है, जो पुरूषों और महिलाओं दोनों में बनता है। यह यौवन और प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही साथ टेस्टोस्टेरोन यौन इच्छा को भी प्रभावित करता है।

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टेस्टोस्टेरोन टेस्ट किसलिए किया जाता है?

पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन टेस्ट निम्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है:

(और पढ़ें - महिला हाइपोगोनाडिज्म क्या है)

1) प्राइमरी या सेकिंडरी हाइपोगोनैडिज़्म (Hypogonadism) का संदेह होने पर उसकी पुष्टी करने के लिए, यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें टेस्टोस्टेरोन का स्तर असामान्य तरीके से कम हो जाता है।

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2) टेस्टोस्टेरोन टेस्ट का इस्तेमाल, टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Testosterone replacement therapy) के प्रभाव पर नजर रखने के लिए भी किया जाता है।

3) लड़कों में यौवन अवस्था में देरी वाले अंतर्निहित कारणों का मूल्यांकन करने के लिए भी टेस्टोस्टेरोन टेस्ट का उपयोग किया जाता है।

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महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन टेस्ट निम्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है:

अंतर्निहित हाईपरएंड्रोजेनिज्म (Hyperandrogenism) के कारणों का मूल्यांकन करने के लिए, इस स्थिति में टेस्टोस्टेरोन का स्तर असामान्य तरीके से हाई (उच्च) हो जाता है, इसके कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • आइडियोपैथिक अतिरोमता (Idiopathic hirsutism) – इस स्थिति में असामान्य तरीके से महिलाओं में पुरूषों की तरह चेहरे पर बाल उगने लग जाते हैं। (और पढ़ें - अनचाहे बालों से छुटकारा पाने के उपाय)
  • कंजेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया (Congenital adrenal hyperplasia) – यह एक जन्मदोष होता है, जिसमें एड्रिनल ग्रंथियां अधिक बढ़ जाती हैं।
  • पीसीओएस (Polycystic ovarian syndrome) – यह एक हार्मोन असुंतलन की स्थिति होती है, जिसमें असामान्य तरीके से अंडाशय में सिस्ट विकसित होने लगते हैं और टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ने लगता है। (और पढ़ें - पीसीओएस क्या है)
  • एड्रिनल ग्रंथि या अंडाशय में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन करने वाले ट्यूमर (Testosterone-producing tumors) (और पढ़ें - ओवेरियन कैंसर का इलाज)

महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन की कमी का संदेह होने पर टेस्टोस्टेरोन के स्तर का पता करने के लिए भी इस टेस्ट का उपयोग किया जाता है।

महिलाओं में, टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के प्रभाव पर निगरानी रखने के लिए आमतौर पर इस टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

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टेस्टोस्टेरोन टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

कुछ प्रकार की दवाएं हो सकती हैं जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रभावित कर के टेस्टोस्टेरोन टेस्ट रिजल्ट में बदलाव कर सकती है। अगर आप किसी भी प्रकार की दवा, सप्लीमेंट या हर्बल उत्पाद का सेवन करते हैं, तो टेस्ट से पहले ही उसके बारे में डॉक्टर को बताना आवश्यक है। टेस्ट से पहले आपको कुछ प्रकार की दवाएं कुछ निश्चित समय के लिए छोड़ने को कहा जा सकता है।

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कुछ दवाएं एवं उपचार जो आपके टेस्ट रिजल्ट को प्रभावित कर सकती हैं, उनमें निम्न शामिल है:

  • एंड्रोजन थेरेपी (Androgen therapy)
  • एस्ट्रोजन थेरेपी (Astrogen therapy), (और पढ़ें - एस्ट्रोजन स्तर बढ़ने के लक्षण)
  • स्टेरॉयड्स (Steroids)
  • आक्षेपरोधी (Anticonvulsants)
  • बार्बिट्युरेट्स (Barbiturates)
  • क्लोमिफेन (Clomiphene)

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डॉक्टर आपका टेस्ट करने के लिए एक विशेष समय निर्धारित कर सकते हैं। क्योंकि सुबह के समय हार्मोन का स्तर अधिक होता है, इसलिए आमतौर इस टेस्ट को सुबह 7 से 10 बजे के बीच के समय में ही किया जाता है।

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डॉक्टर आपको बार-बार टेस्ट करवाने के लिए भी बोल सकते हैं, जिसमें दिनभर की क्रिया में हार्मोन के बदलावों का पता लगाया जा सकता है।

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टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के दौरान क्या किया जाता है?

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टेस्टोस्टेरोन टेस्ट करने के लिए खून का सैम्पल (ब्लड टेस्ट) लेने की जरूरत पड़ती है, इसमें निम्न प्रक्रिया शामिल हो सकती है।

  • जहां पर खून निकालने के लिए सुई लगानी होती है, उस जगह को पहले एंटीसेप्टिक द्वारा साफ किया जाता है। खून का सैम्पल निकालने के लिए सुई अक्सर कोहनी के अंदरुनी हिस्से में या हाथ के पिछले हिस्से में लगाई जाती है।
  • उसके बाद बाजू के ऊपरी हिस्से पर इलास्टिक बैंड या पट्टी बांधी जाती है, जिससे नसें फूलने लगती हैं।
  • उसके बाद एक सुई को नस में डाला जाता है।
  • खून का सैम्पल निकालने के बाद, सुई को नस से निकाल दिया जाता है, इलास्टिक बैंड को भी खोल दिया जाता है।
  • नस से निकाले गए खून को सुई से जुड़ी ट्यूब या सीरिंज आदि में भर लिया जाता है।

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सैम्पल निकालने के दौरान थोड़ा दर्द या तकलीफ महसूस हो सकती है। सुई लगने के दौरान चुभन या जलन जैसी सनसनी होती है। सुई लगने के दौरान अपनी बाजू को शिथिल और शांत रखने से दर्द में कमी की जा सकती है। सुई निकलने के बाद भी कुछ देर तक थोड़ी तकलीफ महसूस हो सकती है, लेकिन यह कुछ ही समय में ठीक हो जाती है।

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टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

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सुई निकालने के बाद उस जगह पर थोड़ा हल्का सा दबाव रखना चाहिए, ऐसा करने से खून बहने से रोका जा सकता है और निशान पड़ने से भी रोकथाम की जा सकती है। थोड़ी देर अंगूठे आदि से दबाव रखने के बाद उस जगह पर बैंडेज लगा दी जाती है। सुई की जगह पर थोड़ी देर कुछ हल्की तकलीफ और निशान पड़ सकती है। 

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टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के क्या जोखिम हो सकते हैं?

खून का सेंपल लेने से जुड़े कुछ जोखिम जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं:

(और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट क्या है)

  • नस ढूंढने के लिए कई जगह पर सुई लगना,
  • अत्याधिक खून बहना,
  • सिर घूमना, (और पढ़ें - चक्कर आने के उपाय)
  • बेहोशी,
  • हेमाटोमा, इसमें त्वचा के नीचे खून जम जाता है।
  • संक्रमण, इत्यादि।

(और पढ़ें - कैंडिडा संक्रमण का इलाज)

टेस्टोस्टेरोन टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब होता है?

वयस्क पुरूष में टेस्टोस्टेरोन का नॉर्मल रेंज : 

(और पढ़ें - पहली बार सेक्स कैसे करें)

  • 19 से 49 की उम्र तक 249 से 836 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर (ng/dL)
  • 50 या उससे अधिक उम्र के लोगों में 193 से 740 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर

वयस्क महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का नॉर्मल रेंज :

(और पढ़ें - सेक्स के दौरान ऐंठन)

  • 19 से 49 की उम्र तक की महिलाओं में 8 से 48 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर
  • 50 या उससे ऊपर की महिलाओं में 2 से 41 नैनोग्राम प्रति डेसीलीटर

कुछ स्वास्थ्य स्थितियां, चोट एवं कुछ प्रकार की दवाएं आदि टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम कर सकती हैं। टेस्टोस्टेरोन का स्तर उम्र के साथ-साथ प्राकृतिक रूप से गिरने लगता है। टेस्टोस्टेरोन का कम स्तर पुरुषों में उनकी मनोदशा, सेक्स ड्राइव व शरीर को भी प्रभावित करता है।

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टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिरने की निम्न वजहें हो सकती हैं:

  • कोई गंभीर बीमारी
  • अगर पीट्यूटरी ग्रंथि सामान्य मात्रा में सभी या कुछ हार्मोन को ना बनाए,
  • मस्तिष्क के उस हिस्से में समस्या जो हार्मोन को नियंत्रित करता है,
  • थायराइड का ठीक से काम ना कर पाना, (और पढ़ें - थायराइड का इलाज)
  • यौवन अवस्था में देरी,
  • वृषण संबंधी रोग, (वृषण कैंसर, वृषण में सूजन, संक्रमण या चोट आदि) (और पढ़ें - वृषण में सूजन का इलाज)
  • पीट्यूटरी की कोशिकाओं में ट्यूमर होना, जो बहुत अधिक मात्रा में हार्मोन का उत्पादन करता है।
  • शरीर में अधिक मोटापा (Obesity), इत्यादि।

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टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ने की निम्न वजहें हो सकती हैं:

  • पुरुष हार्मोन के एक्शन के लिए प्रतिरोध उत्पन्न होना (Androgen resistance),
  • अंडाशय में ट्यूमर,
  • वृषण में कैंसर,
  • कंजेनिटल एड्रेनल हाइपरप्लासिया (Congenital adrenal hyperplasia),
  • उन दवाओं का सेवन जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा देती हैं, इत्यादि।

(और पढ़ें - अंडकोष में दर्द का इलाज)

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टेस्टोस्टेरोन टेस्ट कब करवाना चाहिए?

अगर आपमें असमान्य मेल हार्मोन (Androgen) के उत्पादन के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो टेस्टोस्टेरोन टेस्ट किया जाना चाहिए।

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पुरुषों में शरीर का ज्यादातर टेस्टोस्टेरोन वृषणों द्वारा उत्पादित किया जाता है। असामान्य टेस्टोस्टेरोन स्तर के संकेतों की जांच करने के लिए अक्सर उनकी जांच की जाती है:

  • लड़कों में यौवन अवस्था में देरी या समय से पहले आ जाना,
  • बांझपन, (और पढ़ें - बांझपन का इलाज)
  • स्तंभन दोष, (और पढ़ें - स्तंभन दोष का उपाय)
  • यौन रुचि का स्तर कम होना,
  • हड्डियां पतली पड़ना (पुरुषों में),
  • पुरुष बांझपन (Low sperm count),
  • सेक्स ड्राइव में कमी,
  • मांसपेशियों के कार्यो में कमी, (और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द का इलाज)
  • मोटापा बढ़ना या स्तनों का आकार बढ़ना, इत्यादि।

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महिलाओं में शरीर का ज्यादातर हार्मोन अंडाशय द्वारा उत्पादित किया जाता है। टेस्टोस्टेरोन का स्तर असामान्य रूप से बढ़ने के संकेतों की जांच करने के लिए अक्सर उनकी जांच की जाती है:

संदर्भ

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  2. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Testosterone Levels Test
  3. S. Bhasin, G.R. Cunningham, F.J. Hayes, Task Force, Endocrine Society, et al. Testosterone therapy in men with androgen deficiency syndromes: an Endocrine Society clinical practice guideline.. J Clin Endocrinol Metabolism, 6 (2010) 2536–259.
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  5. W. Rosner, R.J. Auchus, R. Azziz, et al. Position statement: Utility, limitations, and pitfalls in measuring testosterone: an Endocrine Society position statement.. J Clin Endocrinol Metabolism, 92 (2007), Pp. 405–413.
  6. Sartorius G, Spasevska S, Idan A, Turner L, Forbes E, Zamojska A, Allan CA, Ly LP, Conway AJ, McLachlan RI, Handelsman DJ. Serum testosterone, dihydrotestosterone and estradiol concentrations in older men self-reporting very good health: the healthy man study.. Clin Endocrinol (Oxf). 2012 Nov;77(5):755-63. doi: 10.1111/j.1365-2265.2012.04432.
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